बंगाल: सांप्रदायिक लहजे के भाषण के लिए भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी को चुनाव आयोग का नोटिस

विधानसभा चुनाव राउंड अप: केंद्रीय बलों पर टिप्पणी के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के ख़िलाफ़ चुनाव आयोग ने नोटिस जारी किया है, वहीं सुप्रीम कोर्ट ने उन पर कथित हमले की जांच की याचिका पर विचार से इनकार कर दिया है. कांग्रेस ने केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के विरुद्ध निर्वाचन आयोग में की शिकायत है.

//
शुभेंदु अधिकारी. (फोटो साभार: फेसबुक)

विधानसभा चुनाव राउंड अप: केंद्रीय बलों पर टिप्पणी के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के ख़िलाफ़ चुनाव आयोग ने नोटिस जारी किया है, वहीं सुप्रीम कोर्ट ने उन पर कथित हमले की जांच की याचिका पर विचार से इनकार कर दिया है. कांग्रेस ने केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के विरुद्ध निर्वाचन आयोग में की शिकायत है.

शुभेंदु अधिकारी. (फोटो साभार: फेसबुक)
सुवेंदु अधिकारी. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली/कोलकाता/तूफानगंज/गुवाहाटी: चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल के भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी द्वारा पिछले महीने दिए एक भाषण में कथित तौर पर सांप्रदायिक लहजा होने को लेकर बीते गुरुवार को उन्हें नोटिस जारी किया.

सुवेंदु अधिकारी को 24 घंटे के भीतर नोटिस का जवाब देने के लिए कहा गया है.

अधिकारी पश्चिम बंगाल की नंदीग्राम विधानसभा सीट पर मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी के खिलाफ भाजपा उम्मीदवार भी हैं.

चुनाव आयोग के नोटिस में कहा गया है कि भाकपा (माले) की केंद्रीय समिति की सदस्य कविता कृष्णन की तरफ से शिकायत आई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि 29 मार्च को अधिकारी ने नंदीग्राम में एक जनसभा को संबोधित करने के दौरान ‘नफरत भरा भाषण’ दिया था.

नोटिस में अधिकारी के भाषण के अंश का हवाला दिया गया है, ‘चुनाव होने वाला है. आप बेगम को वोट नहीं दे रहे हैं. अगर आप बेगम को वोट करेंगे तो यह मिनी पाकिस्तान बन जाएगा. आपके क्षेत्र में दाऊद इब्राहिम आया है. हम हर चीज नोट करेंगे. सरकार क्या कर रही है?’

आयोग ने आदर्श आचार संहित के दो प्रावधानों का हवाला दिया. एक प्रावधान में कहा गया है कि दूसरे राजनीतिक दलों की आलोचना उनकी नीतियों और कार्यक्रमों, अतीत के रिकॉर्ड और काम तक सीमित होगी. दूसरे दलों या उनके कार्यकर्ताओं की आलोचना असत्यापित आरोपों या मनगढ़ंत आरोपों के आधार पर करने से बचा जाएगा.

दूसरे प्रावधान में स्पष्ट है कि वोट हासिल करने के लिए जाति या सांप्रदाय के आधार कोई अपील नहीं की जाएगी.

नोटिस में कहा गया है कि चुनाव आयोग ने पाया है कि आदर्श आचार संहिता के कुछ प्रावधानों का उल्लंघन हुआ है.

सुप्रीम कोर्ट का ममता पर कथित हमले की जांच की याचिका पर विचार से इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने नंदीग्राम में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर कथित हमले की सीबीआई जैसी किसी स्वतंत्र जांच एजेंसी से जांच कराने के अनुरोध वाली याचिका पर विचार करने से शुक्रवार को इनकार कर दिया.

मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी. रामसुब्रमण्यन की पीठ ने याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश वकील से कहा, ‘आप कलकत्ता उच्च न्यायालय जाएं.’

पीठ ने याचिकाकर्ताओं के वकील को उच्च न्यायालय जाने की छूट देते हुए याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी.

बनर्जी ने 10 मार्च को आरोप लगाया था कि नंदीग्राम में ‘चार-पांच’ लोगों ने उन पर हमला किया जिसके कारण उनका पैर चोटिल हो गया. घटना से पहले उन्होंने नंदीग्राम सीट से नामांकन पत्र जमा किया था. इस सीट पर भाजपा ने सुवेंदु अधिकारी को मुकाबले में उतारा है.

शुभम अवस्थी और दो अन्य ने शीर्ष अदालत में याचिका दाखिल कर दावा किया था कि संवैधानिक पद वाले किसी व्यक्ति पर कथित हमले की सीबीआई जैसी किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच करानी चाहिए और वोटरों का विश्वास बढ़ाने के लिए इसकी रिपोर्ट सार्वजनिक की जानी चाहिए.

