विधानसभा चुनाव राउंड-अप: बंगाल में तीसरे और असम में तीसरे और आखिरी चरण के मतदान छह अप्रैल को होंगे. इसके अलावा तमिलनाडु, केरल और पुदुचेरी की सभी सीटों पर छह अप्रैल को ही मतदान होंगे. असम के एक बूथ पर मतदाता सूची में सिर्फ़ 90 नाम और वोट पड़े 171, पांच अधिकारी निलंबित. असम के बारपेटा में चुनाव कार्यालय से 55 लाख रुपये की चोरी मामले में निर्वाचन अधिकारी निलंबित. तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक ने एमके स्टालिन व चार द्रमुक प्रत्याशियों की उम्मीदवारी रद्द करने की मांग की.
चुंचुड़ा: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा कि चोटिल होने के बावजूद वह राज्य का चुनाव जीतेंगी और आगे दिल्ली की सत्ता पर नजर होगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर निशाना साधते हुए बनर्जी ने कहा कि पश्चिम बंगाल में उनके ही लोग शासन करेंगे.
खुद को ‘रॉयल बंगाल टाइगर’ बताते हुए तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि पश्चिम बंगाल में किसी गुजराती का शासन नहीं होगा.
बनर्जी ने कहा, ‘एक पैर पर मैं बंगाल जीतूंगी और दोनों पैर पर दिल्ली जीतूंगी.’
पैर में लगी चोट के संदर्भ में उन्होंने ये बयान दिया है. बनर्जी 10 मार्च को नंदीग्राम में भाजपा समर्थकों की कथित धक्का-मुक्की के कारण वह चोटिल हो गई थीं.
हालांकि, चुनावी पर्यवेक्षक की रिपोर्ट पर गौर करने के बाद चुनाव आयोग ने कहा था कि नंदीग्राम की घटना एक हादसा थी और सुनियोजित हमला नहीं हुआ था.
स्थानीय प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतार न पाने को लेकर ममता ने भाजपा पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा, ‘भाजपा क्या आप एक स्थानीय उम्मीदवार को चुनाव मैदान में नहीं उतार सकते हैं? उनके पास स्थानीय लोग नहीं हैं, उनके सभी लोग या तो टीएमसी से लिए गए हैं या फिर सीपीएम से. वे पैसा पानी कर तरह बहा रहे हैं. वो जो ठीक से सोनार बांग्ला भी नहीं बोल सकते बंगाल पर शासन नहीं कर सकते.’
छत्तीसगढ़ में नक्सली हमले को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि भाजपा सही से देश में शासन नहीं कर रही है और पार्टी ने पश्चिम बंगाल चुनावों पर ध्यान केंद्रित कर रखा है.
चुनाव जीतने के वास्ते प्रचार के लिए देशभर से नेताओं को लाने के लिए भाजपा की आलोचना करते हुए बनर्जी ने एक जनसभा में कहा कि भगवा पार्टी ने विधानसभा चुनाव में मौजूदा सांसदों को उतारा है, क्योंकि उसके पास योग्य उम्मीदवार ही नहीं है.
भाजपा ने चुंचुड़ा विधानसभा सीट के लिए हुगली से लोकसभा सदस्य लॉकेट चटर्जी को मुकाबले में उतारा है.
बनर्जी ने कहा कि उन्हें फर्क नहीं पड़ता कि प्रधानमंत्री मोदी उनके बारे में ‘दीदी-ओ-दीदी’ के लहजे में बात करते हैं. तृणमूल की कुछ महिला नेताओं ने कहा है कि मोदी मजाकिया लहजे में ममता को संबोधित कर महिलाओं का अपमान कर रहे हैं.
बनर्जी ने कहा, ‘वह (मोदी) रोज ऐसा करते हैं, मुझे इससे फर्क नहीं पड़ता.’
आठ चरणों में पश्चिम बंगाल का विधानसभा चुनाव कराने के औचित्य पर सवाल उठाते हुए तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने कहा, ‘यह तीन या चार चरण में हो सकता था. क्या कोविड-19 के कारण कम चरण में और जल्दी चुनाव नहीं कराया जा सकता था.’
