अमेरिकी नौसेना ने अप्रत्याशित कदम उठाते हुए बुधवार को लक्षद्वीप द्वीपसमूह के निकट भारतीय जलक्षेत्र में नौपरिवहन स्वतंत्रता अभियान शुरू किया. अमेरिका ने कहा है कि उन्होंने भारत की ‘अत्यधिक समुद्री दावों’ को चुनौती देने के लिए ऐसा किया है. नियमानुसार, भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र या उपमहाद्वीपीय इलाके में सैन्य अभ्यास या अभियान के लिए पूर्वानुमति लेनी होती है.
नई दिल्ली: अमेरिकी नौसेना ने अप्रत्याशित कदम उठाते हुए भारत की पूर्वानुमति के बिना बीते बुधवार को लक्षद्वीप द्वीपसमूह के निकट भारतीय जलक्षेत्र में नौपरिवहन स्वतंत्रता अभियान शुरू कर दिया. अमेरिका ने कहा है कि उन्होंने भारत की ‘अत्यधिक समुद्री दावों’ को चुनौती देने के लिए ऐसा किया है.
हैरानी की बात ये है कि अमेरिका ने सार्वजनिक तौर पर स्वीकार किया है कि उसके जहाज भारत के जलीय क्षेत्र में बिना इजाजत के घुसे हैं.
अमेरिकी नौसेना की सातवीं फ्लीट के कमांडर की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि मिसाइल नाशक यूएसएस जॉन पॉल जोन्स के जरिये सात अप्रैल को यह अभियान शुरू किया गया.
बयान में कहा गया है, ‘सात अप्रैल, 2021 को यूएसएस जॉन पॉल जोन्स (डीडीजी 53) ने भारत की अनुमति के बिना, अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप उसके विशेष आर्थिक क्षेत्र लक्षद्वीप द्वीपसमूह के पश्चिम से लगभग 130 समुद्री मील दूर नौपरिवहन अधिकार एवं स्वतंत्रता अभियान शुरू किया.’
भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) या उपमहाद्वीपीय इलाके में सैन्य अभ्यास या अभियान के लिये उससे पूर्वानुमति लेनी होती है. बयान में दावा किया गया है कि यह अभियान अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुरूप शुरू किया गया है.
बयान के अनुसार इस नौपरिवहन स्वतंत्रता अभियान ने भारत के ‘अत्यधिक समुद्री दावों’ को चुनौती देते हुए अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत अधिकारों की स्वतंत्रता और समुद्र के विधि सम्मत उपयोग को बरकरार रखा है.
बयान के अनुसार, अमेरिकी बल भारत-प्रशांत क्षेत्र में दैनिक अधार पर गतिविधियां करते हैं. सभी अभियानों को अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुसार अंजाम दिया जाता है. साथ ही यह स्पष्ट किया जाता है कि अमेरिका अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुसार जहां चाहें वहां हवाई, समुद्री और अन्य गतिविधियों को अंजाम दे सकता है.
बयान में कहा गया है, ‘हम नियमित रूप से नौपरिवहन स्वतंत्रता अभियान का आयोजन करते हैं. हम अतीत में भी ऐसा कर चुके हैं और भविष्य में भी करते रहेंगे. नौपरिवहन स्वतंत्रता अभियान केवल एक देश के लिए नहीं होते.’
इस संबंध में भारत की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है और न ही इस बात की जानकारी दी गई है कि क्या भारतीय सेना में अमेरिकी जहाजों को चुनौती दी थी या नहीं.
जब भारत ने वर्ष 1995 में यूएन कन्वेंशन ऑफ द लॉ ऑफ सी (यूएनसीएलओएस) को मंजूरी प्रदान की थी, तो उसने घोषणा की थी कि कन्वेंशन के प्रावधान अन्य देशों को विशेष आर्थिक क्षेत्र या उपमहाद्वीपीय इलाके में तटीय देश की मंजूरी के बिना सैन्य अभ्यास या अभियान के लिए मंजूरी प्रदान नहीं करते हैं.
खास बात ये है कि अमेरिका ने अभी तक यूएनसीएलओएस को समर्थन या मंजूरी प्रदान नहीं की है. इस कन्वेंशन के अनुच्छेद 58(आई) को लेकर विवाद है, जिसमें अमेरिका जैसे समुद्री देशों का मानना है कि इसके तहत वे विशेष आर्थिक क्षेत्र में भी नौपरिवहन कर सकते हैं.
द वायर ने अमेरिका के रक्षा विभाग की वार्षिक रिपोर्टों का विश्लेषण किया और ये जानना चाहा कि वैश्विक स्तर पर अमेरिका ने कितने नौपरिवहन स्वतंत्रता अभियान किए हैं.
पिछले महीने प्रकाशित ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी नेवी ने अक्टूबर 2019 से सितंबर 2020 के बीच भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र में एक भी नौपरिवहन स्वतंत्रता अभियान नहीं किया है.
हालांकि 2019 के वार्षिक रिपोर्ट में बताया गया है भारत में एक नौपरिवहन स्वतंत्रता अभियान किया गया था. साल 2018 को छोड़कर 2011 से 2017 तक की सभी रिपोर्टों के अध्ययन से पता चलता है कि अमेरिका नौसेना ने बिना किसी मंजूरी के भारतीय के क्षेत्र में नौपरिवहन अभियान किया है.
भारत के पूर्व नौसेना अध्यक्ष अरुण प्रकाश ने भी इस पर चिंता जाहिर की है. उन्होंने कहा कि जहां एक तरफ भारत ने समुद्र से जुड़े संयुक्त राष्ट्र कानून को मंजूरी प्रदान की है, वहीं अमेरिका अभी तक ऐसा नहीं कर पाया है.
FoN ops by USN ships (ineffective as they may be) in South China Sea, are meant to convey a message to China that the putative EEZ around the artificial SCS islands is an “excessive maritime claim.” But what is the 7th Fleet message for India? https://t.co/epo0CY9mqC
— Arun Prakash (@arunp2810) April 9, 2021
उन्होंने कहा, ‘अमेरिकी नौसेना की सातवीं फ्लीट के कमांडर द्वारा भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र में नौपरिवहन स्वतंत्रता अभियान चलाना हमारे घरेलू कानून का गंभीर उल्लंघन है.’
प्रकाश ने सवाल उठाया कि यदि दक्षिण चीन सागर में अमेरिका द्वारा नौपरिवहन स्वतंत्रता अभियान करके चीन को आंख दिखाना है तो ‘सातवीं फ्लीट कमांडर का भारत के लिए क्या संदेश है.’
दिलचस्प बात यह है कि अमेरिका ने हमेशा भारत को अपनी इंडो-पैसिफिक नीति के लिए आधारशिला मानता है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)