गुजरात विधानसभा में दलित आरटीआई कार्यकर्ता की हत्या का मामला उठाने के बाद मेवाणी निलंबित

वडगाम से निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी ने विधानसभा अध्यक्ष की अनुमति के बगैर एक दलित आरटीआई कार्यकर्ता की हत्या का मुद्दा उठाया था, जिसके बाद उन्हें अनुशासनहीनता के लिए सदन से एक दिन के लिए निलंबित कर दिया गया. गुरुवार को यही मुद्दा उठाने को लेकर उन्हें सदन से बाहर कर दिया गया था.

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जिग्नेश मेवाणी. (फोटो: पीटीआई)

वडगाम से निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी ने विधानसभा अध्यक्ष की अनुमति के बगैर एक दलित आरटीआई कार्यकर्ता की हत्या का मुद्दा उठाया था, जिसके बाद उन्हें अनुशासनहीनता के लिए सदन से एक दिन के लिए निलंबित कर दिया गया. गुरुवार को यही मुद्दा उठाने को लेकर उन्हें सदन से बाहर कर दिया गया था.

जिग्नेश मेवाणी. (फोटो: पीटीआई)
जिग्नेश मेवाणी. (फोटो: पीटीआई)

गांधीनगर: गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी को अनुशासनहीनता के लिए शुक्रवार को गुजरात विधानसभा से दिन भर के लिए निलंबित कर दिया गया.

उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष की अनुमति के बगैर एक दलित आरटीआई की हत्या का मुद्दा उठाया था, जिसके बाद उनके खिलाफ यह कार्रवाई की गई. इस मुद्दे को लेकर विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र त्रिवेदी के आदेश पर उन्हें सदन से बाहर किया गया.

गौरतलब है कि इसी कारण को लेकर गुरुवार को भी मेवाणी को सदन से बाहर किया गया था.

विधानसभा में जैसे ही प्रश्नकाल समाप्त हुआ, वडगाम से विधायक मेवाणी ने अचानक ही एक पोस्टर लहराया, जिस पर एक इस दलित आरटीआई कार्यकर्ता की तस्वीर थी. उनकी दो मार्च को पुलिसकर्मियों की कथित मौजूदगी में भीड़ ने हत्या कर दी गई थी.

पोस्टर पर लिखा था, ‘आप दोषियों को गिरफ्तार क्यों नहीं कर रहे हैं?’

मेवाणी उस घटना का जिक्र कर रहे थे, जिसके तहत भावनगर के घोघा तालुका के सनोदर निवासी अमराभाई बोरिचा (50) की स्थानीय पुलिस उपनिरीक्षक (पीएसआई) की मौजूदगी में कथित तौर पर हत्या कर दी गई थी.

उस समय आरोप लगाया गया था कि क्षत्रिय समुदाय के लोग आरटीआई कार्यकर्ता की ज़मीन हड़पना चाहते थे. एक महीने पहले कार्यकर्ता ने आरोपियों के ख़िलाफ़ थाने में शिकायत की थी, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की.

विधानसभा में जब मेवाणी का माइक बंद कर दिया गया, तब उन्होंने जोर-जोर से बोलना शुरू कर दिया और पूछा कि राज्य की भाजपा सरकार ने अभी तक पीएसआई को गिरफ्तार क्यों नहीं किया है.

उन्होंने सरकार से यह स्पष्ट करने को कहा कि क्या गृह राज्य मंत्री प्रदीपसिंह जडेजा पीएसआई से संबद्ध हैं.

इस पर स्पीकर ने मेवाणी से अनुशानहीनता न बरतने और बैठ जाने को कहा. त्रिवेदी ने कहा कि यदि वह कोई मुद्दा उठाना चाहते हैं तो पहले उन्हें अनुमति लेनी चाहिए.

बार-बार आग्रह करने के बाद भी मेवाणी जब नहीं बैठे, तब त्रिवेदी ने सारजेंट से विधायक को सदन से बाहर करने को कहा. त्रिवेदी ने अनुशासनहीनता को लेकर मेवाणी को दिन भर के लिए सदन से निलंबित भी कर दिया.

इससे पहले गुरुवार को गुजरात कांग्रेस के विधायकों ने राज्य में कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर सत्तारूढ़ भाजपा के सदस्यों के साथ तीखी कहासुनी के बाद विधानसभा से वॉकआउट किया था.

इस दिन भी मेवाणी द्वारा इसी विषय पर सवाल उठाने के चलते उन्हें सदन से बाहर कर दिया गया था.

गृह विभाग की बजटीय मांगों पर अपने संबोधन के दौरान कांग्रेस विधायक अमित छावड़ा ने भाजपा पर तंज कसते हुए दावा किया कि राज्य के कई शहरों को अभी भी ‘स्थानीय डॉन’ के नाम से जाना जाता है.

छावड़ा ने कहा, ‘हर कोई जानता है कि शेहरा शहर का नाम किसके नाम से जाना जाता है. कुटियाना के साथ भी ऐसा ही है. यह सरकार गुजरात के लोगों को सुरक्षा देने में विफल रही है.’

इस बीच पंचमहाल जिले के शेहरा शहर का उल्लेख होने से भाजपा विधायक जेठा भरवाड़ क्रोधित हो गए, जो शेहरा विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं.

तीखी कहासुनी के बाद, लगभग 50 कांग्रेस विधायकों ने सदन से वॉकआउट किया, जिसके बाद सदन में विपक्ष की तरफ से केवल निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी रह गए थे.

जब गृह राज्यमंत्री प्रदीप सिंह जडेजा ने कांग्रेस सदस्यों के बाहर निकलने के बाद अपना संबोधन शुरू किया, तो मेवाणी ने उन्हें बीच में रोककर दलित आरटीआई कार्यकर्ता की हत्या में कथित रूप से शामिल पुलिसकर्मी की गिरफ़्तारी न होने को लेकर सवाल किया.

जब जडेजा के संबोधन के दौराना मेवाणी बार-बार यही सवाल पूछते रहे, तब अध्यक्ष त्रिवेदी ने सुरक्षाकर्मी को उन्हें बाहर निकालने के लिए कहा, जिसके बाद मेवाणी को बिना किसी बल का इस्तेमाल किए बाहर कर दिया गया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)