छत्तीसगढ़ः नक्सलियों ने बंधक बनाए गए सीआरपीएफ जवान को रिहा किया

छत्तीसगढ़ के बीजापुर में तीन अप्रैल को नक्सलियों ने सुरक्षाबलों पर हमले के बाद कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह मिन्हास को बंधक बना लिया था. उनकी रिहाई के लिए नक्सलियों ने कुछ शर्तें रखी थीं, लेकिन गुरुवार को उन्हें बिना किसी शर्त के रिहा कर दिया गया.

कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह मिन्हास. (फोटोः पीटीआई)

छत्तीसगढ़ के बीजापुर में तीन अप्रैल को नक्सलियों ने सुरक्षाबलों पर हमले के बाद कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह मिन्हास को बंधक बना लिया था. उनकी रिहाई के लिए नक्सलियों ने कुछ शर्तें रखी थीं, लेकिन गुरुवार को उन्हें बिना किसी शर्त के रिहा कर दिया गया.

कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह मिन्हास. (फोटोः पीटीआई)
कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह मिन्हास. (फोटोः पीटीआई)

रायपुरः छत्तीसगढ़ के बीजापुर में नक्सली हमले में अगवा किए गए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के कमांडो राकेश्वर सिंह मिन्हास को रिहा कर दिया गया है.

छत्तीसगढ़ पुलिस ने इसकी जानकारी दी. मिन्हास सीआरपीएफ की कमांडो बटालियन फॉर रिसोल्यूट एक्शन (कोबरा) की 210वीं बटालियन से जुड़े हुए हैं.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, छत्तीसगढ़ पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज ने जारी बयान में कहा, ‘शाम लगभग 4.30 बजे अगवा किए गए कमांडो टेरम पुलिस थाने सुरक्षित लौट आए. जवान को मेडिकल जांच और इलाज के लिए बासगुडा फील्ड अस्पताल में भर्ती किया गया है.’

इससे पहले सात अप्रैल को नक्सलियों ने मिन्हास की एक तस्वीर जारी की थी, जिसमें वह वर्दी में एक झोपड़ी के नीचे बैठे नजर आए थे.

वह तीन अप्रैल को सुकमा-बीजापुर सीमा के पास नक्सलियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच गोलीबारी के बाद लापता हो गए थे.

छत्तीसगढ़ पुलिस के आग्रह पर सामाजिक कार्यकर्ता धर्मपाल सैनी (91), तेलम बोरैया और सात पत्रकारों ने राकेश्वर सिंह की रिहाई सुनिश्चित की.

राकेश्वर सिंह की रिहाई को लेकर बीजापुर के पत्रकार गणेश मिश्रा ने बताया कि उन्हें सबसे पहले पांच अप्रैल को एक नक्सली नेता से वॉट्सऐप कॉल आया, जिसमें पुष्टि की गई कि राकेश्विर सिंह उनकी गिरफ्त में हैं.

मिश्रा ने कहा, ‘फोन करने वाले ने कहा कि उन्हें मिन्हास तीन अप्रैल को बेहोशी की हालत में मिले थे और वह सुरक्षित हैं. उन्होंने अगले दिन फिर फोन किया और कहा कि उन्हें दो दिनों में रिहा कर दिया जाएगा. उन्होंने मांग की कि सरकार की ओर से मधयस्थों की एक टीम नियुक्त की जाए. मैंने इसके बाद पुलिस से संपर्क किया.’

उन्होंने बताया कि पुलिस ने आदिवासी लड़कियों की शिक्षा के लिए 1995 में पद्मश्री प्राप्त कर चुके सामाजिक कार्यकर्ता धर्मपाल सैनी, गोंडवाना समुदाय की नेता बोरैया को नक्सलियों से बातचीत के लिए शामिल किया.

नक्सलियों की एक वरिष्ठ महिला काडर ने सैनी और बोरैया से बातचीत की. मिश्रा ने बताया कि उन्हें रायपुर से लगभग 400 किलोमीटर दूर बीजापुर-सुकमा सीमा पर एक गांव में आने को कहा गया.

मिश्रा ने कहा, ‘हम गुरुवार को अपनी मोटरसाइकिल से सुबह पांच बजे बीजापुर से निकले और स्थान पर नौ बजे पहुंचे. पांच घंटे से अधिक समय तक इंतजार करने के बाद लगभग 60 से 70 नक्सली कमांडो मिन्हास के साथ पहुंचे. उनके (मिन्हास) हाथ बंधे हुए थे. दोनों मधयस्थों ने एक घंटे तक नक्सलियों से बातचीत की. ग्रामीणों की मौजूदगी में कमांडो को रिहा किया गया. महिला ने बाद में हमें बताया कि कमांडो को बिना किसी शर्त के मानवीय आधार पर रिहा किया गया है.’

उन्होंने कहा कि नक्सली नेता ने कहा कि उन्होंने कमांडो को इसलिए कोई हानि नहीं पहुंचाई क्योंकि वह बेहोशी की हालत में मिले थे और बेहोशी की हालत में हमला करना नैतिकता के खिलाफ होता.

मालूम हो कि छत्तीसगढ़ के बीजापुर में तीन अप्रैल को नक्सलियों ने सुरक्षाबलों पर हमला कर दिया था, जिसमें 22 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए थे.

इसके बाद कहा गया कि नक्सलियों ने 210वीं बटालियन के कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह को बंधक बना लिया.

उनकी रिहाई के लिए नक्सलियों ने कुछ शर्तें रखी थीं, जिसके बाद सरकार ने दो सदस्यीय टीम का गठन किया था, जिनके जिम्मे नक्सलियों से बातचीत कर राकेश्वर सिंह की रिहाई की जिम्मेदारी थी.

हालांकि, नक्सलियों ने गुरुवार को राकेश्वर सिंह को बिना किसी शर्त के रिहा कर दिया.

(समाचार एजेंसी पीटीआई से इनपुट के साथ)