मालेगांव विस्फोट: कर्नल पुरोहित को सुप्रीम कोर्ट से मिली ज़मानत

एनआईए ने पुरोहित को ज़मानत देने का विरोध करते हुए कहा था कि उनके पास पुरोहित के ख़िलाफ़ पर्याप्त सबूत हैं.

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एनआईए ने पुरोहित को ज़मानत देने का विरोध करते हुए कहा था कि उनके पास पुरोहित के ख़िलाफ़ पर्याप्त सबूत हैं.

Colonel Purohit PTI
एनआईए ने पुरोहित को ज़मानत देने का विरोध करते हुए कहा था कि उनके पास पुरोहित के ख़िलाफ़ पर्याप्त सबूत हैं. (फोटो: पीटीआई)

उच्चतम न्यायालय ने 2008 में मालेगांव में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोट मामले में आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित को ज़मानत दे दी है.

जस्टिस आरके अग्रवाल और जस्टिस एएम सप्रे की पीठ ने बॉम्बे हाईकोर्ट के कर्नल पुरोहित को ज़मानत न देने के फैसले को दरकिनार करते हुए यह आदेश सुनाया है. हाईकोर्ट ने पुरोहित को ज़मानत देने से इनकार कर दिया था.

हालांकि सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि पुरोहित को ज़मानत कुछ शर्तों के आधार पर दी गई है.

पुरोहित ने उन्हें ज़मानत नहीं देने के बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. 17 अगस्त को पुरोहित ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि वे राजनीतिक खेल में फंस गये हैं और नौ वर्षों से जेल में बंद हैं.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक मामले की पिछली सुनवाई में एनआईए ने पुरोहित को ज़मानत देने का विरोध करते हुए कहा था कि उनके पास पुरोहित के ख़िलाफ़ पर्याप्त सबूत हैं.

उत्तरी महाराष्ट्र के नासिक जिले के सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील शहर मालेगांव में 29 सितंबर  2008 को हुए बम विस्फोट में सात लोग मारे गये थे.

विशेष मकोका अदालत ने पहले फैसला दिया था कि एटीएस ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, पुरोहित और नौ अन्य लोगों के ख़िलाफ़ ग़लत तरीके से मकोका क़ानून लगाया है.

चार हज़ार पन्नों के आरोप पत्र में यह आरोप लगाया गया है कि मालेगांव को मुसलमान बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण विस्फोट के लिए चुना गया था. इसमें साजिश करने वालों के रूप में साध्वी प्रज्ञा, कर्नल पुरोहित और सह-आरोपी के रूप में स्वामी दयानंद पांडेय का नाम था.

गौरतलब है कि प्रज्ञा ठाकुर को एनआईए द्वारा पिछले साल क्लीनचिट दे दी गई थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)