गुजरात के वडोदरा शहर का मामला. महिला के परिवार ने राज्य में हाल ही में पारित धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक, 2021 के तहत जबरन धर्मांतरण का मामला दर्ज करने की मांग की थी, लेकिन महिला ने आरोप से इनकार कर दिया. इसके बाद परिवार को शिकायत वापस लेनी पड़ी.
वडोदरा: गुजरात विधानसभा द्वारा धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक, 2021 पारित करने के एक सप्ताह के अंदर ही वडोदरा के जेपी रोड पुलिस स्टेशन में अल्पसंख्यक समुदाय के एक परिवार ने यह कहते हुए याचिका दी है कि उनकी बेटी का दूसरे धर्म के एक व्यक्ति ने शादी के बहाने धर्मांतरण करा दिया.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, परिवार ने संशोधित विधेयक के तहत एक शिकायत दर्ज करने की मांग की है, जो कि अभी एक नोटिफिकेशन के माध्यम से लागू किया जाना है.
हालांकि, उन्हें अपनी याचिका तब वापस लेनी पड़ी, जब महिला ने पुलिस को बताया कि उनसे अपनी इच्छा से शादी और पति के धर्म में धर्मांतरण नहीं करवाया है.
बता दें कि बीते 1 अप्रैल को गुजरात विधानसभा ने धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक, 2021 को पारित कर दिया, जिसमें विवाह करके कपटपूर्ण तरीके से या जबरन धर्मांतरण कराने के मामले में दस साल तक की कैद की सजा का प्रावधान है.
यह विधेयक गुजरात धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 2003 को बदलने की मांग करता है और इस पर राज्यपाल का हस्ताक्षर होना बाकी है.
रविवार को वडोदरा के जेपी रोड पुलिस स्टेशन को महिला के भाई से एक शिकायत मिली जिसमें दावा किया गया था कि उनकी बहन दूसरे धर्म के पुरुष सहकर्मी के कारण बेहद तनाव और घबराहट में 31 मार्च से लापता हैं.
अपने लिखित आवेदन में शिकायतकर्ता ने मांग की कि व्यक्ति और उनके परिवार के पांच सदस्यों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाए.
शिकायत में कहा गया, ‘मेरी बड़ी बहन एक निजी अस्पताल में काम करती है और कुछ दिनों से तनाव में थी. जब मैंने उससे पूछा कि उसे क्या परेशानी है, तो उसने मुझे बताया कि दूसरे धर्म के एक व्यक्ति द्वारा उस पर शादी करने के लिए दबाव डाला जा रहा था. वह उसका सहकर्मी है. उसने हमसे कहा कि वह इसे संभाल लेगी.’
शिकायत के अनुसार, ‘31 मार्च को वह हमेशा की तरह काम पर निकल गई, लेकिन वापस नहीं लौटी. जब हमने उस आदमी के घर पर नजर रखी जो (शादी के लिए) उसके पीछे पड़ा था, तो हमें पता चला कि वह भी अपने घर नहीं पहुंचा है. शख्स के परिवार ने हमें धमकी दी और कहा कि मेरी बहन ने उनका धर्म अपना लिया है और हम उसे वापस नहीं पा सकेंगे.’
वडोदरा सिटी पुलिस अधिकारियों ने कहा कि महिला के परिवार द्वारा आवेदन दिए जाने के बाद आपसी सहमति से शादी करने वाले वयस्क दंपति ने पुलिस के सामने अपना विवाह प्रमाण पत्र पेश कर दिया.
जोन 2 और 3 के पुलिस उपायुक्त डॉ. करणराज वाघेला ने कहा, ‘हमने उनकी शिकायत पर गौर किया लेकिन धार्मिक रूपांतरण के आरोप में कोई सच्चाई नहीं है. विवाह के रजिस्ट्रार के सामने वडोदरा में दोनों ने विशेष विवाह अधिनियम, 1954 की धारा 13 के तहत अपने स्वयं के नाम का उपयोग करके विवाह किया.’
उन्होंने बताया, ‘कोई धार्मिक रूपांतरण नहीं हुआ है और महिला ने अपने माता-पिता से भी बात की और उन्हें बताया कि उन्होंने अपनी मर्जी से शादी की थी. उसके बाद परिवार ने अपने आवेदन को वापस लेने का फैसला किया, क्योंकि महिला और पुरुष वयस्क हैं और एक वैध विवाह में हैं.’
डी डिविजन के सहायक पुलिस आयुक्त एवी राजगोर ने बताया कि दंपति ने 22 मार्च को विवाह किया था और वडोदरा में साथ रह रहे थे.
उन्होंने कहा, ‘किसी दबाव में न होने की बात करते हुए उन्होंने अपने विवाह प्रमाण पत्र और फोटोग्राफ्स पुलिस के सामने पेश कर दिए.’
मालूम हो कि मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सरकारों ने धर्मांतरण को रोकने के लिए अपने राज्यों में ऐसा कानून लागू किया है. पार्टी के नेता इसे लव जिहाद या शादी के माध्यम से हिंदू महिलाओं का धर्म परिवर्तन करने का षड्यंत्र बताते हैं.
पिछले साल नवंबर में उत्तर प्रदेश सरकार ने ‘उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020’ को मंजूरी दी थी. इस अध्यादेश के तहत शादी के लिए छल-कपट, प्रलोभन या बलपूर्वक धर्म परिवर्तन कराए जाने पर अधिकतम 10 साल के कारावास और जुर्माने की सजा का प्रावधान है.
जनवरी में मध्य प्रदेश सरकार ने धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश 2020 प्रदेश में लागू किया है. इसमें धमकी, लालच, जबरदस्ती अथवा धोखा देकर शादी के लिए धर्मांतरण कराने पर कठोर दंड का प्रावधान किया गया है.
इस कानून के जरिये शादी तथा किसी अन्य कपटपूर्ण तरीके से किए गए धर्मांतरण के मामले में अधिकतम 10 साल की कैद एवं 50 हजार रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है.
इसके अलावा दिसंबर में भाजपा शासित हिमाचल प्रदेश में जबरन या बहला-फुसलाकर धर्मांतरण या शादी के लिए धर्मांतरण के खिलाफ कानून को लागू किया था. इसका उल्लंघन करने के लिए सात साल तक की सजा का प्रावधान है.