पांच साल में रक्षा क्षेत्र की छह सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी बेचकर 26,457 करोड़ जुटाए: केंद्र

राज्यसभा में रक्षा राज्यमंत्री श्रीपद नाइक ने बताया कि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड में सरकार की हिस्सेदारी घटाकर कुल 14,184.70 करोड़ रुपये एकत्र किए, जबकि भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड में हिस्सेदारी घटाकर 8,073.29 करोड़ रुपये और भारत डायनामिक्स लिमिटेड में हिस्सेदारी की बिक्री से 2,371.19 करोड़ रुपये जुटाए गए.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

राज्यसभा में रक्षा राज्यमंत्री श्रीपद नाइक ने बताया कि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड में सरकार की हिस्सेदारी घटाकर कुल 14,184.70 करोड़ रुपये एकत्र किए, जबकि भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड में हिस्सेदारी घटाकर 8,073.29 करोड़ रुपये और भारत डायनामिक्स लिमिटेड में हिस्सेदारी की बिक्री से 2,371.19 करोड़ रुपये जुटाए गए.

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नई दिल्ली: सरकार ने पिछले पांच साल में छह रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (डीपीएसयू) में अपनी हिस्सेदारी घटाकर 26,457 करोड़ रुपये जुटाए हैं. राज्यसभा में रक्षा राज्यमंत्री श्रीपद नाइक द्वारा दिए गए विवरण से यह जानकारी प्राप्त हुई है.

बीते सोमवार को एक सवाल के जवाब में नाइक ने कहा कि सरकार ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) में अपनी हिस्सेदारी घटाकर कुल 14,184.70 करोड़ रुपये एकत्र किए, जबकि भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) में हिस्सेदारी घटाकर 8,073.29 करोड़ रुपये और भारत डायनामिक्स लिमिटेड (बीडीएल) में हिस्सेदारी की बिक्री से 2,371.19 करोड़ रुपये जुटाए.

इसी तरह मिश्र धातु निगम लिमिटेड (एमआईडीएचएएनआई) में हिस्सेदारी बिक्री से 434.14 रुपये, गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (जीआरईएसई) से 420.52 करोड़ रुपये और मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) में हिस्सेदारी बिक्री से 974.15 करोड़ रुपये एकत्र किए गए.

उन्होंने कहा कि प्रबंधन नियंत्रण के हस्तांतरण के बिना कम हिस्सेदारी के विनिवेश की नीति का उपयोग रक्षा क्षेत्र सहित प्राथमिकता क्षेत्र के लिए किया जा रहा है.

मंत्री ने कहा कि नीति का उद्देश्य भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता मानदंडों को पूरा करना और उच्च जवाबदेही स्तर को सुनिश्चित करना भी है.

हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड जहां भारत के एयरोस्पेस क्षेत्र का बड़ा निर्माणकर्ता है, वहीं मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड देश के प्रमुख जहाज निर्माता हैं.

मिश्र धातु निगम लिमिटेड (एमआईडीएचएएनआई) रक्षा और अन्य सामरिक क्षेत्रों के लिए विभिन्न तरह के मिश्र धातु, इस्पात घटकों और अन्य सामग्रियों का उत्पादन करता है. भारत डायनामिक्स लिमिटेड गोला बारूद और मिसाइल सिस्टम के भारत के अग्रणी निर्माताओं में से एक है, जबकि भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड एक एयरोस्पेस कंपनी है.

मंत्रिमंडल ने पिछले साल नवंबर में शिपिंग कॉरपोरेशन और कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के रणनीतिक विनिवेश को सैद्धांतिक मंजूरी दी थी. हालांकि, महामारी के कारण इन योजनाओं में देरी हुई.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021-22 के अपने बजट भाषण में कहा था कि भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल), एयर इंडिया, शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, आईडीबीआई बैंक, बीईएमएल लिमिटेड, पवन हंस, नीलाचल इस्पात निगम लिमिटेड सहित कई विनिवेश कार्यक्रम 2021-22 में पूरे हो जाएंगे.

सरकार ने 2021-22 के लिए 1.75 लाख करोड़ रुपये का विनिवेश लक्ष्य रखा है, जिसे चालू वित्त वर्ष में पांच गुना से अधिक करने का लक्ष्य है. संशोधित अनुमानों के अनुसार चालू वित्त वर्ष के लिए 32,000 करोड़ रुपये का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2021-22 में सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (पीएसई) नीति पेश करते हुए कहा था कि चार रणनीतिक क्षेत्रों को छोड़कर अन्य क्षेत्रों की सरकारी कंपनियों का विनिवेश किया जाएगा. यह नीति रणनीतिक और गैर-रणनीतिक क्षेत्रों में विनिवेश की स्पष्ट रूपरेखा पेश करेगी.

उन्होंने कहा था कि अगले वित्त वर्ष में आईडीबीआई बैंक, बीपीसीएल, शिपिंग कॉरपोरेशन, नीलाचल इस्पात निगम लि. और अन्य कंपनियों का विनिवेश किया जाएगा. इसके अलावा एलआईसी के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के लिए विधायी संशोधन भी 2021-22 में लाए जाएंगे.

बता दें कि बीते 10 फरवरी को महापत्तन प्राधिकरण विधेयक 2020 को राज्यसभा में पारित कर दिया गया. यह विधेयक लोकसभा में पहले ही पारित हो चुका है.

विपक्ष ने आरोप लगाया था कि सरकार इस विधेयक के जरिये बंदरगाहों को निजी हाथों में सौंपना चाहती है, क्योंकि इसमें बंदरगाहों के प्रबंधन के लिए 13 सदस्यीय बोर्ड का प्रस्ताव किया गया है, जिसके सात सदस्य गैर-सरकारी होंगे. ऐसी स्थिति में निर्णय लेने का अधिकार निजी क्षेत्र को मिल जाएगा और इससे देश की सुरक्षा भी प्रभावित हो सकती है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)