शापूरजी पालोनजी परिवार से संबंध रखने वाले साइरस मिस्त्री को अक्टूबर 2016 में टाटा संस के चेयरमैन पद से हटा दिया गया था. मिस्त्री ने रतन टाटा के पद से हटने के बाद 2012 में कमान संभाली थी. मामले की सुनवाई करते हुए 2019 में राष्ट्रीय कंपनी लॉ अपीलीय न्यायाधिकरण ने मिस्त्री को टाटा संस के कार्यकारी चेयरमैन पद पर बहाल करने का आदेश दिया था.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राष्ट्रीय कंपनी लॉ अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के 18 दिसंबर 2019 के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें साइरस मिस्त्री को ‘टाटा समूह’ का दोबारा कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त करने का आदेश दिया गया था.
मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे और जस्टिस एएस बोपन्ना और वी. रामासुब्रमणियन की पीठ ने टाटा समूह की अपील को स्वीकार करते हुए यह फैसला दिया.
पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘राष्ट्रीय कंपनी लॉ अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के 18 दिसंबर 2019 के आदेश को रद्द किया जाता है.’
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 17 दिसंबर को इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद तकरीबन पांच साल पुरानी इस कॉरपोरेट लड़ाई का अंत हो गया.
टाटा संस प्राइवेट लिमिटेड और साइरस इन्वेस्टमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ क्रॉस अपील दायर की थी, जिस पर शीर्ष न्यायालय का यह फैसला आया है.
आदेश में आगे कहा गया, ‘टाटा समूह की अपील को स्वीकार किया जाता है और शापूरजी पालोनजी (एसपी) समूह की अपील खारिज की जाती है.’
धनाढ्य शापूरजी पालोनजी परिवार से संबंध रखने वाले साइरस मिस्त्री को अक्टूबर 2016 में टाटा संस के चेयरमैन पद से हटा दिया गया था. वह टाटा संस के छठे चेयरमैन रहे. मिस्त्री ने रतन टाटा के पद से हटने के बाद 2012 में कमान संभाली थी. बाद में समूह के अंदर विवाद उठने पर उन्हें टाटा संस के निदेशक मंडल से भी निकाल दिया गया था.
साइरस मिस्त्री अभी शापूरजी पालोनजी एंड कंपनी के प्रबंध निदेशक हैं.
एनसीएलएटी ने अपने आदेश में 100 अरब डॉलर के टाटा समूह में साइरस मिस्त्री को कार्यकारी चेयरमैन पद पर बहाल कर दिया था.
शापूरजी पालोनजी (एसपी) समूह ने 17 दिसंबर को न्यायालय से कहा था कि अक्टूबर, 2016 को हुई बोर्ड की बैठक में मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाना ‘खूनी खेल’ और ‘घात’ लगाकर किया गया हमला था. यह कंपनी संचालन के सिद्धांतों के खिलाफ था.
वहीं टाटा समूह ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि इसमें कुछ भी गलत नहीं था और बोर्ड ने अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए मिस्त्री को पद से हटाया था.
टाटा-मिस्त्री विवाद
24 अक्टूबर 2016: साइरस मिस्त्री टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाए गए. रतन टाटा अंतरिम चेयरमैन बने.
20 दिसंबर 2016: मिस्त्री परिवार द्वारा समर्थित दो निवेश कंपनियां साइरस इन्वेस्टमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड और स्टर्लिंग इन्वेस्टमेंट्स कॉरपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड राष्ट्रीय कंपनी लॉ अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) की मुंबई बेंच में गई. उन्होंने टाटा संस पर अल्पांश शेयरधारकों के उत्पीड़न और कुप्रबंधन का आरोप लगाया. मिस्त्री को बर्खास्त करने की कार्रवाई को चुनौती दी गई.
12 जनवरी 2017: टाटा संस ने टीसीएस के तत्कालीन मुख्य कार्यपालक अधिकारी और प्रबंध निदेशक एन. चंद्रशेखरन को चेयरमैन बनाया.