बनर्जी ने यह भी दावा किया कि राज्य में अब तक कोरोना वायरस की स्थिति उतनी गंभीर नहीं है.
पश्चिम बंगाल में रविवार को कोरोना वायरस संक्रमण के 1957 मामले आए थे.
बनर्जी ने स्वीकार किया कि चुंचुड़ा और सप्तग्राम के निवर्तमान विधायकों तपन मजूमदार और तपन दासगुप्ता से गलतियां हुईं. उन्होंने मतदाताओं से गलतियों को भूलकर एक बार उन्हें फिर से मौका देने की अपील करते हुए कहा कि आगे वे गलती नहीं करेंगे.
बनर्जी ने कहा, ‘अगर हम हुगली जिले में नहीं जीतेंगे तो बड़ी मुश्किल होगी.’
वर्ष 2016 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने हुगली जिले में 18 विधानसभा सीटों में से ज्यादातर पर जीत दर्ज की थी लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के कारण तृणमूल कांग्रेस का जनाधार घट गया.
बंगाल और असम में तीसरे चरण के चुनाव की तैयारी
कोलकाता/गुवाहाटी: पश्चिम बंगाल और असम विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण में मंगलवार को होने वाले मतदान की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं.
पश्चिम बंगाल में 31 सीटों पर जहां 205 उम्मीदवार मैदान में हैं, वहीं असम की 40 विधानसभा सीटों पर तीसरे और अंतिम चरण का चुनाव होगा. तीसरे चरण में असम के स्वास्थ्य मंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा सहित 337 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला होगा.
बंगाल में जहां भाजपा सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस का किला ध्वस्त करने में जुटी है, वहीं वाममोर्चा-आईएसएफ (इंडियन सेक्युलर फ्रंट)-कांग्रेस गठबंधन को इन क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद है, जहां अस्मिता की राजनीति की जड़ें गहरी हुई हैं.
इस चरण में 78.5 लाख से अधिक पंजीकृत मतदाता हैं, जिन्हें 205 उम्मीदवारों के राजनीतिक तकदीर का फैसला करना है. उनमें भाजपा के राज्यसभा सदस्य स्वप्न दासगुप्ता, तृणमूल कांग्रेस के मंत्री आशिमा पात्रा, माकपा नेता कांति गांगुली प्रमुख नेता हैं.
शांतिपूर्ण मतदान सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं तथा उसके वास्ते केंद्रीय बलों की 618 कंपनियों को 10,871 मतदान केंद्रों पर तैनात किया गया है.
चुनाव आयोग ने सारे मतदान केंद्रों को ‘संवेदनशील’ के रूप में पहचान की है. केंद्रीय बलों की मदद के लिए राज्य पुलिस बलों को भी रणनीतिक स्थानों पर तैनात किया जाएगा.
राज्य में कोविड-19 की स्थिति खराब होने के मद्देनजर इस चरण में सभी 31 निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान स्वास्थ्य नियमों का कड़ाई से पालन कराकर कराया जाएगा. इन 31 विधानसभा क्षेत्रों में 16 दक्षिण 24 परगना (पार्ट टू), सात हावड़ा (पार्ट वन) और आठ हुगली (पार्ट वन) में हैं.
राज्य में 2016 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने इन 31 में से 30 सीटें जीती थीं और कांग्रेस हावड़ा जिले की अमता विधानसभा सीट ही जीत पाई थी.
तृणमूल कांग्रेस के कद्दावर नेता एवं सांसद अभिषेक बनर्जी के डायमंड हार्बर लोकसभा क्षेत्र पर सभी की नजर होगी क्योंकि इस संसदीय क्षेत्र की सात में से चार विधानसभा सीटों पर इस चरण में मतदान होंगे.
पीरजादा अब्बास सिद्दिकी का आईएसएफ तृणमूल कांग्रेस के लिए चिंता की वजह है, क्योंकि उसका दक्षिण 24 परगना और हुगली जिलों के कई क्षेत्रों में दबदबा है.
