विधानसभा चुनाव राउंड-अप: असम में कांग्रेस के सहयोगी बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट के प्रत्याशी के भाजपा में शामिल होने पर पार्टी ने तमुलपुर निर्वाचन क्षेत्र में मतदान निलंबित करने की मांग की है. तृणमूल कांग्रेस ने कहा प्रधानमंत्री मोदी मज़ाकिया लहज़े में ममता को संबोधित कर महिलाओं का अपमान कर रहे हैं. डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन ने कहा कि पुदुचेरी में नरेंद्र मोदी ने अपने भाषणों में राज्य के दर्जे के बारे में कोई उल्लेख नहीं किया.
गुवाहाटी/नई दिल्ली: कोविड-19 की दूसरी लहर के कारण जहां एक बार फिर से लोगों से नियमों का सख्ती से पालन करने के लिए कहा जा रहा है और देश के कई राज्यों में लॉकडाउन लगाया जा रहा है तो वहीं असम सरकार में मंत्री और भाजपा नेता हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा है कि कोरोना असम से चला गया है और अब असम के लोगों को मास्क पहनने की जरूरत नहीं है.
लल्लनटॉप को दिए गए एक इंटरव्यू में असम के स्वास्थ्य मंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा कि लोगों को मास्क क्यों पहनना चाहिए और भय क्यों पैदा करना चाहिए, जब कोविड-19 ने असम छोड़ दिया है.
इतना ही नहीं जब उनसे कहा गया कि उनके बयान और केंद्र सरकार की सुरक्षा के लिए मास्क पहनने की अपील में विरोधाभास है तो उन्होंने कहा, ‘केंद्र आदेश और दिशानिर्देश दे सकता है, लेकिन असम के संदर्भ में आज कोविड-19 अस्तित्व में नहीं है. जब कोविड-19 लौटेगा, मैं लोगों को मास्क पहनने के लिए कहूंगा.’
विभिन्न राज्यों द्वारा कोविड 19 निर्देशों को मजबूत किए जाने के बावजूद वह ऐसा क्यों सोचते हैं कि मास्क की जरूरत नहीं है, इस पर उन्होंने कहा, ‘नहीं है तो नहीं है, मैं क्या करूं.’
हिमंता ने तब अपने तर्क को विस्तार से बताते हुए कहा कि सरकार राज्य की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है.
उन्होंने कहा, ‘अगर लोग मास्क पहनेंगे तो ब्यूटी पार्लर कैसे चलेंगे? ब्यूटी पार्लरों को भी चलना चाहिए. इसलिए मैंने लोगों से कहा कि यह एक अंतरिम राहत है. जिस दिन मुझे लगेगा कि कोविड-19 का खतरा है उस दिन लोगों को फिर से मास्क पहनने के लिए कह दिया जाएगा. इसके उल्लंघन पर 500 रुपये का जुर्माना होगा?’
बता दें कि असम के स्वास्थ्य मंत्री का ये बयान ऐसे समय आया है, जब भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के नए मामले हर दिन नई ऊंचाई छू रहे हैं. देश में रविवार को कोरोना वायरस संक्रमण के 93,249 नए मामले सामने आए जो इस साल एक दिन में आए कोविड-19 के सर्वाधिक मामले हैं. इसके साथ ही देश में संक्रमण के कुल मामलों की संख्या बढ़कर 12,485,509 हो गई है.
उन्होंने ये भी कहा कि बीहू पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं रहेगा और यह भव्य तरीके से मनाया जाएगा. हिमंता ने कहा, ‘अभी हम लोग धूमधाम से बीहू भी करने जा रहे हैं. मेरा विश्वास है कि बीहू में कोविड नहीं होगा.’
यह पूछे जाने पर कि इस संबंध में क्या उन्होंने विशेषज्ञों से बात की है या फिर प्रशासक के तौर पर ऐसी बात कर रहे हैं, इस पर उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों से बातचीत करने की कोई जरूरत नहीं है.