6 फरवरी 2017: मिस्त्री को टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस के निदेशक मंडल से भी हटाया गया.
6 मार्च 2017: एनसीएलएटी मुंबई ने मिस्त्री परिवार की दो निवेश कंपनियों की अर्जी खारिज की. न्यायाधिकरण ने कहा कि अपीलकर्ता कंपनी में न्यूनमत 10 प्रतिशत मालिकाना हक के मानदंड को पूरा नहीं करता.
17 अप्रैल 2017: एनसीएलएटी मुंबई ने दोनों निवेश कंपनियों की उस याचिका को भी खारिज कर दिया, जिसमें अल्पांश शेयरधारकों के उत्पीड़न का मामला दर्ज कराने को लेकर कम-से-कम 10 प्रतिशत हिस्सेदारी के प्रावधान से छूट देने का आग्रह किया गया था.
27 अप्रैल 2017: ये निवेश कंपनियां अपीलीय न्यायाधिकरण में पहुंचीं .
21 सितंबर 2017: अपीलीय न्यायाधिकरण ने दोनों निवेश कंपनियों की उत्पीड़न और कुप्रबंधन के खिलाफ मामला दायर करने के लिए न्यूनतम हिस्सेदारी के प्रावधान से छूट देने के आग्रह वाली याचिका स्वीकार कर ली. हालांकि उसने मिस्त्री की दूसरी याचिका को खारिज कर दिया, जिसे एनसीएलएटी ने विचार करने लायक नहीं होने के आधार पर खारिज किया था.
अपीलीय न्यायाधिकरण ने एनसीएलएटी की मुंबई पीठ को नोटिस जारी करने और मामले में सुनवाई करने को कहा.
5 अक्टूबर 2017: निवेश कंपनियों ने दिल्ली में एनसीएलएटी की प्रधान पीठ से संपर्क कर पक्षपात का हवाला देते हुए मामले को मुंबई से दिल्ली स्थानांतरित करने का आग्रह किया.
6 अक्टूबर 2017: एनसीएलएटी की प्रधान पीठ ने याचिका खारिज कर दी और दोनों निवेश कंपनियों पर 10 लाख रुपये का जुर्माना थोपा.
9 जुलाई 2018: एनसीएलएटी मुंबई ने मिस्त्री की याचिका खारिज की, जिसमें टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाए जाने को चुनौती दी गई थी.
3 अगस्त 2018: दोनों निवेश कंपनियां एनसीएलएटी के आदेश के खिलाफ अपीलीय न्यायाधिकरण गईं.
29 अगस्त 2018: अपीलीय न्यायाधिकरण ने साइरस मिस्त्री की याचिका सुनवाई के लिए दाखिल कर ली.
18 दिसंबर 2019: अपीलीय न्यायाधिकरण ने मिस्त्री को टाटा संस का कार्यकारी चेयरमैन बहाल करने का आदेश दिया. मामले में अपील करने के लिए टाटा संस को चार सप्ताह का समय दिया गया.
2 जनवरी 2020: टाटा संस ने एनसीएलएटी के 18 दिसंबर 2019 के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी.
10 जनवरी 2020: उच्चतम न्यायालय ने एनसीएलएटी के फैसले पर रोक लगाई.
22 सितंबर 2020: उच्चतम न्यायालय ने शापूरजी पालोनजी समूह को टाटा संस में अपने शेयर गिरवी रखने से रोका.
8 दिसंबर 2020: विवाद में अंतिम सुनवाई शुरू.
17 दिसंबर 2020: न्यायालय ने विवाद में फैसला सुरक्षित रखा.
26 मार्च 2021: उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को एनसीएलएटी के 18 दिसंबर 2019 के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें साइरस मिस्त्री को ‘टाटा समूह’ का दोबारा कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त करने का आदेश दिया गया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)