रोहतक ज़िले के अस्थल बोहर में शनिवार को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे किसानों पर पुलिस के लाठीचार्ज में कई लोग घायल हुए हैं. संयुक्त किसान मोर्चा ने इसकी निंदा करते हुए कहा है कि वे राज्य के भाजपा नेताओं और सरकार के लगातार किसान विरोधी भाषण और व्यवहार से अपमानित महसूस कर रहे हैं.
नई दिल्ली: संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने शनिवार को रोहतक जिले के अस्थल बोहर में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों पर पुलिस द्वारा कथित लाठीचार्ज की निंदा की.
एसकेएम ने एक बयान में यह दावा भी किया कि पुलिस द्वारा किए गए इस लाठीचार्ज में कई किसान घायल हो गए.
किसानों को जब खट्टर के दौरे के बारे में पता चला तो महिलाओं सहित कई किसान एक निजी विश्वविद्यालय के बाहर इकट्ठा हो गए, जहां मुख्यमंत्री का हेलिकॉप्टर उतरना था.
प्रदर्शनकारी विश्वविद्यालय की ओर बढ़ने पर अड़े हुए थे. उन्होंने पुलिस बैरिकेड से आगे बढ़ने का प्रयास किया तो उन पर कथित रूप से लाठीचार्ज किया गया.
बयान के अनुसार, हरियाणा के भाजपा नेताओं और सरकार के लगातार ‘किसान विरोधी भाषणों और व्यवहार’ को देखते हुए अपमानित महसूस कर रहे एवं नाराज किसानों ने काले झंडों के साथ शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया और बड़ी संख्या में अस्थल बोहर में इकट्ठा हुए.
बयान में दावा किया गया है कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ ‘हिंसा की’ और महिला प्रदर्शनकारियों को भी नहीं बख्शा. बयान में कहा गया है कि इस घटना में कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए.
हरियाणा के किसानों द्वारा फतेहाबाद में भी भाजपा सांसद के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया गया.
एसकेएम ने कहा कि शुक्रवार को ‘सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान की वसूली’ संबंधी कानून को लेकर खट्टर सरकार के खिलाफ राज्य-स्तरीय सम्मेलन आयोजित किया गया था. उसने कहा कि एसकेएम की मांग है कि राज्य इस कानून को तुरंत वापस ले.
संगठन ने दावा किया कि भारतीय किसान यूनियन के हरियाणा के युवा नेता रवि आजाद को राज्य पुलिस ने कई मामलों में झूठे और मनगढ़ंत आरोपों के साथ गिरफ्तार किया.
उसने कहा कि एसकेएम हरियाणा पुलिस के दमनकारी व्यवहार की निंदा करता है और मांग करता है कि आजाद को तुरंत और बिना शर्त रिहा किया जाए.
उसने कहा कि एसकेएम के नेतृत्व में शनिवार को पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना में एक संयुक्त बैठक आयोजित की गई. इस बैठक में 100 से अधिक संगठनों ने हिस्सा लिया.
इससे पहले एसकेएम ने बुधवार को कहा था कि दिल्ली की सीमाओं पर नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान मई में संसद तक पैदल मार्च करेंगे.
मालूम हो कि केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए कृषि से संबंधित तीन विधेयकों– किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020, किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020- के विरोध में पिछले चार महीने से किसान दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं.
केंद्र सरकार इन कानूनों को कृषि क्षेत्र में ऐतिहासिक सुधार के रूप में पेश कर रही है. हालांकि, प्रदर्शनकारी किसानों ने यह आशंका व्यक्त की है कि नए कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य की सुरक्षा और मंडी प्रणाली को खत्म करने का मार्ग प्रशस्त करेंगे तथा उन्हें बड़े कॉरपोरेट की दया पर छोड़ देंगे.
केंद्र और 41 प्रदर्शनकारी किसान यूनियनों के बीच 11 दौर की वार्ता हुई है लेकिन बेनतीजा रही है, हालांकि केंद्र ने 18 महीनों के लिए कानूनों के निलंबन सहित रियायतें देने की पेश की है, जिन्हें किसान संगठनों ने खारिज कर दिया है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)