केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और कांग्रेस नेताओं के बीच लीक हुई फोन बातचीत से राजस्थान में पैदा हुए सियासी उठापटक और अवैध फोन टैप के आरोपों के आठ महीने बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार ने दो हफ़्ते पहले फोन टैपिंग की पुष्टि की थी.
जयपुर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की शिकायत पर दिल्ली पुलिस ने शेखावत के फोन टैप किए जाने के संबंध में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए विशेष ड्यूटी अधिकारी (ओएसडी) लोकेश शर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है.
रिपोर्ट के अनुसार, शर्मा पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 409 (लोक सेवक के आपराधिक विश्वासघात) और 120 बी (आपराधिक साजिश की सजा) और भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है.
इससे पहले बीते रविवार को जोधपुर में शेखावत ने पिछले साल राजस्थान में सत्तारूढ़ कांग्रेस के भीतर बगावत के बीच नेताओं के फोन को कथित रूप से टैप कराये जाने के मामले की जांच कराने की मांग की थी. उन्होंने कहा था कि जो भी दोषी पाया जाये, उसके खिलाफ मुकदमा चलाया जाना चाहिए.
केंद्रीय जलशक्ति मंत्री ने कहा था कि यह प्रकरण जन प्रतिनिधियों और राज्य के लोगों की गोपनीयता पर एक हमला था.
शेखावत ने पत्रकारों से कहा था कि उन्होंने अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली राज्य सरकार द्वारा उन्हें निशाना बनाये जाने और राज्य के विशेष अभियान दल (एसओजी) द्वारा उनके खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज करने के खिलाफ दिल्ली पुलिस में एक शिकायत दर्ज कराई थी.
उन्होंने कहा था, ‘हैरानी की बात है कि एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के खिलाफ राजद्रोह के लिए एक मामला दर्ज किया गया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि राज्य सरकार को सत्ता से बेदखल करने की कोशिश की जा रही है और (इसे) 10 दिनों में वापस ले लिया गया.’
मंत्री ने कहा, ‘मामला दर्ज करने के बाद भी, कई कांग्रेस नेताओं और मंत्रियों ने कहा कि गजेंद्र सिंह अपनी आवाज के नमूने नहीं दे रहे हैं. मैं पूछना चाहता हूं कि वे किस मामले में मेरी आवाज के नमूने चाहते थे जबकि जिस मामले का उन्होंने उल्लेख किया है वह पहले ही उनके द्वारा वापस ले लिया गया है.’
शेखावत ने कहा, ‘मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) ने पहले दावा किया था कि कोई फोन टैपिंग कभी नहीं हुई थी, और अब राज्य के संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने विधानसभा में जवाब दिया कि रिकॉर्डिंग की गई थी लेकिन कानूनी रूप से.’
पुलिस में शिकायत दर्ज कराने संबंधी अपने फैसले का बचाव करते हुए मंत्री ने कहा कि चूंकि ये आरोप ‘मेरे चरित्र हनन का प्रयास थे और मेरी मानसिक शांति भंग कर रहे थे, मैं चाहता था कि इन आरोपों की जांच हो और पता चले कि कोई फोन टैपिंग हुई या नहीं और इसमें क्या प्रक्रिया अपनाई गई.’
उन्होंने यह भी पूछा कि यदि यह फोन टैपिंग कानूनी रूप से की गई थी तो यह मुख्यमंत्री के कार्यालय तक कैसे पहुंची और उनके विशेष कार्याधिकारी (ओएसडी) को यह कैसे मिल गई और इसे वायरल कर दिया.
राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट तथा कांग्रेस के 18 अन्य विधायकों ने पिछले साल जुलाई में गहलोत नेतृत्व के खिलाफ बागी तेवर अपना लिए थे, जिसके बाद राज्य में राजनीतिक संकट खड़ा हो गया था.
इस दौरान शेखावत तथा कांग्रेस नेताओं के बीच टेलीफोन पर हुई कथित बातचीत के ऑडियो क्लिप सामने आए थे और फोन टैपिंग को लेकर विवाद पैदा हो गया था.
ऑडियो क्लिप प्रसारित होने के एक दिन बाद राजस्थान पुलिस के विशेष अभियान समूह (एसओजी) ने उन्हें राज्य सरकार को गिराने की कथित साजिश बताते हुए शेखावत और शर्मा के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया था. हालांकि, बाद में आरोपों को वापस ले लिया गया और मामले को भ्रष्टाचार रोधी शाखा (एसीबी) के पास भेज दिया गया था.
वहीं, इसके बाद अगस्त में राजनीतिक खींचतान के बीच सचिन पायलट खेमे ने भी गहलोत सरकार पर विधायकों के फोन टैप करने का आरोप लगाया था. हालांकि पुलिस ने इस आरोपों से इनकार किया था.
इसके बाद राजस्थान पुलिस ने राज्य के पूर्व उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट के मीडिया मैनेजर और एक पत्रकार के खिलाफ विधायकों के फोन टैप करने संबंधी झूठी खबर चलाने के आरोप में मामला दर्ज किया था.
फोन टैपिंग के आरोपों के संबंध में केंद्र सरकार ने राज्य के मुख्य सचिव से रिपोर्ट भी मांगी थी.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल जुलाई में राजस्थान में भाजपा प्रवक्ता लक्ष्मीकांत भारद्वाज ने जयपुर के अशोक नगर पुलिस स्टेशन में लोकेश शर्मा और रणदीप सिंह सुरजेवाला, गोविंद डोटासरा और महेश जोशी जैसे कांग्रेस नेताओं के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की थी.
एफआईआर दर्ज न हो पाने पर वह इसकी मांग करते हुए अदालत भी गए. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के कार्यालय में हुई एक साजिश के तहत मीडिया में फर्जी ऑडियो प्रसारित कराए गए.
उस दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि मंत्रियों और विधायकों के फोन टैप करना उनकी सरकार का तरीका नहीं है.
हालांकि, दो हफ्ते पहले ही अवैध फोन टैप के आरोपों के सामने आने के आठ महीने बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार ने फोन टैप किए जाने की पुष्टि की थी.
यह पुष्टि राजस्थान विधानसभा की वेबसाइट पर अगस्त 2020 के विधानसभा सत्र के दौरान सरकार से पूछे गए एक सवाल के जवाब में हुई थी.
उल्लेखनीय है कि जुलाई-अगस्त 2020 में राजस्थान में करीब एक महीने तक सियासी खींचतान चली थी, जब कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने बगावत कर दी थी.
कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने 18 विधायकों के साथ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत करते हुए 12 जुलाई को दावा किया था कि उनके साथ 30 से अधिक विधायक हैं और अशोक गहलोत सरकार अल्पमत में है.
इसके बाद अशोक गहलोत ने दो बार विधायक दल की बैठक बुलाई थी, जिसमें पायलट और उनके समर्थक विधायक नहीं आए. इसके बाद पायलट को उपमुख्यमंत्री पद के साथ-साथ पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से भी हटा दिया गया था.
आखिर में 14 अगस्त को अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने विधानसभा में विश्वास मत जीत लिया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)