तृणमूल के अल्पसंख्यक वोटों में सेंधमारी भांपकर पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने आईएसएफ को निशाने पर ले रखा है और आरोप लगाया है कि भाजपा ने उन्हें खड़ा किया है. सिद्दिकी ने इस आरोप का खंडन किया है.
सत्तारूढ़ खेमे की चिंता बढ़ाते हुए भाजपा ने वर्तमान विधायक और तृणमूल कांग्रेस से उसके पाले में आए दीपक हलदर को चुनाव मैदान में उतार दिया है.
भ्रष्टाचार से लेकर राजनीतिक हिंसा तक विभिन्न मुद्दों को लेकर तृणमूल कांग्रेस को निशाने पर लेकर भाजपा ने इन तीन जिलों में धुआंधार प्रचार किया है और स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी के प्रचार की कमान संभाल ली.
उनके अलावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने भी रैलियां कीं.
उधर, बनर्जी ने भी अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के पक्ष में चुनाव प्रचार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. उन्होंने भी व्हीलचेयर में ही तीनों जिलों का तूफानी दौरा किया.
असम: तीसरे और अंतिम चरण में 40 सीटों पर 337 प्रत्याशी मैदान में
असम विधानसभा चुनाव के तीसरे और अंतिम चरण के लिए प्रचार रविवार को समाप्त हो गया. छह अप्रैल को 40 विधानसभा सीटों के लिए मतदान होने हैं.
तीसरे चरण में स्वास्थ्य मंत्री और भाजपा नेता हिमंता बिस्वा सरमा सहित 337 उम्मीदवारों का भाग्य ईवीएम में सील हो जाएगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी सहित राष्ट्रीय स्तर के कई बड़े नेताओं ने अपनी-अपनी पार्टियों के गठबंधन के उम्मीदवारों के पक्ष में चुनाव प्रचार किए.
बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र (बीटीआर) के तीन सहित 12 जिलों की इन सीटों पर चुनाव प्रचार समाप्त हो गया. चुनाव प्रचार समाप्त होने से पहले उम्मीदवार अंतिम समय तक प्रचार करते रहे. इनमें 25 महिला प्रत्याशी भी हैं.
मोदी ने बीटीआर में कोकराझार और तामुलपुर में दो रैलियों को संबोधित किया और बोडो समझौता होने तथा भाजपा की विकास पहल को रेखांकित किया.
भाजपा के एक अन्य स्टार प्रचारक व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने निचले असम के कई निर्वाचन क्षेत्रों में कई चुनावी रैलियों को संबोधित किया.
चुनाव प्रचार के अंतिम दिन वे तीन रैलियों को संबोधित करने वाले थे, लेकिन असम की अपनी यात्रा से बीच में ही उन्हें लौटना पड़ा. छत्तीसगढ़ में माओवादी हमले के बाद वह नयी दिल्ली लौट गए.
भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, नरेंद्र तोमर, जितेंद्र सिंह, स्मृति ईरानी, मुख्तार अब्बास नकवी और अनुराग ठाकुर तथा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी पार्टी के लिए प्रचार किया.
राहुल गांधी ने कामख्या मंदिर का दर्शन किया और चायगांव तथा बरखेत्री सीटों पर रैलियों को संबोधित किया.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व राज्यसभा सदस्य मल्लिकार्जुन खड़गे, डॉ. नासिर हुसैन और डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण और पार्टी के नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने विपक्षी ‘महागठबंधन’ के उम्मीदवारों के लिए चुनाव प्रचार किया.
तमिलनाडु, केरल और पुदुचेरी की सभी सीटों पर चुनाव छह अप्रैल को
चेन्नई/तिरुवनतंपुरम/पुदुचेरी: तमिलनाडु, केरल और पुदुचेरी में छह अप्रैल को होने जा रहे एक चरण के चुनाव की तैयारियां पूरी हो गई हैं. मंगलवार की सुबह तीनों राज्यों में मतदान होगा.