उन्होंने कहा, ‘विशेषज्ञों से बातचीत की कोई जरूरत नहीं है. हमने पिछले एक साल में कोविड को बहुत नजदीक से देखा है. यह (नियमों में छूट) एक राहत है. यह अंतिम राहत होने के साथ साथ अंतरिम राहत भी हो सकती है. जिस दिन हम रोजाना 100 केस से अधिक दर्ज करने लगेंगे, हम प्रेस कॉन्फ्रेंस कर लोगों से मास्क पहनना शुरू करने के लिए कहेंगे.’
उन्होंने कहा कि असम की अर्थव्यवस्था 18 से 19 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है और लोगों को राहत की जरूरत है क्योंकि उन्होंने एक साल के लिए तकलीफ उठाई है.
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, ‘कोविड और लॉकडाउन की बात करके भय पैदा करना ठीक नहीं. केंद्र को निर्देश जारी करने चाहिए और उन राज्यों, जहां तेजी से मामले बढ़ रहे हैं, को इनका कड़ाई से पालन करना चाहिए.’
Those who are making fun on my statement on mask, must come to Assam and see how we have contained COVID-19 in compare to the states like Delhi, Kerala, and Maharashtra along with impressive recovery of our economy.We will celebrate Bihu also with the same enthusiasm this year
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) April 4, 2021
इस बयान की आलोचना और मजाक बनाने पर उन्होंने रविवार को ट्वीट कर कहा, ‘मास्क को लेकर जो लोग मेरे बयान का मजाक बनाने रहे हैं, उन्हें असम जरूर आना चाहिए और देखना चाहिए कि दिल्ली, केरल और महाराष्ट्र की तुलना में कोविड को सीमित कर दिया है. इसके साथ ही अर्थव्यवस्था की प्रभावशाली वापसी हुई है.’
असम: कांग्रेस ने की तमुलपुर विधानसभा सीट पर चुनाव निलंबित करने की मांग
गुवाहाटी: कांग्रेस ने छह अप्रैल को असम विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण में तमुलपुर निर्वाचन क्षेत्र में मतदान निलंबित करने की मांग की है.
इस सीट से उसके सहयोगी दल बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) के प्रत्याशी रंगजा खुंगुर बासुमतारी चुनावों के बीच में ही भाजपा में शामिल हो गए हैं.
निर्वाचन आयोग के सूत्रों ने बताया कि आयोग ने इस विधानसभा क्षेत्र के चुनाव अधिकारी संजीव शर्मा की मौजूदगी में शनिवार को मामले पर सुनवाई की, लेकिन अभी किसी फैसले की घोषणा नहीं की गई है.
बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र के बक्सा जिले में तमुलपुर विधानसभा क्षेत्र से अपने उम्मीदवार के एक अप्रैल को भाजपा में शामिल होने के बाद बीपीएफ ने निर्वाचन आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी.
शनिवार रात को यहां मुख्य निर्वाचन अधिकारी को दी शिकायत में कांग्रेस की असम ईकाई के प्रमुख रिपुन बोरा ने उनसे बासुमतारी के खिलाफ उचित कार्रवाई करने का अनुरोध किया.
साथ ही उन्होंने चुनाव आयोग से असम के मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता हिमंता बिस्वा शर्मा के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का भी अनुरोध किया. शर्मा ने बीपीएफ प्रत्याशी के भाजपा में शामिल होने से पहले उनके साथ बैठक की थी.
बोरा ने कहा, ‘स्पष्ट है कि यह भारत के निर्वाचन आयोग की आदर्श आचार संहिता के साथ ही जनप्रतिनिधि कानून, 1951 के कई प्रावधानों का घोर उल्लंघन है. ऐसी परिस्थितियों में मैं आपसे बासुमतारी और हिमंता बिस्वा शर्मा के खिलाफ उचित और आवश्यक कार्रवाई करने का अनुरोध करता हूं. साथ ही मैं आपसे तमुलपुर निर्वाचन क्षेत्र में फौरन चुनाव प्रक्रिया रोकने का भी अनुरोध करता हूं.’
इस घटनाक्रम के बाद विपक्षी दलों ने भाजपा पर चुनाव पूर्व उम्मीदवारों की ‘खरीद-फरोख्त’ करने का आरोप लगाया है.
