कर्नाटक हाईकोर्ट ने बुधवार को मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के ख़िलाफ़ एक आपराधिक मामले की जांच का रास्ता साफ़ कर दिया, जिसमें कहा गया है कि उन्होंने जेडीएस के विधायक नागानगौड़ा कांडक को पैसे और एक मंत्री पद की पेशकश कर भाजपा में शामिल करने के लिए लुभाने की कोशिश की थी.
नई दिल्ली/बेंगलुरु: कर्नाटक हाईकोर्ट ने बुधवार को मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के खिलाफ एक आपराधिक मामले की जांच का रास्ता साफ कर दिया, जिसमें कहा गया है कि उन्होंने (येदियुरप्पा) जनता दल (सेक्युलर) यानी जेडीएस के विधायक नागानगौड़ा कांडक को पैसे और एक मंत्री पद की पेशकश कर भाजपा में शामिल करने के लिए लुभाने की कोशिश की थी.
यह मामला फरवरी, 2019 में तब दर्ज किया गया था जब येदियुरप्पा और भाजपा दोनों विपक्ष में थे और जेडीएस-कांग्रेस सरकार सत्ता में थी.
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस जॉन माइकल कुन्हा ने ऑपरेशन कमल में उनकी भूमिका के लिए येदियुरप्पा के खिलाफ जांच पर लगी रोक हटाने का आदेश पारित किया, जिसे एचडी कुमारस्वामी सरकार को गिराने के लिए कांग्रेस और जेडीएस के विधायकों को तोड़ने की भाजपा की साजिश के रूप में देखा गया.
देवदुर्गा पुलिस स्टेशन में दर्ज शिकायत में आरोप लगाया गया है कि येदियुरप्पा ने कांडक के बेटे शरनगौंडा पाटिल से मुलाकात की थी और उनसे उनके पिता को भाजपा में शामिल होने के लिए मनाने के लिए कहा था. कांडक जेडीएस विधायक हैं, जो गुरुमित्कल विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं.
शिकायतकर्ता ने फोन पर बातचीत का ऑडियो रिकॉर्डिंग भी उपलब्ध कराया.
2018 के विधानसभा चुनाव के बाद कर्नाटक में गठबंधन में सरकार बनाने वाली कांग्रेस-जेडीएस फरवरी 2019 में गिरने से बच गई थी.
हालांकि, जुलाई 2019 में सरकार तब गिर गई थी तब कांग्रेस और जेडीएस के 16 विधायकों ने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था और भाजपा में शामिल हो गए थे. इसके बाद येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी.
इससे पहले कम से कम चार मामलों में येदियुरप्पा को कर्नाटक हाईकोर्ट से झटका लग चुका है. पिछले महीने कर्नाटक हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार के मामलों के लिए गठित एक विशेष अदालत को निर्देश दिया था कि वह जुलाई 2016 में एक सत्र न्यायालय द्वारा येदियुरप्पा के खिलाफ हटाए गए एक पुराने मामले को बहाल करे.
इस साल जनवरी में येदियुरप्पा को तब झटका लगा जब हाईकोर्ट ने एक कार्यकर्ता जयकुमार हिरेमठ की शिकायत के आधार पर 2015 में उनके खिलाफ दर्ज भ्रष्टाचार के मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था, जहां मुख्यमंत्री पर 2010 में पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के परिवार के सदस्यों को सरकार द्वारा अधिगृहित की गई भूमि को जारी करने का आरोप है.
एक अन्य मामले में हाईकोर्ट ने येदियुरप्पा और एक अन्य पूर्व राज्य उद्योग मंत्री मुरुगेश निरानी के खिलाफ एक भ्रष्टाचार की शिकायत को बहाल करने के लिए याचिका दायर करने की अनुमति दी थी, जिसमें कथित तौर पर एक निजी निवेशक को 2011 में 26 एकड़ जमीन देने की प्रतिबद्धता जताई गई थी.
इससे पहले 23 दिसंबर को अदालत ने भूमि अधिसूचना वापस लेने के एक अन्य मामले में चल रही आपराधिक कार्रवाई रद्द करने के येदियुरप्पा के अनुरोध को खारिज कर दिया था.
ग्रामीण विकास मंत्री ने राज्यपाल से की मुख्यमंत्री येदियुरप्पा की शिकायत
कर्नाटक के ग्रामीण विकास मंत्री केएस ईश्वरप्पा ने बुधवार को राज्यपाल से मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के खिलाफ शिकायत की. उन्होंने मुख्यमंत्री पर उनके विभाग के मामलों में सीधा हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया.
शिवमोगा से भाजपा के वरिष्ठ नेता ईश्वरप्पा राज्यपाल वजुभाई वाला से मिले और उन्हें पांच पन्ने का पत्र सौंपा. इस पत्र में उन्होंने ‘गंभीर चूक और मुख्यमंत्री द्वारा निरंकुश तरीके से प्रशासन चलाए जाने’ के आरोप लगाए हैं.
वरिष्ठ मंत्री ने संवाददाताओं से कहा, ‘मुझे मेरे ग्रामीण विकास विभाग से संबंधित कुछ प्रशासनिक मामलों को राज्यपाल के संज्ञान में लाना था.’