तमिलनाड में छह अप्रैल को होने जा रहे विधानसभा चुनाव के वास्ते रविवार शाम सात बजे चुनाव प्रचार थम गया. यह चुनाव तय करेगा कि क्या सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक की लगातार तीसरी बार राज्य की सत्ता में वापसी होगी या फिर एक दशक बाद द्रमुक सत्ता में लौटेगी.
राज्य में 6.28 लाख से अधिक मतदाता है. विधानसभा की 234 सीटों के लिए 3,998 उम्मीदवार चुनावी अखाड़े में ताल ठोक रहे हैं.
चुनाव आयोग ने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान 428 करोड़ रुपये के मूल्य सामान एवं नकद जब्त किए गए.
इस चुनाव में मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी, उपमुख्यमंत्री ओ. पनीरसेल्वम, द्रमुक अध्यक्ष एमके स्टालिन, एएमएमके संस्थापक टीटीवी दिनाकरण, अभिनेता एवं मक्कल नीधि मय्यम (एमएनएम) के संस्थापक कमल हासन, नाम तमीझार काच्ची के नेता सीमान और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष एल मुरुगन समेत 3,998 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं.
प्रचार के आखिरी दिन पलानीस्वामी और स्टालिन ने पूरी ताकत झोंक दी. पलानीस्वामी अपनी पार्टी को लगातार तीसरी बार सत्ता में लाने जबकि स्टालिन द्रमुक की एक दशक बाद राज्य की सत्ता में वापसी के प्रयास में लगे हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी समेत कई केंद्रीय नेताओं ने क्रमश: सत्तारूढ़ एवं विपक्षी गठबंधनों के पक्ष में प्रचार किया.
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि अब सोशल मीडिया एवं एसएमएस समेत किसी भी माध्यम से प्रचार गतिविधि नहीं होगी.
अपनी आखिरी अपील में पलानीस्वामी ने ‘अम्मा शासन’ की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए वोट मांगा. उनकी पार्टी भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का हिस्सा है.
द्रमुक नेता स्टालिन ने मतदाताओं से पार्टी नीत सेकुलर प्रोग्रेसिव एलायंस के लिए एक मौका मांगा. द्रमुक 2011 से विपक्ष में है.
केरल की 140 विधानसभा सीटों पर 957 उम्मीदवार मैदान में
तमिलनाडु के अलावा छह अप्रैल को ही केरल की सभी 140 विधानसभा सीटों पर चुनाव होंगे. राज्य में सत्तारूढ़ वाममोर्चा की एलडीएफ, कांग्रेस नेतृत्व वाले यूडीएफ और भाजपा के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है.
राज्य में कुल 27,446,039 मतदान वोट दे सकेंगे. साल 2016 के विधानसभा चुनाव में एलडीएफ ने 97, कांग्रेस ने 47 और भाजपा को सिर्फ एक सीट पर जीत मिल सकी थी.
मुख्यमंत्री पिनराई विजयन जहां एक और कार्यकाल की बांट जोह रहे हैं, वहीं भाजपा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने जोर शोर से चुनाव प्रचार अभियान में भाग लिया था. कांग्रेस नेता राहुल गांधी की पार्टी राज्य में मुख्य विपक्षी पार्टी है. राहुल ने भी चुनाव प्रचार में सक्रियता से भाग लिया है.
हफ्तों तक चले जबर्दस्त प्रचार अभियान, ताबड़तोड़ रैलियों और विशाल रोड शो के बाद चुनाव मैदान में उतरे 957 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला छह अप्रैल को होगा.
चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक राज्य के कुल मतदाताओं में 13,283,724 पुरुष, 14,162,025 महिला और 290 ट्रांसजेंडर मतदाता शामिल हैं.
रविवार को प्रचार अभियान के समाप्त होने के बाद इस दक्षिणी राज्य में अब प्रत्याशी और पार्टी कार्यकर्ता घर-घर जाकर आखिरी मिनट में अपने लिए वोट मांग रहे हैं.
परंपरागत गठबबंधन- माकपा नीत लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) और कांग्रेस नीत यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) के कई मौजूदा विधायक छह अप्रैल को होने जा रहे चुनाव में फिर से जीत पाने की उम्मीद में हैं.