हिमंता की सजा में ढील देना चुनाव आयोग पर बड़ा सवाल खड़ा करता है: सीताराम येचुरी
गुवाहाटी: असम सरकार के मंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा के प्रचार करने पर लगाई गई पाबंदी में ढील देने पर चुनाव आयोग को आड़े हाथों लेते हुए माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने रविवार को कहा कि यह आयोग की तटस्थता पर ‘एक बड़ा सवाल’ है और उसे इस मुद्दे पर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए.
वरिष्ठ वामपंथी नेता ने गुवाहाटी संवाददाता सम्मेलन में दावा किया कि कांग्रेस नीत महागठबंधन असम में भारी बहुमत से सत्ता में आने जा रहा है और सरकार के गठन के बाद न्यूनतम साझा कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया जाएगा.
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘भारत के चुनाव आयोग की तटस्थता पर एक बड़ा सवाल है. हम चाहते हैं कि आयोग इस संदेह के बादल को दूर करे. यह न केवल चुनाव आयोग का कर्तव्य है बल्कि संविधान के प्रति उसकी जिम्मेदारी भी है.’
उन्होंने कहा कि शर्मा को तो बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट के प्रमुख हग्रामा मोहिलारी के विरूद्ध धमकी भरे बयान देने के लिए (चुनाव लड़ने से) अयोग्य ठहरा दिया जाना चाहिए था, जबकि उन पर चुनाव प्रचार के लिए लगाई गई 48 घंटे की पाबंदी शनिवार को घटाकर 24 घंटे कर दी गई.
चुनाव आयोग ने शर्मा के बिना शर्त माफी मांगने के बाद पाबंदी की अवधि घटा दी. शर्मा ने चुनाव आयोग को यह आश्वासन भी दिया था कि वह आदर्श आचार संहिता के प्रावधानों का पालन करेंगे.
येचुरी ने भाजपा के एक अन्य मंत्री पीयूष हजारिका की भी आलोचना की, जिन्होंने कथित रूप से दो पत्रकारों को एक अप्रैल को चुनाव के दूसरे चरण के दिन उनकी पत्नी के विवादास्पद प्रचार भाषण की रिपोर्टिंग करने को लेकर गंभीर परिणाम की धमकी दी. माकपा नेता ने आश्चर्य प्रकट किया कि चुनाव आयोग कोई कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा है?
असम चुनाव में कांग्रेस का सीएए पर ‘दुष्प्रचार’ असफल रहा: अनुराग ठाकुर
गुवाहाटी: केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने रविवार को कहा कि असम में कांग्रेस और अन्य पार्टियां नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का इस्तेमाल चुनाव में लोगों को भ्रमित करने के लिए ‘दुष्प्रचार’ के तौर पर कर रही हैं, लेकिन वे इसमें असफल रही हैं.
ठाकुर ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘यह दुष्प्रचार कि सीएए असमवासियों के अधिकारों के खिलाफ है, पूरी तरह से धराशायी हो गया है, क्योंकि लोगों ने विधानसभा चुनाव में इसे पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया है.’
उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों ने सीएए को लेकर खूब हो-हल्ला किया और चुनाव में यह धारणा बनाने की कोशिश की कि यह कानून यहां के लोगों के अधिकारों के खिलाफ है, परंतु झूठ के पांव नहीं होते.’
वित्त एवं निगम राज्यमंत्री ठाकुर ने कहा कि असम की जनता जानती है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार कोई भी कदम उनके हितों के खिलाफ नहीं उठाएगी.
विपक्षी कांग्रेस द्वारा चुनाव प्रचार के दौरान शुरू पांच गांरटी अभियान में वादा किया गया है कि अगर वह राज्य की सत्ता में आएगी तो सीएए लागू नहीं होगा और विधानसभा में इस पर सहमति नहीं देने की कार्रवाई की जाएगी.
राज्य में कांग्रेस-एआईयूडीएफ गठबंधन पर हमला करते हुए ठाकुर ने कहा, ‘इससे कांग्रेस की वोट बैंक के लिए तुष्टिकरण की नीति उजागर हुई है जिसका वह हमेशा से इस्तेमाल करती है.’
