महाराष्ट्र के दो वकीलों ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि कोरोना टीकाकरण की दिशा में सरकार सराहनीय काम कर रही है, लेकिन घर से बाहर निकलने में असमर्थ लोगों को टीका लगाने पर कोई ठोस क़दम नहीं उठाए गए हैं. उन्होंने कहा कि यदि ऐसे लोगों को घर पर टीका नहीं लगाया जाता है तो यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उनके जीवन और अच्छे स्वास्थ्य के अधिकार का उल्लंघन होगा.
नई दिल्ली: बॉम्बे हाईकोर्ट में दो वकीलों ने याचिका दायर कर वृद्धों तथा विशेष रूप से सक्षम नागरिकों के घर जाकर कोविड-19 का टीका लगाने की मांग की है.
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र के वकीलों ध्रुति कपाड़िया और कुणाल तिवारी ने इस संबंध में नीति बनाने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि इसे लेकर एक हेल्पलाइन बनाई जाए, जिस पर कॉल करके वरिष्ठ नागरिक टीकाकरण के लिए बुकिंग करा सकेंगे.
इसके साथ ही याचिका में यह भी मांग की गई है कि यदि इस श्रेणी के नागरिकों को अस्पताल जाकर कोरोना वायरस का टीका लगवाने की जरूरत पड़ती है तो ऐसी स्थिति में एंबुलेंस की सुचारू व्यवस्था की जानी चाहिए, जो उन्हें घर से अस्पताल और अस्पताल से घर तक छोड़ने का काम करेगा.
इसके अलावा उन्होंने कहा है कि टीका लगवाने के लिए ऑनलाइन अपॉइंटमेंट करते वक्त आधार कार्ड या पैन कार्ड नंबर अनिवार्य नहीं किया जाना चाहिए.
याचिकाकर्ता ने कहा कि वैसे तो केंद्र एवं राज्य सरकारें टीकाकरण की दिशा में अभूतपूर्व कार्य कर रही हैं, लेकिन बेड पर पड़े हुए लोगों और नजदीकी सेंटर तक भी पहुंचने में अक्षम लोगों को टीका लगाने पर अभी तक विचार नहीं किया गया है.
याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि ऐसे कई सारे लोग हैं जो कि बीमार हैं और उन्हें टीका लगाने की सलाह दी गई है, लेकिन वे टीका इसलिए नहीं लगवा पा रहे हैं, क्योंकि वे सेंटर पर पहुंचने में असमर्थ हैं.
उन्होंने सरकार द्वारा चलाए जा रहे टीकाकरण अभियान की प्रशंसा करते हुए कहा कि 75 वर्ष से ऊपर और शारीरिक रूप से अक्षम या घर से बाहर निकलने में असमर्थ लोगों को उनके घर पर टीका लगाने के लिए सरकार को विचार करना चाहिए.
याचिकाकर्ताओं, जो कि सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं, ने दावा किया है कि उन्हें इस तरह की तकलीफों को लेकर कई सारे कॉल प्राप्त हुए हैं.
उन्होंने कहा कि यदि इस श्रेणी के लोगों को घर पर टीका नहीं लगाया जाता है तो यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उनके जीवन और अच्छे स्वास्थ्य के अधिकार का उल्लंघन होगा.
याचिकाकर्ताओं ने इस संबंध में मेडिकल विशेषज्ञ एवं मेडिकल तकनीकि की सहायता लेने के साथ-साथ ऐसे मामलों में प्रति व्यक्ति 500 रुपये तक की फीस लगाने का भी सुझाव दिया है, ताकि घर से बाहर निकलने में असमर्थ लोगों को घर पर ही टीका लगाया जा सके.