कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने अगले दो महीनों के लिए अपनी योजनाओं की घोषणा की. किसान नेताओं ने 10 अप्रैल को 24 घंटे के लिए कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेसवे को अवरुद्ध करने की बात कही है. आंदोलन के दौरान जिन किसानों की मौत हुई है, उनके सम्मान में छह मई को कार्यक्रम होगा.
नई दिल्ली: संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने बुधवार को कहा कि दिल्ली की सीमाओं पर नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान मई में ससंद तक पैदल मार्च करेंगे.
मोर्चा ने अगले दो महीनों के लिए अपनी योजनाओं की घोषणा करते हुए कहा, ‘मोर्चा की कल (मंगलवार) बैठक हुई थी जिसमें फैसला लिया गया कि किसान संसद तक मार्च करेंगे. मार्च की तिथि अब तक तय नहीं हुई है.’
किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा, ‘इसमें न केवल किसानों को, बल्कि महिलाओं, बेरोजगार व्यक्तियों और श्रमिकों को भी शामिल किया जाएगा, जो आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं.’
चढूनी ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि मार्च शांतिपूर्ण ढंग से निकाला जाएगा और इस बात का विशेष ध्यान रखा जाएगा कि 26 जनवरी को जो घटना हुई थी, उसकी पुनरावृत्ति नहीं हो.
नेताओं ने संसद मार्च में पुलिस कार्रवाई होने पर प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए एक समिति बनाने संबंधी अपनी योजना भी साझा की.
उन्होंने कहा, ‘प्रदर्शनकारियों को स्पष्ट कर दिया जाएगा कि एसकेएम सभी प्रकार की हिंसा की निंदा करता है, इसलिए प्रदर्शनकारियों को पता होना चाहिए कि अगर उनके द्वारा संपत्ति को कोई नुकसान हुआ है, तो उन्हें जुर्माना देना होगा.’
किसान नेताओं ने 10 अप्रैल को 24 घंटे के लिए कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेसवे को अवरुद्ध करने की भी घोषणा की.
एक अन्य किसान नेता ने कहा, ‘हम केएमपी एक्सप्रेसवे को 10 अप्रैल को 24 घंटे के लिए अवरुद्ध करेंगे, जो कि 10 अप्रैल को पूर्वान्ह्र 11 बजे से अगले दिन पूर्वान्ह्र 11 बजे तक होगा.’
उन्होंने कहा, ‘हम ऐसा इसलिए करेंगे क्योंकि सरकार हमारी नहीं सुन रही है. यह सो रही है. इस सरकार को जगाना है.’
आंदोलन के दौरान जिन किसानों की मौत हुई है, उनके सम्मान में छह मई को एक कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा. आंबेडकर जयंती और श्रमिक दिवस मनाने के लिए अलग-अलग कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे.
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक अपने विरोध प्रदर्शन को तेज करने की अन्य योजनाओं के बीच किसानों ने कहा कि वे 5 अप्रैल को भारतीय खाद्य निगम के कार्यालयों को अवरुद्ध करेंगे और 14 अप्रैल को भीम राव आंबेडकर की जयंती पर संविधान बचाओ दिवस मनाएंगे.
मालूम हो कि केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए कृषि से संबंधित तीन विधेयकों– किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020, किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020- के विरोध में पिछले चार महीने से किसान दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं.
केंद्र सरकार इन कानूनों को कृषि क्षेत्र में ऐतिहासिक सुधार के रूप में पेश कर रही है. हालांकि, प्रदर्शनकारी किसानों ने यह आशंका व्यक्त की है कि नए कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य की सुरक्षा और मंडी प्रणाली को खत्म करने का मार्ग प्रशस्त करेंगे तथा उन्हें बड़े कॉरपोरेट की दया पर छोड़ देंगे.
केंद्र और 41 प्रदर्शनकारी किसान यूनियनों के बीच 11 दौर की वार्ता हुई है लेकिन बेनतीजा रही है, हालांकि केंद्र ने 18 महीनों के लिए कानूनों के निलंबन सहित रियायतें देने की पेश की है, जिन्हें किसान संगठनों ने खारिज कर दिया है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)