चुनाव बाद भी ‘महाजोत’ में बने रहेंगे एआईयूडीएफ और बीपीएफ: असम कांग्रेस अध्यक्ष
नई दिल्ली: कांग्रेस की असम इकाई के अध्यक्ष रिपुन बोरा ने विधानसभा चुनाव के नतीजे के बाद मौजूदा राजनीतिक समीकरण बदलने के किसी भी अंदेशे को खारिज करते हुए रविवार को उम्मीद जताई कि चुनाव बाद भी ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) और बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) ‘महाजोत’ का हिस्सा बने रहेंगे. उन्होंने कहा कि इन दोनों दलों ने ‘भाजपा से देश को बचाने’ का सार्वजनिक रूप से संकल्प लिया है.
बोरा ने यह भी कहा कि इस चुनाव में कांग्रेस की अगुवाई वाले इस गठबंधन के जीतने पर मुख्यमंत्री का फैसला कांग्रेस आलाकमान करेगा, हालांकि वह इस सरकार का हिस्सा जरूर होंगे.
बोरा का दावा है कि कांग्रेस की अगुवाई वाला गठबंधन 100 से अधिक सीट जीतेगा, क्योंकि भाजपा का ध्रुवीकरण का प्रयास पूरी तरह विफल रहा है और वह जनता का भरोसा खो चुकी है.
उन्होंने कहा, ‘इस चुनाव में जमीन पर कोई ध्रुवीकरण नहीं हुआ. भाजपा ने बहुत कोशिश की, लेकिन असम के लोगों ने इनको नहीं सुना. असम की जनता धर्मनिरपेक्ष है. लोग इन पर विश्वास नहीं कर रहे हैं.’
यह पूछे जाने पर कि जीतने पर कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री कौन होगा, असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष ने कहा, ‘मुख्यमंत्री के बारे में अभी कोई बात नहीं हो रही है. अभी हमारा मुख्य एजेंडा भाजपा को हर हालत में रोकना और मौजूदा सरकार को हटाना है. मुख्यमंत्री के बारे में बाद में फैसला होगा.’
उनकी खुद की दावेदारी से जुड़े सवाल पर बोरा ने कहा, ‘मैं तो कुछ नहीं कहूंगा. कांग्रेस की परंपरा है कि आलाकमान तय करता है कि मुख्यमंत्री कौन होगा. आलाकमान जो भी फैसला करेगा, उसे हम सभी लोग मानेंगे.’
इस सवाल पर कि क्या कांग्रेस की अगुवाई में सरकार बनने पर वह उसका हिस्सा होंगे, उन्होंने कहा, ‘जरूर.’
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें पूरा विश्वास है कि चुनाव के बाद किसी भी परिस्थिति में एआईयूडीएफ और बीपीएफ ‘महाजोत’ के साथ बने रहेंगे तो बोरा ने कहा, ‘हमें पूरी उम्मीद है कि वो हमारे साथ बने रहेंगे.’
उनके मुताबिक, ‘गठबंधन की घोषणा के समय एआईयूडीएफ और बीपीएफ ने मीडिया के सामने यह संकल्प लिया है कि उन्होंने विधायक और मंत्री बनने के लिए महागठबंधन नहीं किया है, बल्कि देश को भाजपा से बचाने के लिए महागठबंधन किया है. अगर उनकी यह राय है तो मुझे नहीं लगता कि वो हमें छोड़कर जाएंगे.’
असम विधानसभा चुनाव में 74 महिलाएं लड़ रही हैं चुनाव
गुवाहाटी: राजनीतिक पार्टियों ने असम की 49.35 प्रतिशत की महिला आबादी को रिझाने की कोशिश की है, लेकिन उन्होंने असम विधानसभा के तीन चरण के चुनाव के लिए केवल 74 महिला उम्मीदवारों को ही टिकट दिया है.
विधानसभा के पिछले दो चुनावों की तुलना में इस बार महिला उम्मीदवारों की संख्या कम है.
वर्ष 2016 का चुनाव 91 महिलाओं ने लड़ा था और आठ ने जीत हासिल की थी, जबकि 2011 में 85 महिलाएं चुनावी रण में उतरी थी और 14 विधानसभा पहुंची थीं, जो अब तक सबसे ज्यादा है.
असम की 126 सदस्यीय विधानसभा के लिए 946 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें से 74 महिलाएं हैं जो कुल प्रत्याशियों का महज़ 14 फीसदी है.