याचिका में चुनावी हिंसा के लिए सजा बढ़ाने को लेकर निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया था.

केंद्रीय बलों पर टिप्पणी के लिए ममता बनर्जी को मिला चुनाव आयोग का नोटिस

चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को राज्य में चुनाव ड्यूटी पर तैनात केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के खिलाफ उनकी कथित टिप्पणी के लिए नोटिस जारी किया है.

आयोग ने कहा है कि प्रथमदृष्टया बनर्जी के ‘पूरी तरह निराधार, भड़काऊ और तीखे बयानों’ से चुनाव ड्यूटी में तैनात केंद्रीय सशस्त्र बलों का मनोबल गिरा है.

आयोग द्वारा गुरुवार की रात को जारी नोटिस में कहा गया है कि केंद्रीय बलों के खिलाफ टिप्पणी कर बनर्जी ने प्रथमदृष्टया भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं का उल्लंघन किया है.

मुख्यमंत्री को शनिवार दिन में 11 बजे तक नोटिस का जवाब देने के लिए कहा गया है.

नोटिस में कहा गया है, ‘प्रथमदृष्टया बनर्जी के पूरी तरह निराधार, भड़काऊ और तीखे बयानों ने चुनावी प्रक्रिया के दौरान केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों की गरिमा को गिराने और अपमानित करने का प्रयास किया है. इससे इन बलों के कर्मियों का मनोबल गिरा है, जो 1980 के दशक के आखिर से चुनाव दर चुनाव अपनी सेवाएं दे रहे हैं.’

आयोग ने आगे कहा, ‘उन्होंने सरहानीय योगदान दिया है, विशेषकर क्षेत्र में अपनी प्रधानता सुनिश्चित की है और अपनी उपस्थिति से असामाजिक तत्वों पर लगाम लगाकर मुक्त, निष्पक्ष, पारदर्शी और सबकी पहुंच वाला चुनाव आयोजित कराने में चुनाव आयोग के सहायक के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है.’

केंद्रीय बलों पर उनके बयानों का हवाला देते हुए नोटिस में कहा गया है, ‘सबसे दुखद बात यह है कि बनर्जी ने केंद्रीय बलों के कर्मियों पर हमला करने के लिए भावनात्मक बातों से महिला वोटरों को भड़काने का प्रयास किया.’

पिछले कुछ दिनों में बनर्जी को चुनाव आयोग का यह दूसरा नोटिस है.

इससे पहले आयोग ने कथित रूप से वोट के लिए सांप्रदायिक अपील करने को लेकर बीते बुधवार को उन्हें नोटिस जारी किया था और कहा था कि यह जनप्रतिनिधि कानून और चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है.

नोटिस में कहा गया कि 28 मार्च और सात अप्रैल को दिए ममता के बयान और इसके बाद के बयानों पर गौर करने पर यह पता चलता है कि ‘बनर्जी ने बार-बार केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों का मनोबल गिराने का काम किया है, जिन्होंने संबंधित राज्य सरकार और केंद्र शासित प्रदेशों में कानून व्यवस्था बहाल करने में अहम भूमिका निभायी है.’

इसमें कहा गया है कि तृणमूल कांग्रेस और बनर्जी ने केंद्रीय बलों को अपमानित करने का चलन बना लिया है.

बंगाल में माकपा ने निर्वाचन आयोग की पारदर्शिता पर उठाया सवाल

पश्चिम बंगाल माकपा सचिव सूर्यकांत मिश्रा ने बीते गुरुवार को निर्वाचन आयोग की पारदर्शिता पर सवाल उठाया और दावा किया कि अगर तृणमूल कांग्रेस और भाजपा को बहुमत नहीं मिलता है तो ये दोनों पार्टियां हाथ मिला सकती हैं.

मिश्रा ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वामदलों, कांग्रेस और इंडियन सेक्युलर फ्रंट के संयुक्त मोर्चे द्वारा चुनाव में धांधली की कई शिकायतें दर्ज कराने के बावजूद किसी भी शिकायत का संज्ञान नहीं लिया गया और निर्वाचन आयोग केवल ‘तृणमूल और भाजपा को खुश करने में’ लगा हुआ है.

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘संयुक्त मोर्चा राज्य में सरकार बनाने के लिए लड़ रहा है. खंडित जनादेश की स्थिति में आपको तृणमूल और भाजपा भी सरकार बनाने के वास्ते हाथ मिलाते हुए दिखेंगे.’

कांग्रेस ने केरल के मुख्यमंत्री के विरुद्ध निर्वाचन आयोग में की शिकायत

कांग्रेस ने केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के विरुद्ध कार्रवाई के लिए बीते गुरुवार को निर्वाचन आयोग का रुख किया. कांग्रेस का आरोप है कि विजयन ने चुनाव के दिन आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया है.

