संसद ने नागरिकता संशोधन क़ानून के नियम तय करने के लिए समयसीमा बढ़ाई: सरकार

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने सदन में बताया कि लोकसभा और राज्यसभा की अधीनस्थ विधायी समितियों ने नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) के नियमों को तय करने के लिए क्रमश: नौ अप्रैल और नौ जुलाई का समय दिया है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने सदन में बताया कि लोकसभा और राज्यसभा की अधीनस्थ विधायी समितियों ने नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) के नियमों को तय करने के लिए क्रमश: नौ अप्रैल और नौ जुलाई का समय दिया है.

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(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने मंगलवार को कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के तहत नियम तय करने के लिए लोकसभा ने सरकार को नौ अप्रैल और राज्यसभा ने नौ जुलाई तक समय दिया है.

उन्होंने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी.

राय ने बताया कि सीएएए कानून-2019 को 12 दिसंबर, 2019 को अधिसूचित किया गया था और 10 जनवरी, 2020 से अमल में आया.

मंत्री ने कहा कि लोकसभा और राज्यसभा की अधीनस्थ विधायी समितियों ने इस कानून के नियमों को तय करने के लिए क्रमश: नौ अप्रैल और नौ जुलाई का समय दिया है.

राय ने कहा कि केंद्र की ओर से नियम अधिसूचित किए जाने के बाद सीएए के तहत कवर होने वाले विदेशी लोग भारतीय नागरिकता हासिल करने के लिए आवेदन कर सकते हैं.

किसी भी नए या संशोधित कानून को लागू करने के लिए नियम अनिवार्य हैं. सामान्य रूप से इसके लागू होने के छह महीने के भीतर नियम तैयार किए जाते हैं.

इससे पहले भी बीते फरवरी महीने में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया था कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के तहत नियम बनाने में एक साल से अधिक की देरी हो चुकी है और नियमों को तैयार किया जा रहा है.

मालूम हो कि सीएए के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक समुदायों हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदाय के प्रताड़ित लोगों को भारत की नागरिकता दिए जाने का प्रावधान है.

इस कानून के तहत इन समुदायों के उन लोगों को भारत की नागरिकता दी जाएगी, जो इन तीन देशों में धार्मिक प्रताड़ता के कारण 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आए.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)