महागठबंधन का हिस्सा कांग्रेस ने नौ महिलाओं को टिकट दिया है, जबकि उसके गठबंधन सहयोगी एआईयूडीएफ, राष्ट्रीय जनता दल और बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) ने एक-एक महिला उम्मीदवार को चुनावी मैदान में उतारा है.
इस विधानसभा चुनाव में महागठबंधन ने कुल 12 महिला उम्मीदवार को टिकट दिया है, जो 2016 के विधानसभा चुनाव से कम है जब कांग्रेस ने 16 महिलाओं पर भरोसा जताया था.
इसी तरह से भाजपा ने सात महिलाओं को टिकट दिया है, जो पिछले चुनावों की तुलना में एक ज्यादा है. उसके गठबंधन सहयोगी असम गण परिषद ने दो महिलाओं को टिकट दिया है.
नवगठित असम जातीय परिषद (एजेपी) ने सात महिला उम्मीदवारों को उतारा है, जबकि अन्य नव गठित पार्टी रायजोर दल ने एक महिला को टिकट दिया है. एजेपी और रायजोर दल के उम्मीदवार निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं.
एसयूसीआई (सी) नाम की राजनीतिक पार्टी ने सबसे ज्यादा आठ महिलाओं को टिकट दिया है. इसके बाद वोटर्स इंटरनेशल पार्टी (वीपीआई) ने तीन और भारतीय गण परिषद ने दो महिलाओं को टिकट दिया है. वहीं 24 महिलाएं निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं.
मोदी मजाकिया लहजे में ममता को संबोधित कर महिलाओं का अपमान कर रहे हैं: तृणमूल
कोलकाता: पश्चिम बंगाल सरकार में मंत्री शशि पांजा सहित तृणमूल कांग्रेस की तीन महिला नेताओं ने रविवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव रैलियों में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को ‘उपहास करने के लहजे में’ संबोधित कर उनके प्रति असम्मान प्रकट कर रहे हैं.
कोलकाता में तृणमूल भवन में पत्रकारों को संबोधित करते हुए पांजा ने कहा कि मोदी द्वारा जनसभाओं में तंज भरे लहजे में ‘दीदी ओ दी’ का संबोधन किया जाना न केवल बनर्जी का बल्कि बंगाल की महिलाओं का अपमान है.
उन्होंने कहा, ‘भाजपा द्वारा हमारी मुख्यमंत्री को प्रताड़ित करने और तंग करने के कई तरीकों में यह एक तरीका है. प्रधानमंत्री का यह व्यवहार महिलाओं के उत्पीड़न के समान है. हम पश्चिम बंगाल के लोगों पर छोड़ते हैं कि वह माकूल जवाब मोदी और अमित शाह (केंद्रीय गृहमंत्री) को दें.’
तृणमूल कांग्रेस नेता अनन्या चक्रवर्ती ने कहा कि प्रधानमंत्री ने एक महिला को इस तरह से संबोधित कर अपनी पुरुषवादी मानसिकता प्रदर्शित की है, क्योंकि वे ‘आसान निशाना’ हैं.
तृणमूल कांग्रेस के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष अग्निमित्रा पॉल ने कहा कि बनर्जी को प्रधानमंत्री और शाह के बारे में बात करने के दौरान इस्तेमाल की गई भाषा पर आत्मचिंतन करना चाहिए.’
पॉल ने कहा, ‘हमारी माननीय मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह जी को चुनावी रैलियों में कैसे संबोधित किया? कैसे उन्होंने जेपी नड्डा (भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष) को संबोधित किया?’
उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस के पास कोई मुद्दा नहीं है तो वह मोदी और रैलियों में उनके बोलने के लहजे को गलत तरीके से निशाना बना रही है.
मतदान केंद्र पर बाहरी लोगों की मौजूदगी के ममता के दावे को चुनाव आयोग ने गलत बताया
नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को कड़े शब्दों में लिखे एक प्रत्युत्तर में नंदीग्राम में एक मतदान केंद्र पर बाहरी लोगों की उपस्थिति के बारे में उनके दावे को ‘तथ्यात्मक रूप से गलत’ बताया और उसे खारिज कर दिया.
एक अप्रैल को नंदीग्राम में मतदान प्रक्रिया में अनियमितता का आरोप लगाते हुए बनर्जी द्वारा की गई एक शिकायत के जवाब में चुनाव आयोग ने शनिवार को बनर्जी को पत्र भेजा.