कन्नूर कांग्रेस अध्यक्ष सतीशन पचेनी ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी टीका राम मीणा से शिकायत की है कि विजयन ने खुले तौर पर मतदान के दिन बीते मंगलवार को दावा किया कि उनकी सरकार को भगवान अयप्पा और अन्य देवताओं का समर्थन हासिल है.

उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने अपना मत डालने के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा, ‘भगवान अयप्पा, इस धरती के सभी देवता और सभी अनुयायियों के इष्ट देव उनकी सरकार के साथ हैं.’

भाजपा रुपये दे तो ले लें, वोट तृणमूल को दें: अभिषेक बनर्जी

तृणमूल कांग्रेस सांसद अभिषेक बनर्जी ने बीते गुरुवार को आरोप लगाया कि भाजपा लोगों के वोट खरीदने के लिए रुपये बांट रही है. इसके साथ ही उन्होंने लोगों से कहा कि वे भाजपा की ओर से दिए जाने वाले रुपये लेने के बाद तृणमूल के पक्ष में मतदान करें.

बनर्जी ने अलीपुरद्वार जिले के कुमारग्राम में एक सार्वजनिक सभा को संबोधित करते हुए जोर दिया कि लोगों को मोलभाव करना चाहिए और 500 रुपये की पेशकश किए जाने पर मतदाताओं को 5,000 रुपये मांगने चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘कमल (भाजपा का चुनाव चिह्न) से रुपये ले लें और दो फूलों (तृणमूल का चुनाव चिह्न) को वोट दें. अगर वे आपको धोखा दे सकते हैं, तो आप ऐसा क्यों नहीं करेंगे?’

उन्होंने कूच बिहार के तूफानगंज में एक अन्य रैली को संबोधित करते हुए कहा कि लोगों को यह तय करना होगा कि वे बाहर के नेताओं को चाहते हैं या अपनी ‘बेटी ममता बनर्जी को.’

भाजपा के ‘अच्छे दिन’ के वादे पर निशाना साधते हुए तृणमूल सांसद ने कहा कि भाजपा लोगों की उम्मीदों को पूरा करने में नाकाम रही है.

उन्होंने कहा कि केंद्र में भाजपा के शासन में आवश्यक वस्तुओं, पेट्रोल और रसोई गैस की कीमतें आसमान को छू रही हैं, जिससे लोग परेशान हैं.

उन्होंने कोविड-19 की स्थिति से निपटने के संबंध में केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि ममता बनर्जी सरकार को केंद्र से कोई खास मदद नहीं मिली और राज्य सरकार को अन्य प्रदेशों से लोगों को वापस लाने और उनकी सहायता में बड़े पैमाने पर व्यवस्था करनी पड़ी.

असम के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को आचार संहिता लागू होने के दौरान 1374 शिकायतें मिलीं

असम के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) ने बीते गुरुवार को बताया कि उन्हें हाल में संपन्न हुए राज्य विधानसभा चुनाव के संदर्भ में आदर्श आचार संहिता लागू रहने के दौरान 1374 शिकायतें प्राप्त हुई थीं.

सीईओ कार्यालय जारी एक विज्ञप्ति के मुताबिक इन 1374 शिकायतों में से 411 को खारिज कर दिया गया जबकि 961 को सही पाया गया तथा दो अभी लंबित हैं.

इसमें कहा गया कि प्रदेश की 126 सदस्यीय विधानसभा के लिए तीन चरणों में हुए चुनाव के मद्देनजर 26 फरवरी से आठ अप्रैल तक आदर्श आचार संहिता लागू रहने के दौरान प्रतिबंधित अवधि के समय प्रचार करने की 13 शिकायतें मिलीं. इनमें से छह शिकायतों को खारिज कर दिया गया.

बयान में कहा गया कि आग्नेयास्त्र (फायर आर्म्स) दिखाने और धमकाने से जुड़ी सात शिकायतें थीं और इनमें से छह को खारिज कर दिया गया. नकदी बांटे जाने से जुड़ी 30 शिकायतें थीं और इनमें से 27 को खारिज कर दिया गया.

विज्ञप्ति में कहा गया कि अन्य शिकायतें उपहार व कूपन के वितरण, बिना अनिवार्य जानकारी दिये पोस्टरों का प्रकाशन, संपत्ति को विरूपित करने, बिना इजाजत पोस्टर व बैनर लगाने, धार्मिक या सांप्रदायिक भाषण या संदेश देने, तय सीमा के बाद स्पीकरों के इस्तेमाल, बिना मंजूरी के गाड़ियों का इस्तेमाल करने से जुड़ी थीं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)