लव​ जिहाद: एमपी में तीन माह में 21 केस दर्ज, आधे से ज़्यादा मामलों में एक-दूसरे को जानते थे दंपति

पुलिस रिकॉर्ड दिखाते हैं कि सभी 21 मामलों में आरोपी अल्पसंख्यक समुदायों से हैं, जिनमें मुस्लिम (15 मामले) और ईसाई (छह मामले) शामिल हैं. 15 मामलों में बलात्कार और छेड़छाड़ के लिए आवश्यक आईपीसी की धाराओं को भी शामिल किया गया है.

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान. (फोटो साभार: फेसबुक/ChouhanShivraj)

पुलिस रिकॉर्ड दिखाते हैं कि सभी 21 मामलों में आरोपी अल्पसंख्यक समुदायों से हैं, जिनमें मुस्लिम (15 मामले) और ईसाई (छह मामले) शामिल हैं. 15 मामलों में बलात्कार और छेड़छाड़ के लिए आवश्यक आईपीसी की धाराओं को भी शामिल किया गया है.

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान. (फोटो साभार: फेसबुक/ChouhanShivraj)
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान. (फोटो साभार: फेसबुक/ChouhanShivraj)

भोपाल: कथित लव जिहाद के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार की तर्ज पर धर्मांतरण रोधी अध्यादेश लाने के मात्र तीन महीने के अंदर भाजपा शासित मध्य प्रदेश में पुलिस ने 47 लोगों के खिलाफ 21 मामले दर्ज किए हैं, जिसमें से 25 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस रिकॉर्ड दिखाते हैं कि 21 में से कम से कम 11 मामलों में जिन महिलाओं ने धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 2021 तक शिकायतें दर्ज कराई हैं वे आरोपी को जानती थीं. या तो वे दोस्त थे या प्रेम संबंध थे और एक मामले में तो पांच साल से शादीशुदा थे.

रिकॉर्ड से पता चलता है कि कम से कम चार मामलों में दंपति घर से भाग गए थे और महिला के पुलिस के संपर्क में आने से पहले ही वे वापस आ गए.

तीन अन्य मामले हिंदुत्व समूहों के हस्तक्षेप के बाद दर्ज किए गए. शेष छह मामले उन कथित ईसाई मिशनरियों के खिलाफ दर्ज किए गए जो ग्रामीणों को धर्मांतरित करने का लालच दे रहे थे.

21 में से चार मामले इंदौर, तीन सिवनी, दो भोपाल और एक-एक मामले बड़वानी, खरगोन, रीवा, हरदा, छतरपुर, बालाघाट, अलीराजपुर, मंदसौर, डिंडोरी, खंडवा, सिहोर और धार में दर्ज किए गए.

सभी 21 मामलों में आरोपी अल्पसंख्यक समुदायों से हैं, जिनमें मुस्लिम (15 मामले) और ईसाई (छह मामले) शामिल हैं. रिकॉर्ड बताते हैं कि 15 मामलों में बलात्कार और छेड़छाड़ के लिए आवश्यक आईपीसी की धाराओं को शामिल किया गया है.

12 मामलों में शिकायतकर्ताओं ने लिखित आवेदन के माध्यम से जबरन धर्म परिवर्तन का आरोप लगाते हुए पुलिस से संपर्क किया. कम से कम एक मामले में आवेदक ने सीधे एक पुलिस स्टेशन में शिकायतकर्ता द्वारा पहले दर्ज किए गए बयान का खंडन किया.

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (महिलाओं के खिलाफ अपराध) प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव ने कहा, ‘हमें अब तक 21 मामले प्राप्त हुए हैं और हमारे विवरण के अनुसार, इनमें से अधिकांश मामले महिलाओं द्वारा (दर्ज) कराए गए हैं जिसमें नाबालिग और बालिग दोनों हैं, जिन्होंने कहा है कि उन पर यौन शोषण के बाद कई मामलों में अपने धर्म को बदलने का दबाव डाला गया है. उनके बयानों के अनुसार, एफआईआर दर्ज कर ली गई हैं और हम जांच कर रहे हैं.’

मालूम हो कि मध्य प्रदेश सरकार के मंत्रिमंडल ने कथित ‘लव जिहाद’ के खिलाफ सख्त कानून बनाने के लिए 26 दिसंबर को ‘मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक-2020’ को मंजूरी दी थी. इसके बाद 29 दिसंबर को कैबिनेट की बैठक में मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश-2020 को मंजूरी दे दी गई थी.

इस कानून में अपना धर्म छिपाकर किए गए विवाह के मामलों में तीन से 10 साल की सजा और 50 हजार रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है.

साथ ही अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और नाबालिगों के धर्मांतरण से जुड़े मामलों में दो से 10 साल की कैद और 50 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान किया गया है.

 

इससे पहले मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में नया कानून लागू होने के बाद से एक महीने में राज्य में 14 केस दर्ज किए गए और 51 लोगों को गिरफ्तार किया गया.

इन 14 मामलों में से 13 में आरोप लगाया गया है कि हिंदू महिला को इस्लाम कबूलने के लिए मजबूर किया गया है. इसमें से सिर्फ दो मामलों में ही संबंधित महिला ने शिकायत दर्ज कराई है, बाकी के 12 मामलों में लड़की के परिजनों ने केस दर्ज कराया है.

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