चुनाव आयोग ने अपने बिंदुवार प्रत्युत्तर में कहा कि बोयल में एक मतदान केंद्र पर बाहरी लोगों की उपस्थिति और बूथ कैप्चरिंग के बारे में बनर्जी के पत्र से पहले ‘पूरे देश में व्यापक कवरेज सामने आया था, जिसमें दर्जनों ऑडियो-विजुअल शॉट दिखाए गए थे. जिनमें इस मतदान केंद्र में आपकी मौजूदगी के साथ ही पश्चिम बंगाल की सरकार के साथ काम करने वाले कुछ अधिकारियों, अर्धसैनिक बलों और अंततः चुनाव आयोग पर वस्तुत: आरोपों की बौछार करते दिखाया गया था.’
चुनाव आयोग ने अपने पर्यवेक्षकों सहित जमीनी स्तर से प्राप्त रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहा, ‘यह उन सभी रिपोर्टों के अवलोकन से स्पष्ट है कि आपके द्वारा हाथ से लिखे गए पत्र में लगाए गए आरोप तथ्यात्मक रूप से गलत हैं, बिना किसी साक्ष्य के हैं.’
आयोग ने कहा कि यह बहुत ही खेद की बात है कि ‘सबसे बड़े हितधारकों यानी मतदाताओं को गुमराह करने के लिए एक उम्मीदवार द्वारा, जो राज्य की मुख्यमंत्री हैं’ हरेक घंटे ‘मीडिया विमर्श’ बुनने का प्रयास किया गया.
वीडियो वायरल होने के बाद विवादों में घिरीं तृणमूल कांग्रेस की उम्मीदवार कौशानी मुखर्जी
कोलकाता: अदाकारा से तृणमूल कांग्रेस की प्रत्याशी बनीं कौशानी मुखर्जी शनिवार को विवादों में घिर गईं जब उनका एक कथित वीडियो सामने आया, जिसमें वह यह कहते हुए नजर आईं कि ‘घर पर मां, बहन हैं तो वोट देने से पहले कृपया एक बार सोच लें.’
कौशानी दो महीने पहले तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुई थीं और कृष्णानगर सीट से मुकाबले में हैं. उन्होंने दावा किया कि भाजपा के आईटी सेल ने उनके बयान के सिर्फ एक हिस्से को सामने रखा और इसे अलग रंग दे दिया.
"Everyone’s got mothers & sisters at home, think before you vote" – Kaushani Mukherjee, TMC candidate from Krishnanagar North.
This is how she threatened the women of Bengal, this is Pishi’s culture. The women of Bengal are definitely not safe under Pishi’s rule. pic.twitter.com/sdvPrbkUND
— BJP Bengal (@BJP4Bengal) April 2, 2021
कौशानी ने एक बयान में कहा, ‘मैंने इस तथ्य को रेखांकित किया था कि बंगाल महिलाओं के लिए सुरक्षित स्थान है. यह राज्य भाजपा शासन वाले उत्तर प्रदेश की तरह नहीं है, जहां हाथरस कांड हुआ. भाजपा के आईटी सेल ने ओछी राजनीति के लिए इस वीडियो को काट-छांट कर पेश किया.’
कौशानी ने अपने फेसबुक पेज पर एक वीडियो पोस्ट कर इसे अपना मूल बयान बताया. इसमें वह अपने निर्वाचन क्षेत्र में प्रचार करती हुई दिखीं और मतदाताओं से कह रही थीं, ‘आपके घर पर मां-बहन हैं, भाजपा को वोट करने से पहले दो बार सोच लीजिए.’
वीडियो में कौशानी यह भी कहते हुए दिखीं, ‘दीदी के बंगाल में महिलाएं सुरक्षित हैं. अगर आप चाहते हैं कि भाजपा शासित उत्तर प्रदेश के हाथरस जैसी घटना बंगाल में न हो तो भाजपा को वोट न दें.’