मुख्यमंत्री पिनराई विजयन, स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा, देवस्वओम मंत्री के सुरेंद्रन, ऊर्जा मंत्री एमएम मणि और उच्च शिक्षा मंत्री के के जलील उन प्रमुख हस्तियों में शामिल हैं, जो सत्तारूढ़ पक्ष से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.
यूडीएफ से मैदान में उतरे प्रमुख विपक्षी नेताओं में रमेश चेन्नीथला, पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी, वरिष्ठ नेता- के मुरलीधरण, पीटी थॉमस और तिरुवंचूर राधाकृष्णन शामिल हैं.
यह चुनाव भाजपा के भी कई नेताओं के लिए अहम है, जिनमें मिजोरम के पूर्व राज्यपाल के. राजशेखरन, हाल में भगवा पार्टी में शामिल हुए ‘मेट्रोमेन’ ई श्रीधरन, प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेंद्रन, वरिष्ठ नेता शोभा सुरेंद्रन, राज्यसभा के सदस्य- सुरेश गोपी और केजे अल्फोंस समेत अन्य के नाम शामिल हैं.
छह अप्रैल को होने वाले चुनाव केरल कांग्रेस (एम) के अध्यक्ष जोस के मणि के लिए भी इतना ही महत्वपूर्ण है, जिन्होंने हाल ही में यूडीएफ के साथ दशकों पुराना संबंध तोड़कर वाम मोर्चे के साथ हाथ मिला लिया है.
यह चुनाव व्यक्तिगत तौर पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के लिए भी निर्णायक परीक्षा साबित होगा, क्योंकि वह कई दिनों तक राज्य में रहे और यूडीएफ के लिए उन्होंने पूरे केरल में रैलियां कीं और कई बैठकों में हिस्सा लिया.
सत्तारूढ़ एलडीएफ हर पांच साल में यूडीएफ-एलडीएफ की सरकार बदल जाने के राज्य के करीब चार दशक पुराने चलन को तोड़ते हुए लगातार दूसरी बार सत्ता में आने की उम्मीद कर रही है.
एक तरफ यूडीएफ दो मई को घोषित होने वाले परिणामों में अपनी सरकार के गठन को लेकर आश्वस्त है तो दूसरी तरफ भाजपा नीत राजग भी राज्य की सत्ता में निर्णायक पक्ष बनने के लिए अधिकतम सीटें लाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही है.
चुनाव आयोग द्वारा 26 फरवरी को चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद से केरल में सभी तीनों राजनीतिक मोर्चों के बीच अभूतपूर्व प्रतियोगिता देखने को मिली, जिन्होंने मतदाताओं को लुभाने के लिए अधिक से अधिक रैलियां एवं बैठकें कीं तथा उन सभी राष्ट्रीय नेताओं को मैदान में उतारा, जिन्हें यहां बुलाया जा सकता था.
आम तौर पर राज्य में हर बार जहां एक या दो प्रमुख राष्ट्रीय नेता प्रचार के लिए आते थे, वहीं इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, उनके कैबिनेट के सहयोगी – निर्मला सीतारमण, राजनाथ सिंह और प्रहलाद जोशी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी नाथ से लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाद्रा, सचिन पायलट, एके एंटनी, सलमान खुर्शीद और कई नेताओं के कई दौरे हुए.
पुदुचेरी की सभी 30 सीटों पर छह अप्रैल को मतदान
पुदुचेरी: केंद्र शासित पुदुचेरी में भी तमिलनाडु और केरल की तरह सभी 30 सीटों पर एक ही दिन छह अप्रैल को विधानसभा चुनाव होंगे.
एन. रंगासामी की पार्टी ऑल इंडिया एनआर कांग्रेस (एआईएनआरसी) भाजपा और एआईएडीएम के साथ गठबंधन में सभी 30 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. एआईएनआरसी ने जहां 16 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं, गठबंधन सहयोगी भाजपा ने नौ और एआईएडीएमके चार सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं.
