उत्तर प्रदेश पुलिस ने पिछले साल पांच अक्टूबर को हाथरस जाने के रास्ते में केरल के एक पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन समेत चार युवकों को गिरफ़्तार किया था. यूपी सरकार ने कोर्ट में दाख़िल हलफ़नामे में दावा किया है कि सिद्दीक़ कप्पन पत्रकार नहीं, बल्कि अतिवादी संगठन पीएफआई के सदस्य हैं.
मथुरा: उत्तर प्रदेश पुलिस की विशेष कार्य बल (एसटीएफ) की नोएडा इकाई ने पत्रकार सिद्दिक कप्पन और सात अन्य लोगों के खिलाफ मथुरा की एक अदालत में हाथरस गैंगरेप और हत्या के बाद राजद्रोह, आपराधिक साजिश, जातीय हिंसा उकसाने, आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन मुहैया कराने तथा अन्य आरोपों पर शनिवार को आरोप पत्र दाखिल किया.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, यह आरोप पत्र करीब 5000 पन्नों का है, जिसे मथुरा के अतिरिक्ज जिला जज की अदालत में बीते शनिवार को दाखिल किया गया.
जहां राज्य की पुलिस ने दावा किया कि कप्पन क्षेत्र में शांति व्यवस्था बिगाड़ने की साजिश का हिस्सा थे तो वहीं उनके वकील इस बात पर डटे रहे कि वह हाथरस की 19 वर्षीय दलित लड़की के गैंगरप और हत्या मामले को रिपोर्ट करने के लिए गए थे.
उन पर आईपीसी की धारा 124ए (देशद्रोह), 153ए (शत्रुता को बढ़ावा देना) और 295ए (अपमानजनक भावनाएं), यूएपीए और आईटी अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं.
यूपी स्पेशल टास्क फोर्स की नोएडा विंग द्वारा तैयार की गई चार्जशीट शनिवार को मथुरा के अतिरिक्त जिला जज की अदालत में पेश की गई.
कप्पन के अलावा इसमें नामित अन्य लोग पीएफआई के सदस्य अतीक-उर-रहमान, मसूद अहमद, रऊफ शरीफ, अंसाद बदरुद्दीन और फिरोज खान हैं.
इसके साथ की कप्पन की गाड़ी चला रहे मोहम्मद आलम और उनके रिश्तेदार मोहम्मद दानिश का भी इसमें नाम है. दानिश ने गिरफ्तारी से अंतरिम रोक प्राप्त कर ली है, जबकि अन्य न्यायिक हिरासत में हैं.
एसटीएफ अधिकारी विनोद सिरोही ने कहा, ‘अदालत ने चार्जशीट का संज्ञान लिया जो लगभग 5,000 पन्नों का है. दस्तावेजों में हमारी जांच और उन व्यक्तियों के खिलाफ हमारे निष्कर्षों का विवरण है जो हाथरस और अन्य जगहों पर जाने के रास्ते में गिरफ्तार किए गए थे.’
अधिकारियों ने कहा कि चार्जशीट में पुलिस के आरोपों का समर्थन करने के लिए 50 से अधिक गवाहों की सूची है. इसमें कहा गया है कि यह पता चला है कि आरोपी बलात्कार और हत्या के विरोध के बीच क्षेत्र में कानून और व्यवस्था की समस्याओं का कारण बनना चाहते थे.
जिला शासकीय अधिवक्ता शिवराम सिंह ने कहा कि सुनवाई की अगली तारीख 1 मई तय की गई है और अदालत ने दानिश को नोटिस जारी किया है.
सिंह ने बताया, ‘खुफिया एजेंसियों से मिली सूचना के आधार पर दिल्ली से हाथरस जाते समय यमुना एक्सप्रेस-वे पर मांट टोल चौकी पर गिरफ्तार किए गए पीएफआई/सीएफआई के चार सदस्यों- कप्पन सिद्दीक, मोहम्मद आलम, मसूद अहमद व अतीक-उर-रहमान तथा उनसे पूछताछ के बाद केरल में गिरफ्तार किए गए उनके संगठन के राष्ट्रीय महासचिव रऊफ शरीफ व लखनऊ में पकड़े गए मुखिया अंसाद बदरुद्दीन एवं फिरोज खान सहित एक अन्य सदस्य दानिश के विरुद्ध एसटीएफ ने अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (प्रथम) अनिल कुमार पांडेय की अदालत में लंबी-चौड़ी चार्जशीट पेश की.’
उन्होंने बताया कि जिला कारागार में निरुद्ध चल रहे सिद्दीकी, मसूद, आलम, अतीक-उर-रहमान व केरल से लाए गए रऊफ शरीफ को अदालत में पेश किया गया था, जबकि बदरुद्दीन व फिरोज खान की पेशी ऑनलाइन कराई गई.
बता दें कि कप्पन को पिछले साल पांच अक्टूबर को हाथरस जाते समय गिरफ्तार किया गया था. हाथरस में एक दलित युवती से चार लोगों ने कथित तौर पर बलात्कार किया था और उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई थी.
पुलिस ने तब कहा था कि उसने चार लोगों को मथुरा में पीएफआई के साथ कथित संबंध के आरोप में गिरफ्तार किया और चारों की पहचान केरल के मलप्पुरम के सिद्दीक कप्पन, उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के अतीक-उर-रहमान, बहराइच के मसूद अहमद और रामपुर के मोहम्मद आलम के तौर पर हुई है.
उनके खिलाफ मांट थाने में आईपीसी की धारा 124ए (राजद्रोह), 153ए (दो समूहों के बीच वैमनस्य बढ़ाने) 295ए (धार्मिक भावनाएं आहत करने), यूएपीए की धारा 65, 72 और आईटी एक्ट की धारा 76 के तहत मामला दर्ज किया गया है.
उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर दावा किया है कि सिद्धीक कप्पन पत्रकार नहीं हैं, बल्कि अतिवादी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के सदस्य हैं.
यूपी सरकार का कहना है कि कप्पन पत्रकारिता की आड़ में जातीय तनाव पैदा करने और कानून व्यवस्था बिगाड़ने की निश्चित योजना के तहत हाथरस जा रहे थे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)