अदाकारा से भाजपा नेता बनीं रूपा भट्टाचार्य ने एक पोस्ट में कौशानी पर निशाना साधते हुए कहा, ‘आपके बयानों ने सबको शर्मसार कर दिया है. ’
वहीं, तृणमूल कांग्रेस की मंत्री शशि पांजा ने कहा कि कौशानी के बयान को वीडियो में काट-छांट कर पेश किया गया और पूरा बयान नहीं दिखाया गया.
बंगाल में चौथे चरण के 22 फीसदी प्रत्याशियों ने आपराधिक मामलों की जानकारी दीः एडीआर
नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के चौथे चरण में चुनाव मैदान में मौजूद 372 उम्मीदवारों में 22 फीसदी ने हलफनामों में अपने विरूद्ध आपराधिक मामले लंबित रहने की घोषणा की है. एसोसिएशन फोर डेमोक्रेटिक रिफोर्म्स (एडीआर) ने यह जानकारी दी.
पश्चिम बंगाल इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फोर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने 10 अप्रैल के चौथे चरण के 373 प्रत्याशियों में 372 के हलफनामों का विश्लेषण किया.
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘जिन 372 उम्मीदवारों का विश्लेषण किया गया, उनमें 81 (यानी 22 फीसदी) ने अपने विरूद्ध आपराधिक मामले लंबित होने की घोषणा कर रखी है और 65 (यानी 17 फीसदी) ने अपने विरूद्ध गंभीर आपराधिक मामले दर्ज होने की बात स्वीकारी है.’
एडीआर ने कहा कि 17 फीसदी प्रत्याशी 65 करोड़पति हैं .
एडीआर ने कहा कि बड़े दलों में विश्लेषण से गुजरे भाजपा के 44 प्रत्याशियों में 27 (61 फीसदी), माकपा के 22 में से 16 (73फीसदी), कांग्रेस के नौ में से दो (22फीसदी), एआईटीसी के 44 में से 17 (39फीसदी) तथा एसयूसीआई (सी) के 26 में से एक (चार प्रतिशत) ने अपने हलफनामों में अपने विरूद्ध आपराधिक मामले लंबित रहने की घोषणा की है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि बड़े दलों में विश्लेषण से गुजरे भाजपा के 44 प्रत्याशियों में 24 (55 फीसदी), माकपा के 22 में से 10 (45 फीसदी), एआईटीसी के 44 में से 17 (39 फीसदी) तथा एसयूसीआई (सी) के 26 में से एक (चार प्रतिशत) ने अपने हलफनामों में अपने विरूद्ध गंभीर आपराधिक मामले लंबित रहने की घोषणा की है.
उन्नीस उम्मीदवारों ने हलफनामों में घोषणा की है कि महिला के विरूद्ध अपराध से जुड़े मामले उनके खिलाफ लंबित हैं जबकि चार ने अपने खिलाफ हत्या के मामले लंबित रहने की बात कबूली है.
केरल: राहुल गांधी ने हर गरीब को छह हजार रुपये प्रति माह देने का वादा किया
वायनाड (केरल): केरल में छह अप्रैल को होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रविवार कहा कि यूडीएफ की सरकार बनने पर ‘न्यूनतम आय योजना’ (न्याय) के तहत राज्य के हर गरीब व्यक्ति को ‘निश्चित रूप से’ हर महीने छह हजार रुपये मिलेंगे.
मानन्थावाद्य वेल्लमुंडा में आयोजित यूडीएफ की बैठक में गांधी ने कहा, ‘यूडीएफ कुछ क्रांतिकारी प्रस्ताव कर रहा है. किसी भी भारतीय राज्य में पहले कभी ऐसा प्रयास नहीं किया गया है.’
तिरूनेल्ली में भगवान महाविष्णु के प्राचीन मंदिर में पूजा-अर्चना करने के बाद सभा स्थल पर पहुंचे गांधी ने कहा कि न्याय का विचार बहुत सामान्य है.
लोकसभा में वायनाड सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, ‘विचार यह है कि हम केरल के सबसे गरीब लोगों के हाथों में पैसा सीधे देने जा रहे हैं. छोटी रकम नहीं. केरल के हर गरीब व्यक्ति को निश्चित रूप से छह हजार रुपये महीना- 72,000 रुपये प्रति वर्ष- उसके खाते में मिलेंगे.’
