उत्तराखंड में इस साल सर्दियों में सामान्य से कम बारिश होने के कारण जंगल में आग लगने की घटनाएं ज़्यादा हो रही हैं. मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत द्वारा बुलाई गई बैठक में अधिकारियों ने बताया कि इस ‘फायर सीज़न’ में अब तक जंगल में आग लगने की 983 घटनाएं हुई हैं, जिससे 1,292 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है.
देहरादून: उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग ने रविवार को कम से कम चार लोगों की मौत हो गई और आग की चपेट में आकर सात जानवर भी जान गंवा चुके हैं.
समाचार एजेंसी एएनआई ने रविवार को बताया कि बीते 24 घंटे के दौरान 62 हेक्टेयर क्षेत्र के जंगलों में आग लगी थी. केंद्र सरकार ने आग पर काबू पाने के प्रयास में मदद के लिए रविवार को दो हेलीकॉप्टर भेजे हैं.
Uttarakhand: 4 persons & 7 animals died in fire that broke out in 62 hectares of forest area in last 24 hours
"12,000 guards & fire watchers of state forest dept deployed to douse fire. Fire destroyed property worth Rs 37 lakhs so far," says Principal Chief Conservator (fire) pic.twitter.com/nklHovXDKZ
— ANI (@ANI) April 4, 2021
गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर कहा, ‘उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग के संबंध में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत से बात की है. आग पर काबू पाने और जानमाल के नुकसान को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने एनडीआरएफ की टीम और हेलीकॉप्टर उत्तराखंड सरकार को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है.’
आग की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने तत्काल प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों, वन विभाग, आपदा प्रबंधन विभाग और सभी जिलाधिकारियों की आपात बैठक बुलाई और स्थिति से निपटने के लिए उठाए जा रहे कदमों का जायजा लिया.
उत्तराखंड में इस साल सर्दियों में सामान्य से कम बारिश होने के कारण जंगल में आग लगने की घटनाएं ज्यादा हो रही हैं. बैठक में बताया गया कि इस ‘फायर सीजन’ में अब तक जंगल में आग लगने की 983 घटनाएं हुई हैं, जिससे 1,292 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है.
वर्तमान में 40 जगहों पर आग लगी हुई है. जंगल में आग लगने से नैनीताल, अल्मोड़ा, टिहरी गढ़वाल और पौड़ी गढ़वाल जिले अधिक प्रभावित है. आग को रोकने के लिए 12 हजार वनकर्मी लगे हुए हैं जबकि 1,300 फायर क्रू स्टेशन बनाए गए हैं.
संवेदनशीलता को देखते हुए वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के अवकाश पर रोक के निर्देश दिए हैं। प्रदेश भर में तैनात किए गए फायर वाॅचर्स को भी जंगलों पर 24 घंटे निगरानी करने के निर्देश दिए हैं। 2/2
— Tirath Singh Rawat (@TIRATHSRAWAT) April 4, 2021
मुख्यमंत्री के निर्देश पर वन विभाग के सभी अधिकारियों के अवकाश पर रोक लगा दी गई है. सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को अपने कार्यक्षेत्र में बने रहने को कहा गया है. प्रदेश भर में तैनात किए गए फायर वाचर्स को चौबीसों घंटे निगरानी करने के निर्देश दिए गए हैं. राज्य और केंद्र इसे लेकर लगातार संपर्क में हैं.
मुख्यमंत्री रावत ने बताया कि प्रदेश में जंगल में आग लगने की बढ़ती घटनाओं पर काबू पाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा दो हेलीकॉप्टर उपलब्ध कराए गए हैं.
उन्होंने बताया कि इस संबंध में उनकी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से फोन पर बात हुई थी, जिसमें उन्होंने उत्तराखंड को हर संभव सहायता के प्रति आश्वस्त किया.
मुख्यमंत्री ने बताया कि एक हेलीकॉप्टर गढवाल क्षेत्र के गौचर में रहेगा, जो श्रीनगर से पानी लेगा जबकि दूसरा हेलीकॉप्टर कुमाउं क्षेत्र के हल्द्वानी में रहेगा और भीमताल झील से पानी लेगा.
रावत ने कहा कि जंगल की आग से न सिर्फ वन संपदा की हानि हो रही है बल्कि वन्यजीवों को भी नुकसान हो रहा है. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की वन संपदा सिर्फ राज्य की ही नहीं बल्कि पूरे देश की धरोहर है और इसे सुरक्षित और संरक्षित रखने के लिए सरकार कृतसंकल्प है.
बैठक में उन्होंने कहा कि जंगल में आग लगने की घटनाओं की सूचना नियंत्रण कक्ष को अविलंब मिले और प्रतिक्रिया समय बेहतर किया जाए. उन्होंने इसमें वन पंचायतों सहित स्थानीय लोगों का सहयोग लेने को कहा, लेकिन साथ ही सतर्क किया कि इस बात का ध्यान रखा जाए कि बच्चे और बुजुर्ग आग बुझाने के लिए न जाएं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि वनाग्नि से क्षति होने पर प्रभावितों को मानकों के अनुरूप मुआवजा जल्द से जल्द मिल जाना चाहिए तथा जमीनी स्तर पर गाड़ियों व उपकरणों की कमी नहीं होनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि वन संरक्षण उत्तराखंडवासियों की परंपरा में है परंतु कुछ शरारती तत्व जान-बूझकर वनों में आग लगाते हैं. उन्होंने अधिकारियों को ऐसे तत्वों की पहचान कर उनके विरूद्ध कठोर कार्रवाई करने के निर्देश दिए.
बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि भविष्य में जंगल में आग लगने की घटनाओं को न्यूनतम करने के लिए एक दीर्घकालिक योजना बनाई जाए और तहसील और ब्लॉक स्तर पर नियंत्रण कक्ष और दमकल केंद्र स्थापित किए जाएं.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार एक अक्टूबर, 2020 के बाद से 1,028 घटनाएं हुई हैं जिसमें 1,359 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुई.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)