दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल 25 मार्च को सीमापुरी इलाके में 100 घरों तक राशन पहुंचाकर ‘मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना’ की शुरुआती करने वाले थे. केजरीवाल ने कहा है कि उन्हें योजना के नाम में ‘मुख्यमंत्री’ शब्द से आपत्ति है अब इस योजना का कोई नाम नहीं होगा. केंद्र जो राशन देगी हम उसे घर घर पहुंचाएंगे. इस पर उन्हें आपत्ति नहीं होनी चाहिए.
नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा घर-घर राशन पहुंचाने की योजना (मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना) शुरू करने से पांच दिन पहले ही गतिरोध उत्पन्न हो गया है. केंद्र ने शुक्रवार को दिल्ली सरकार से योजना नहीं लागू करने को कहा, क्योंकि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत सब्सिडी के आधार पर जारी खाद्यान्न का इसके लिए इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं है.
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने सोमवार को लोकसभा में दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार (संशोधन) विधेयक पेश किया था, जिसमें उप राज्यपाल को और अधिक शक्तियां देने का प्रावधान है. इससे एक बार फिर केंद्र और दिल्ली सरकार में खींचतान शुरू हो गई है.
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल 25 मार्च को सीमापुरी इलाके में 100 घरों तक राशन पहुंचाकर इस योजना की शुरुआती करने वाले थे.
केंद्र की ओर से कहा गया था कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत अनाज वितरण योजना में ‘मुख्यमंत्री’ शब्द का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है.
केंद्र की ओर से शुक्रवार को आपत्ति जताने के बाद शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, ‘केंद्र की ओर से मिली चिट्ठी में कहा गया है कि इसका नाम मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना नहीं रखा जा सकता. उनको शायद मुख्यमंत्री शब्द से आपत्ति है. हम ये योजना अपना नाम चमकाने के लिए नहीं कर रहे.’
राशन की डोरस्टेप डिलीवरी योजना पर एक महत्वपूर्ण प्रेस कॉन्फ्रेंस | LIVE https://t.co/cIP7B0kITM
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) March 20, 2021
उन्होंने कहा, ‘आज (शनिवार) सुबह मैंने अफसरों के साथ मीटिंग की और मैंने उनको कहा कि इस योजना का नाम हटा दो. अब इसका कोई नाम नहीं है, यह कोई योजना नहीं है. जैसे पहले केंद्र सरकार से राशन आता था, वो दुकानों के जरिये बंटता था. अब ये राशन घर-घर पहुंचाया जाएगा.’
केजरीवाल ने कहा, ‘मैं समझता हूं कि इस निर्णय के बाद अब केंद्र सरकार की जो भी आपत्तियां थीं वह दूर हो गई होंगी और केंद्र सरकार इसे आगे लागू करने की अनुमति देगी.’
दिल्ली सरकार को लिखे पत्र में केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के संयुक्त सचिव एस. जगन्नाथन ने कहा था कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत वितरण के लिए केंद्र सरकार द्वारा आवंटित सब्सिडी वाले खाद्यान्न को ‘किसी राज्य की विशेष योजना या किसी दूसरे नाम या शीर्षक से कोई अन्य योजना को चलाने में उपयोग नहीं किया जा सकता है.’
इसमें कहा गया था कि हालांकि, अगर दिल्ली सरकार अपनी अलग योजना लाती है और उसमें राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून को नहीं मिलाया जाता है तो केंद्र को इस पर कोई आपत्ति नहीं होगी.
अधिकारी ने दिल्ली सरकार की 20 फरवरी की अधिसूचना का हवाला दिया है, जो पीडीएस के तहत घर-घर राशन की डिलीवरी कराने की ‘मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना’ (एमएमजीजीआरवाई) के नाम से राज्य की विशिष्ट योजना है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली खाद्य आयुक्त को लिख गए पत्र में केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने यह भी कहा है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के प्रावधानों में बदलाव कर अनाज को लाभार्थियों के घर तक पहुंचाने के लिए संसद की मंजूरी लेनी होगी.
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा था, ‘इस संबंध में दिल्ली सरकार ने केंद्र के साथ कई बैंठकें की हैं. यह (योजना) भ्रष्टाचार को खत्म कर सकती थी. उन्होंने योजना का शुभारंभ होने के एक हफ्ते से कम समय में यह पत्र भेजा है. यह कदम दुर्भाग्यपूर्ण है. हम केंद्र से अपील करते हैं कि वह इस पत्र को वापस ले ले.’
बहरहाल राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) को नियंत्रित करता है. इसके तहत दिल्ली में लगभग 17.77 लाख राशन कार्ड रखने वाले परिवारों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है. 15.12 लाख प्राथमिकता वाले घर (पीआर), 1.73 लाख राज्य प्राथमिकता वाले परिवार (पीआरएस) और 68,468 अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) परिवार हैं.
पीआर और पीआरएस श्रेणी के लाभार्थी प्रति माह पांच किलोग्राम राशन प्राप्त करने के हकदार होते हैं, जबकि एएआई के तहत आने वाले परिवारों को 25 किलो गेहूं, 10 किलो चावल और एक किलोग्राम चीनी दी जाती है.
रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली सरकार ने इस योजना की शुरुआत 2018 में करने की कोशिश की थी, लेकिन उपराज्यपाल अनिल बैजल ने तब सलाह दी थी अंतिम निर्णय लेने से पहले मामले को पूरा विवतण केंद्र सरकार के समक्ष रखना चाहिए.
इस नीति पर वित्त विभाग ने यह कहते हुए आपत्ति जताई थी कि घर पर राशन पहुंचाने की योजना सिर्फ एक श्रेणी के लोगों को दूसरे श्रेणी के सेवा प्रदाताओं और उनके एजेंट से बदल देगी.
इसके बाद केजरीवाल और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों ने घर पर राशन पहुंचाने सहित कई मुद्दों पर अनिल बैजल के कार्यालय के अंदर नौ दिन का धरना दिया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)