इसी तरह कांग्रेस 14 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि उसकी गठबंधन सहयोगी 13 सीटों पर मैदान में है. पार्टी ने यनम में एक निर्दलीय प्रत्याशी को समर्थन दे रही है. कांग्रेस गठबंधन में शामिल वीसीके और माकपा को एक एक सीट पर चुनाव लड़ेंगे.
30 सीटों पर 324 प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला कुल 1,004,507 मतदाता करेंगे. इनमें से 472,659 पुरुष, 531,431 महिला और 116 ट्रांसजेंडर मतदाता हैं.
साल 2016 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस 15 सीटों पर जीत दर्ज कर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी.
हालांकि इस साल फरवरी में सत्तारूढ़ कांग्रेस से तमाम विधायकों के इस्तीफा देने से यहां राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया. 33 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के पांच और डीएमके के एक विधायक के इस्तीफा दे देने से मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी के नेतृत्व वाली सरकार ने बहुमत खो दिया था.
सिनेमा राजनीतिक करिअर में बाधा बनता है तो मैं उसे छोड़ दूंगा: कमल हासन
कोयंबटूर: अभिनय से राजनीति के क्षेत्र में आए और मक्कल नीधि मय्यम (एमएनएम) के संस्थापक कमल हासन ने रविवार को अपनी राजनीति को जनसेवा का माध्यम करार देते हुए कहा कि यदि सिनेमा उनके राजनीतिक करिअर में बाधा बनता है तो वह उसे छोड़ने को तैयार हैं.
उन्होंने कोयंबटूर में संवाददाताओं से कहा, ‘यदि वे मेरे राजनीतिक करिअर में बाधा बनती हैं तो मैं अपनी मौजूदा फिल्मों को पूरा करने के बाद सिनेमा छोड़ दूंगा.’
उन्होंने कहा कि राजनीति में उनका आना ऐतिहासिक है, क्योंकि वह उन 30 फीसद लोगों में से हैं जो राजनीति से बिल्कुल दूर रहे हैं. उन्होंने कहा कि दिवंगत मुख्यमंत्री एमजी रामचंद्रन ने बतौर विधायक अपने आदर्शों का प्रचार करने एवं जनसेवा के अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए कई फिल्मों में अभिनय किया था.
उन्होंने कहा कि उनके कई साथी उम्मीदवार कहते हैं कि वह राजनीति से गायब हो जाएंगे और फिर से सिनेमा में आ जाएंगे. उन्होंने कहा, ‘हम देखते हैं कि कौन गायब होगा, यह तो जनता को तय करना है.’
उन्होंने कहा कि उन्हें कुछ वर्गों से धमकियां मिली हैं. हालांकि उन्होंने इसे स्पष्ट करने से इनकार कर दिया.
असम: एक बूथ पर मतदाता सूची में सिर्फ 90 नाम, वोट पड़े 171, पांच अधिकारी निलंबित
हाफलोंग (असम): असम के दीमा हसाओ जिले में एक मतदान केंद्र पर बड़ी अनियमितता का खुलासा हुआ है. उस मतदान केंद्र पर सिर्फ 90 मतदाता पंजीकृत हैं, लेकिन कुल 171 वोट पड़े. इस घटना के प्रकाश में आने के बाद पांच चुनाव अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है. अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी.
अधिकारी ने बताया कि यह मतदान केंद्र हाफलोंग विधानसभा क्षेत्र में है. इस जगह दूसरे चरण में एक अप्रैल को मतदान हुआ था. हाफलोंग में 74 प्रतिशत मतदान हुआ था.
उन्होंने बताया कि इस घटना के प्रकाश में आने के बाद जिला निर्वाचन अधिकारी ने मतदान केंद्र के पांच चुनाव अधिकारियों को निलंबित करके यहां दोबारा मतदान कराने का प्रस्ताव रखा है. यह मतदान केंद्र खोटलिर एलपी स्कूल के 107 (ए) में था.
हालांकि, इस मतदान केंद्र पर दोबारा चुनाव कराने के लिए अभी आधिकारिक आदेश जारी नहीं किया गया है.
दीमा हसाओ के पुलिस उपायुक्त सह जिला निर्वाचन अधिकारी की ओर से निलंबन आदेश दो अप्रैल को ही जारी किया गया था, लेकिन यह सोमवार को प्रकाश में आया.
