ये याचिकाएं नेटफ्लिक्स, अमेज़ॉन प्राइम वीडियो, हॉटस्टार जैसे ओटीटी मंचों के नियमन और कामकाम को लेकर दाखिल की गई हैं. याचिकाओं में विभिन्न ओटीटी, स्ट्रीमिंग और डिजिटल मीडिया मंचों पर सामग्री की निगरानी और प्रबंधन के लिए एक उचित बोर्ड, संस्था और एसोसिएशन बनाने की मांग की गई थी.
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने ‘ओवर-द-टॉप’ (ओटीटी) मंचों के नियमन को लेकर उच्च न्यायालयों में दायर सभी याचिकाओं की सुनवाई पर मंगलवार को रोक लगा दी.
ये याचिकाएं नेटफ्लिक्स, अमेजॉन प्राइम वीडियो, हॉटस्टार जैसे ओटीटी मंचों के नियमन और कामकाम को लेकर दाखिल की गई हैं.
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली पीठ में जस्टिस एमआर शाह भी शामिल हैं. पीठ ने कहा कि हस्तांतरण याचिका पर नोटिस जारी करने का मतलब है कि चल रही सुनवाई को रोकना होगा.
पीठ ने कहा, ‘हम उच्च न्यायालयों में इस प्रकरण में सभी कार्यवाही पर रोक लगाते हैं और मामले पर होली की छुट्टी के बाद दूसरे सप्ताह में इस पर सुनवाई करेंगे.’
इससे पहले शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय में ओटीटी नियमन से जुड़ीं याचिकाओं को संलग्न करने का अनुरोध करने वाली केंद्र की हस्तांतरण याचिका पर नोटिस जारी किया था.
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, शीर्ष अदालत जस्टिस फॉर राइट्स फाउंडेशन की ओर से पेश हुए अधिवक्ता शशांक शेखर झा द्वारा दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें एक स्वायत्त निकाय द्वारा ओटीटी मंचों को विनियमित करने की मांग की गई है.
याचिकाओं में विभिन्न ओटीटी, स्ट्रीमिंग और डिजिटल मीडिया मंचों पर सामग्री की निगरानी और प्रबंधन के लिए एक उचित बोर्ड, संस्था और एसोसिएशन बनाने की मांग की गई थी.
केंद्र सरकार ने भी ओटीटी मंचों के नियमन के लिए विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित मामलों को स्थानांतरित करने की मांग वाली याचिका दायर की है. सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने पहले केंद्र की याचिका पर नोटिस जारी किया था और इसे अन्य याचिकाओं के साथ चिह्नित किया था.
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली पीठ को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि केंद्र की ओर से उच्च न्यायालय में लंबित ऐसी सभी याचिकाओं को संलग्न करने के लिए दायर हस्तांतरण याचिका पर शीर्ष अदालत के नोटिस जारी करने के बावजूद पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में लंबित मामले पर कार्यवाही हो रही है.
मेहता ने कहा कि इस मामले में कई उच्च न्यायालयों में नई याचिकाएं भी दायर की गई हैं.
इसके अलावा सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने शीर्ष अदालत के समक्ष पेश हलफनामे में यह आश्वासन दिया था कि नेटफ्लिक्स और अमेजॉन प्राइम जैसे ओटीटी मंचों पर सामग्री की पुख्ता जांच के लिए नए नियम बनाए गए हैं.
इसने कहा कि नई सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थों और डिजिटल मीडिया आचार संहिता के लिए दिशानिर्देश) नियम, 2021 को इस मुद्दे से निपटने के लिए अधिसूचित किया गया है.
जनहित याचिका में कहा गया है कि नेटफ्लिक्स, अमेजॉन प्राइम, जी5 और हॉटस्टार सहित ओटीटी मंचों में से किसी ने भी फरवरी 2020 से सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा प्रदान किए गए स्व-विनियमन पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं.
बहरहाल इन याचिकाओं में कहा गया है कि उनका उद्देश्य इन मंचों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन करने से रोककर जीवन के संवैधानिक अधिकार की रक्षा करना है.
याचिका में अनुरोध किया गया है कि सचिव स्तर के आईएएस अधिकारी के नेतृत्व में फिल्म, सिनेमैटोग्राफी, मीडिया, रक्षा बलों, कानून और शिक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों के सदस्यों के साथ एक बोर्ड की स्थापना की जाए.
याचिका में कहा गया है, ‘देश में सिनेमाघरों के जल्द ही खुलने की संभावना नहीं है. हालांकि ओटीटी/स्ट्रीमिंग और विभिन्न डिजिटल मीडिया मंचों ने निश्चित रूप से फिल्म निर्माताओं और कलाकारों को उनकी फिल्मों के लिए सेंसर बोर्ड की मंजूरी प्रमाण पत्र पाने की चिंता किए बिना उन्हें रिलीज करने का एक रास्ता दे दिया है.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)