सीबीआई और एसआईटी ने कहा कि दोनों एजेंसियों ने बताया कि साल 2016 में उन्होंने दोनों मामलों में सुनवाई पर अंतरिम रोक का आग्रह किया था, क्योंकि तर्कवादी नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड की जांच कर रही सीबीआई दोनों हत्याओं में मौका-ए-वारदात पर मिलीं गोलियों की फॉरेंसिक रिपोर्ट का इंतज़ार कर रही थी. इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने फटकार लगाते हुए उनसे पूछा था कि दोनों मामलों में कब तक तहक़ीक़ात पूरी हो सकती है.
मुंबई: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और महाराष्ट्र सीआईडी की विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने मंगलवार को बॉम्बे उच्च न्यायालय को बताया कि वे तर्कवादी नरेंद्र दाभोलकर और गोविंद पानसरे की हत्याओं के सिलसिले में आरोपियों के खिलाफ मुकदमे शुरू करने के लिए तैयार हैं.
सीबीआई की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह और एसआईटी का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील अशोक मुंदर्गी ने कहा कि दोनों एजेंसियों ने हत्या के दोनों मामलों में मुकदमा चलाने पर अंतरिम रोक का आग्रह वर्ष 2016 में किया था.
उस वक्त एजेंसियों ने आरोप तय करने पर आपत्ति जताई थी, क्योंकि दाभोलकर हत्याकांड की जांच कर रही सीबीआई दोनों हत्याओं में मौका-ए-वारदात पर मिलीं गोलियों की फॉरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार कर रही थी.
विशेष अदालत ने तब मुकदमा चलाने पर रोक की अनुमति दे दी थी और इस रोक को वक्त-वक्त पर बढ़ाया जाता रहा. सिंह और मुंदर्गी ने कहा कि इसके बाद रोक को वापस ले लिया गया और मंगलवार को उन्होंने अपने उस आवेदन को वापस ले लिया, जिसके जरिये मामले की सुनवाई पर रोक लगाने का आग्रह किया गया था.
सिंह ने कहा, ‘हम दोनों मामलों में आरोपों को तय करने और मुकदमा शुरू करने के लिए तैयार हैं.’ विशेष जांच दल (एसआईटी) की ओर से मुंदर्गी ने भी इसी तरह का बयान दिया.
पीठ ने 12 मार्च को दोनों एजेंसियों- सीबीआई और सीआईडी को यह स्पष्ट करने को कहा था कि वे दोनों मामलों में कब तक अपनी तहकीकात पूरी कर सकती हैं. अदालत ने मामले की अगली सुनवाई (30 मार्च) तक दोनों एजेंसियों से जांच की प्रगति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था.
उस समय उच्च न्यायालय ने यह भी पूछा था कि कर्नाटक में तर्कवादी एमएम कलबुर्गी की हत्या के मुकदमे की सुनवाई कैसे शुरू हो गई जबकि पानसरे और दाभोलकर मामलों की जांच अब तक पूरी नहीं हुई है.
अदालत ने कहा था कि कर्नाटक में घटना महाराष्ट्र में हुए हत्याकांड के काफी बाद हुई थी.
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने मंगलवार को जस्टिस एसएस शिंदे और जस्टिस मनीष पिताले की पीठ को बताया कि कर्नाटक में अदालत केवल कुछ संबंधित विविध आवेदनों की सुनवाई कर रही है और (कलबुर्गी) मामले में आरोप पत्र अभी दायर नहीं हुआ है.
पुणे में 20 अगस्त, 2013 को दाभोलकर की सुबह की सैर के दौरान गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. गोविंद पानसरे को 16 फरवरी, 2015 को कोल्हापुर में गोली मारी गई थी और 20 फरवरी को उन्होंने दम तोड़ दिया था.
एमएम कलबुर्गी की 30 अगस्त, 2015 को कर्नाटक में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, अदालत दिवंगत कार्यकर्ताओं के परिजनों स्मिता पानसरे और मुक्ता दाभोलकर की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है.
वकील अभय नेगी के माध्यम से कार्यकर्ताओं के परिवार के सदस्यों ने अदालत से निगरानी की जांच की मांग की थी.
उन्होंने कहा था कि दोनों कार्यकर्ताओं की हत्या किए हुए लगभग आठ और पांच साल हो गए हैं, लेकिन एजेंसियां साजिशकर्ताओं को पकड़ नहीं पाईं और न ही जांच को समाप्त कर ट्रायल शुरू कर पाईं.
याचिकाकर्ताओं ने पीठ को बताया कि कर्नाटक में जांचकर्ताओं ने एमएम कलबुर्गी और गौरी लंकेश की हत्या में हमलावरों को पकड़ने में कामयाबी हासिल की थी, जो क्रमशः 2015 और 2017 में मारे गए थे और चार्जशीट दाखिल करने में सक्षम थे और परीक्षण शुरू हो गए थे.
अदालत को सूचित किया गया था कि सीबीआई ने दाभोलकर हत्या मामले में तीन आरोप पत्र दायर किए थे, वहीं एसआईटी ने पानसरे मामले में कोई प्रगति नहीं की थी.
मंगलवार को सीबीआई की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने सीलबंद लिफाफे में प्रगति रिपोर्ट अदालत में पेश की.
वहीं, राज्य एसआईटी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक मुंदर्गी ने जांच की स्थिति रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में पेश किया और बताया कि पानसरे हत्या मामले में 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जबकि दो फरार हैं.
उन्होंने कहा कि एसआईटी मुकदमे के लिए तैयार है और दो फरार आरोपियों के संबंध में जांच जारी रखेगी.
दोनों जांच एजेंसियों की बात सुनने के बाद अदालत ने जांच एजेंसियों द्वारा दिए गए बयानों को स्वीकार कर लिया और कहा कि मुकदमा शुरू होगा और वे अपनी जांच जारी रखेंगे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)