कर्तव्य निर्वहन में लापरवाही के लिए चुनाव आयोग ने एस. ल्हांगुम (सेक्टर ऑफिसर), प्रह्लाद सी. रॉय (पीठासीन अधिकारी), परमेश्वर चारंगसा (प्रथम मतदान अधिकारी), स्वराज कांति दास (द्वितीय मतदान अधिकारी) और एल. थीक (तृतीय मतदान अधिकारी) को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया.
अधिकारियों ने बताया कि मतदान केंद्र के लिए मतदाता सूची में सिर्फ 90 नाम थे, लेकिन ईवीएम में 171 वोट पड़े हैं.
एक अधिकारी ने बताया कि गांव के प्रधान ने मतदाता सूची को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था और वह अपनी सूची लेकर वहां आ गया. इसके बाद गांव के लोगों ने उसी सूची के हिसाब से मतदान किया. हालांकि, फिलहाल यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि चुनाव अधिकारियों ने गांव के प्रधान की मांग क्यों स्वीकार कर ली और वहां पर सुरक्षाकर्मी तैनात थे या नहीं तथा उनकी क्या भूमिका रही.
असम: चुनाव कार्यालय से 55 लाख रुपये की चोरी मामले में निर्वाचन अधिकारी निलंबित
बारपेटा: असम में बारपेटा के चुनाव अधिकारी शशि कुमार डेका को उनके कार्यालय कक्ष से 55 लाख रुपये की चोरी के मामले में निलंबित कर दिया गया है. असम के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की तरफ से जारी आदेश में यह जानकारी मिली.
मुख्य निर्वाचन अधिकारी नितिन खडे द्वारा रविवार रात जारी आदेश के अनुसार, डेका को जांच पूरी होने तक तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है.
जिले की सहायक आयुक्त गायत्री शर्मा को बारपेटा के चुनाव अधिकारी की जिम्मेदारी दी गई है. मंगलवार को यहां तीसरे चरण में मतदान होना है.
बारपेटा जिले के चुनाव कार्यालय से 55 लाख रुपये की चोरी के आरोप में रविवार को दो सरकारी कर्मचारियों को गिरफ्तार कर लिया गया.
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि चुनाव कार्यालय के कंप्यूटर ऑपरेटर अल्केश डेका और कनिष्ठ सहायक प्रांजल काकाटी को धन चुराने के आरोप में गिरफ्तार किया गया. तत्परता से कार्रवाई करते हुए पुलिस ने जिले के पांच अलग-अलग स्थानों से यह राशि बरामद कर ली.
जिला निर्वाचन अधिकारी ने एक बयान में बताया कि इस चोरी के बारे में जानकारी शनिवार सुबह में प्राप्त हुई.
असम: तामुलपुर सीट पर मतदान स्थगित करने की बीपीएफ की अर्जी खारिज की
नयी दिल्ली: चुनाव आयोग ने असम की तामुलपुर विधानसभा सीट पर मतदान स्थगित करने की बीपीएफ की अर्जी रविवार को खारिज कर दी.
बीपीएफ ने दावा किया था कि उसके उम्मीदवार ने प्रलोभन के चलते भाजपा का दामन थाम लिया.
आयोग ने कहा कि कानून के मुताबिक इस स्तर पर मतदान केवल किसी पंजीकृत दल के उम्मीदवार के निधन के चलते ही स्थगित किया जा सकता है.
बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) के उम्मीदवार रंगजा खुंगूर बासुमतारी के असम में विधानसभा चुनाव के बीच एक अप्रैल को भाजपा में शामिल होने के मुद्दे पर फ्रंट ने निर्वाचन आयोग का रुख किया था.
असम में तीसरे चरण के मतदान से पहले बासुमतारी ने अपनी पार्टी छोड़ दी और बृहस्पतिवार को वह भाजपा में शामिल हो गए. वह तामुलपुर विधानसभा सीट से बीपीएफ उम्मीदवार थे, जहां तीसरे चरण में छह अप्रैल को मतदान होगा.
