कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के ख़िलाफ़ निजी शिकायत में आरोप लगाया गया है कि 2008-12 तक मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान उन्होंने भूमि अधिग्रहण के ज़रिये 20 एकड़ जमीन को ग़ैरक़ानूनी रूप से अधिसूचित किया, ताकि निजी पक्षकारों को अनुचित लाभ मिल सके.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बीते सोमवार को कर्नाटक हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी, जिसमें उसने कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के खिलाफ जमीन अधिग्रहण के इरादे से अधिसूचना वापस लेने से संबंधित कथित भ्रष्टाचार के मामले में आपराधिक मुकदमा चलाने का निर्देश दिया था.
मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे के नेतृत्व वाली एक पीठ ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ मुख्यमंत्री की याचिका पर सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किया और उनके खिलाफ सुनवाई पर रोक लगा दी.
मुख्यमंत्री ने उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा रद्द किए जाने की मांग वाली उनकी याचिका उच्च न्यायालय द्वारा खारिज किए जाने के खिलाफ यचिका दायर की थी.
उच्च न्यायालय ने विशेष सुनवाई अदालत को येदियुरप्पा के खिलाफ अपराधों का संज्ञान लेने और 2012 में लोकायुक्त पुलिस द्वारा दायर आरोप पत्र के आधार पर मामले को आगे बढ़ाने का निर्देश दिया था.
येदियुरप्पा के खिलाफ निजी शिकायत में आरोप लगाया गया है कि 2008-12 तक मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान उन्होंने भूमि अधिग्रहण के जरिये 20 एकड़ जमीन को गैर-कानूनी रूप से अधिसूचित किया, ताकि निजी पक्षकारों को अनुचित लाभ मिल सके.
कर्नाटक लोकायुक्त द्वारा तैयार की गई चार्जशीट में येदियुरप्पा पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग कर औद्योगिक उद्देश्यों के लिए भूमि का सरकारी अधिग्रहण गैरकानूनी तरीके से रद्द कर दिया था.
बेंगलुरु में एक हार्डवेयर पार्क स्थापित करने के लिए 2006 में राज्य द्वारा संचालित कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड द्वारा इस भूमि का अधिग्रहण किया गया था, लेकिन भूमि डिनोटिफाई किया गया और इसे निजी लोगों को सौंप दिया गया.
लोकायुक्त पुलिस ने आरोपों की जांच के बाद एक रिपोर्ट दर्ज की थी और सबूतों की कमी का हवाला देते हुए नौ लोगों के खिलाफ केस बंद कर दिया था, लेकिन उन्होंने येदियुरप्पा और एक पूर्व मंत्री कट्टा सुब्रमण्या नायडू के खिलाफ आरोप-पत्र दायर किया था.
इसी महीने की शुरुआत में कर्नाटक हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के खिलाफ एक और आपराधिक मामले की जांच का रास्ता साफ कर दिया, जिसमें आरोप लगाया गया है कि उन्होंने जनता दल (सेक्युलर) यानी जेडीएस के विधायक नागानगौड़ा कांडक को पैसे और एक मंत्री पद की पेशकश कर भाजपा में शामिल करने के लिए लुभाने की कोशिश की थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)