उन्होंने कहा, ‘मैं विस्तार से कुछ भी नहीं कहना चाहता- मुझे जो कुछ भी साझा करना था, वो मैंने राज्यपाल से कर दिया है. शेष उन पर छोड़ दिया है.’ भाजपा सूत्रों ने मामले पर तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की.
अपने पत्र में ईश्वरप्पा ने कहा कि उन्हें दुख के साथ उनके विभाग से संबंधित मामलों में मुख्यमंत्री की हालिया कुछ कार्रवाई को राज्यपाल के संज्ञान में लाना पड़ रहा है. उनके मुताबिक, वह कार्रवाई विभाग के प्रभारी मंत्री के कार्यों में सीधा हस्तक्षेप है.
उन्होंने कहा कि यह ‘कर्नाटक कार्य संचालन नियमावली, 1977’ का भी स्पष्ट उल्लंघन है और राज्य प्रशासन के मामलों से संबंधित स्थापित परंपराओं और प्रक्रियाओं के भी खिलाफ है.
मंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री कार्यालय ने आरडीपीआर (ग्रामीण विकास और पंचायत राज विभाग) के प्रधान सचिव पर धन जारी करने के वास्ते सरकारी आदेश जारी करने के लिए दबाव डाला. इस पर उन्होंने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं की सलाह पर रोक लगा रखी थी.
उन्होंने कहा कि चार मार्च को उनकी अनदेखी करके 460 करोड़ रुपये के कार्यों को मंजूरी दे दी गई.
ईश्वरप्पा ने कहा कि यद्यपि उन्होंने दो आवंटनों और 65 करोड़ रुपये के एक अन्य आवंटन पर रोक लगा दी, लेकिन मुख्यमंत्री ने उनके अधिकार अपने हाथ में ले लिए.
मंत्री ने कहा कि गंभीर चूकों को उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, कर्नाटक के लिए भाजपा के प्रभारी महासचिव समेत अन्य वरिष्ठ नेताओं के संज्ञान में लाया है.
उनके अनुसार, नियमों का उल्लंघन करते हुए मुख्यमंत्री के काम करने की शैली की जानकारी उन्होंने इन नेताओं को दी है.
रिपोर्ट के अनुसार, पिछले महीने भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह को लिखे एक अन्य पत्र में ईश्वरप्पा ने आरोप लगाया कि गैर-भाजपा विधायकों के नेतृत्व वाले निर्वाचन क्षेत्रों को पर्याप्त आवंटन किया गया था.
हालांकि उन्होंने कहा था कि उस समय तक येदियुरप्पा के अधीन वित्त विभाग को आरडीपीआर विभाग को आवंटित 2,398 करोड़ रुपये जारी करना बाकी था.
उन्होंने आगे आरोप लगाया कि मौजूदा विकासात्मक योजनाओं और कार्यक्रमों की अनदेखी करते हुए विभाग विशेष अनुदान के रूप में बड़ी धनराशि को मंजूरी दे रहा था जो कि कुप्रबंधन को बढ़ावा दे रहा था.
उन्होंने कहा, वित्त विभाग की उपरोक्त कार्रवाइयों ने मुझे हमारी पार्टी के विधायकों और पार्टी कार्यकर्ताओं की नजर में शर्मनाक स्थिति में डाल दिया है, जो विपक्षी पार्टी के विधायकों के निर्वाचन क्षेत्रों के लिए विशेष अनुदान के आवंटन के बारे में बहुत महत्वपूर्ण हैं.
कभी एक-दूसरे के करीबी समझे जाने वाले ईश्वरप्पा और येदियुरप्पा के बीच में पिछले कुछ सालों में दूरियां बढ़ गई हैं.
साल 2017 में ईश्वरप्पा रायन्ना ब्रिगेड के साथ जुड़ गए थे जिसे भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के रूप में येदियुरप्पा के काम करने के तरीके के खिलाफ कदम के रूप में देखा गया था.
येदियुरप्पा इस्तीफा दें या फिर उन्हें पद से हटाया जाए: कांग्रेस
कांग्रेस ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के खिलाफ राज्य हाईकोर्ट के एक आदेश और प्रदेश सरकार के एक मंत्री के पत्र को लेकर बृहस्पतिवार को कहा कि येदियुरप्पा को तत्काल इस्तीफा देना चाहिए या फिर उन्हें पद से हटाया जाना चाहिए.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजीव शुक्ला ने यह भी कहा कि येदियुरप्पा के खिलाफ जांच का आदेश दिया जाना चाहिए.
शुक्ला ने संवाददाताओं से कहा, ‘हाईकोर्ट ने जो आदेश दिया है, वो गंभीर विषय है. इस मामले में निष्पक्ष जांच तभी हो सकती है जब येदियुरप्पा मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा या फिर उन्हें हटाया जाए.’
उन्होंने कहा, ‘कर्नाटक के ग्रामीण विकास मंत्री ईश्वरप्पा ने अपने विभाग के मामले में मुख्यमंत्री पर हस्तक्षेप करने और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है. यह भी बहुत गंभीर मामला है.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)