चुनाव आयोग ने कहा कि सुनवाई के दौरान ऐसा कोई भी दस्तावेजी साक्ष्य पेश नहीं किया गया, जोकि यह साबित करे कि बसुमतारी भाजपा में शामिल हुए हैं अथवा उन्हें बीपीएफ से निकाला गया है.
टीएमसी समर्थकों पर हमला, लूटपाट करने पर भाजपा के पांच कार्यकर्ता गिरफ्तार: पुलिस
बर्दवान: पश्चिम बंगाल के पूरब बर्धमान जिले में भाजपा के पांच समर्थकों को तृणमूल कांग्रेस के एक कार्यालय में कथित तौर पर तोड़फोड़ करने और उसके सदस्यों पर हमला करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. पुलिस ने रविवार को यह जानकारी दी.
पुलिस ने बताया कि यह घटना तब हुई, जब भाजपा समर्थक अपने उम्मीदवार भीष्मदेव भट्टाचार्य के साथ शनिवार दोपहर को जिले के मेमारी थाना क्षेत्र के नावहाटी गांव में चुनाव प्रचार कर रहे थे.
पुलिस ने बताया कि टीएमसी और भाजपा समर्थकों के बीच बहस के बाद कई मकानों में तोड़फोड़ की गई. उन्होंने बताया कि सोने और दो लाख रुपये नकद लूट लिए गए तथा दो कारें और चार बाइक भी तोड़ दी गईं.
उन्होंने बताया कि इलाके में टीएमसी के एक कार्यालय को भी निशाना बनाया गया.
तमिलनाडु: अन्नाद्रमुक ने स्टालिन व समेत पांच की उम्मीदवारी रद्द करने की मांग की
चेन्नई: तमिलनाडु में सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक ने मतदाताओं को ‘नकद राशि बांटने’ का आरोप लगाते हुए द्रमुक प्रमुख एमके स्टालिन और उनकी पार्टी के चार प्रत्याशियों की उम्मीदवारी को ‘रद्द’ करने की मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) से सोमवार को गुजारिश की.
तमिलनाडु के सीईओ सत्यब्रत साहू को दी याचिका में अन्नाद्रमुक की अधिवक्ता इकाई के संयुक्त सचिव आर एम बाबू मुरुगवल ने आरोप लगाया कि कोलथुर सीट से चुनाव लड़ रहे स्टालिन के सहयोगी मतदाताओं को ‘पांच हजार रुपये की रकम बांट’ रहे हैं.
उन्होंने आरोप लगाया कि महिला स्वयं सहायता समूहों को स्टालिन के पक्ष में वोट देने के लिए 10-10 हजार रुपये का ‘भुगतान’ किया गया है और मतदाताओं को मोबाइल भुगतान ऐप ‘जी-पे’ के जरिए पैसे दिए गए हैं.
अन्नाद्रमुक के पदाधिकारी ने आरोप लगाया है कि यह हैरान करने वाली बात है कि अन्नाद्रमुक और अन्य द्वारा बार-बार शिकायत करने के बाद भी अधिकारियों ने मतदाताओं को धन का वितरण रोकने के लिए कोई प्रयास नहीं किया.
उन्होंने आरोप लगाया कि द्रमुक प्रत्याशी स्टालिन ‘भ्रष्ट’ आचरण में शामिल हैं, लिहाजा उन्हें चुनाव लड़ने से ‘अयोग्य’ ठहराया जाए.
मुरुगवल ने कहा, ‘चुनाव आयोग को संविधान के अनुच्छेद 324 और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत मिली शक्तियों के तहत एमके स्टालिन की उम्मीदवारी रद्द करनी चाहिए.’
उन्होंने द्रमुक के अन्य प्रत्याशियों उदयनिधि स्टालिन (चेपौक-त्रिपलीकेन), ईवी वेलू (तिरुवन्नामलाई), केएन नेहरू (तिरूचिरापल्ली पश्चिम) और दुरईमुरुगन (कटपडी) पर भी इसी तरह के आरोप लगाते हुए उन सभी की उम्मीदवारी ‘रद्द’ करने की मांग की.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)