गांधी ने अपनी जनसभाओं में न्याय योजना पर तवज्जो बढ़ा दी है. जाहिर तौर पर वह सत्तारूढ़ वाम सरकार का मुकाबला करने के लिए ऐसा कर रहे हैं, जो अहम चुनाव जीतने के लिए पिछले पांच वर्षों में लागू की गई कल्याणकारी योजनाओं को मुद्दा बना रही है.
बीते पांच सालों में पी. विजयन नीत एलडीएफ सरकार ने बुजुर्गों की पेंशन में काफी बढ़ोतरी की है. वर्ष 2016 में जब यूडीएफ सत्ता से गई थी तो यह कल्याणकारी पेंशन 600 रुपये थी, जो अब 1600 रुपये प्रति महीना है.
तमिलनाडु के लोगों ने एआईएडीएमके-भाजपा गठबंधन को स्वीकार नहीं किया है: कांग्रेस नेता
इरोड: कांग्रेस के तमिलनाडु इकाई के प्रभारी दिनेश गुंडु राव ने शनिवार को कहा कि राज्य की जनता ने एआईएडीएमके-भाजपा गठबंधन को स्वीकार नहीं किया है और छह अप्रैल को होने वाले विधानसभा चुनाव में डीएमके की अगुवाई वाला मोर्चा विजयी होगा.
इरोड पूर्व विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी तिरुमगन इवेरा के पक्ष में प्रचार करते हुए राव ने कहा कि तिरुमगन ईवीआर पेरियार के पड़पोते और पार्टी की राज्य इकाई के पूर्व अध्यक्ष ईवीकेएस इलनगोवन के बेटे हैं तथा दोनों अपनी ईमानदारी और आत्मसम्मान के लिए जाने जाते हैं.
कांग्रेस नेता ने डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन की बेटी के घर आयकर के छापे की निंदा की और कहा कि भाजपा ने डीएमके-कांग्रेस और अन्य दलों वाले ‘धर्मनिरपेक्ष प्रगतिशील मोर्चा’ को बदनाम करने के लिए सरकारी एंजेसी का इस्तेमाल छापे डालने के लिए करके लोकतंत्र को बर्बाद किया है.
उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि डीएमके गठबंधन को राज्य में 180से अधिक सीटें मिल रही हैं और उसकी सरकार बनेगी.
कांग्रेस प्रत्याशी तिरुमगन इवेरा ने कहा, ‘अगर मैं चुना जाता हूं तो मैं केवल विधायक पद का वेतन लूंगा, कोई रिश्वत नहीं लूंगा.’
पुदुचेरी में मोदी ने भाषणों में राज्य के दर्जे के बारे में कोई उल्लेख नहीं किया: स्टालिन
पुदुचेरी: डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन ने शनिवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजग की चुनावी सभाओं को संबोधित करने के लिए दो बार पुदुचेरी का दौरा किया, लेकिन उन्होंने एक बार भी केंद्र शासित प्रदेश के लोगों की उम्मीदों का कोई उल्लेख नहीं किया.
स्टालिन ने यहां छह अप्रैल को होने वाले विधानसभा चुनाव में धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गठबंधन (एसएडी) में शामिल कांग्रेस, डीएमके, वीसीके और भाकपा के उम्मीदवारों का परिचय देते हुए कहा, ‘प्रधानमंत्री ने पुदुचेरी को राज्य का दर्जा देने और 8,600 करोड़ रुपये की ऋण माफी की भी कोई घोषणा नहीं की.’
उन्होंने आरोप लगाया कि तत्कालीन उपराज्यपाल किरण बेदी का इस्तेमाल करके केंद्र की राजग सरकार ने पुदुचेरी में लोकतांत्रिक तरीके से चुनी सरकार को सत्ता से बेदखल करा दिया.
स्टालिन ने कहा कि भाजपा केंद्रशासित प्रदेश पर नजर केवल सागर माला योजना के तहत उसके प्राकृतिक संसाधनों को हथियाने के लिए गड़ाए हुए है, जो कि बंदरगाह विकास को बढ़ावा देने की परियोजना है.
उन्होंने कहा कि डीएमके तमिलनाडु के चुनाव में आसानी से जीत दर्ज करेगी और सरकार बनाने के बाद पार्टी राज्य में लोगों के लिए कई कल्याणकारी योजनाओं को लागू करेगी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)