असिस्टेंस एसोसिएशन फॉर पॉलिटिकल प्रिज़नर्स द्वारा संकलित आंकड़ों के मुताबिक, बीते एक फरवरी को म्यांमार में तख़्तापलट के बाद सैन्य शासन के ख़िलाफ़ लगातार चल रहे प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसक कार्रवाई में अब मृतकों की कुल संख्या 701 हो चुकी है. साथ ही क़रीब 3,012 लोगों को हिरासत में लिया गया या सज़ा दी गई है.
यंगून: म्यांमार के बागो शहर में सुरक्षा बलों ने शुक्रवार को सैन्य तख्तापलट के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले कम से कम 82 लोकतंत्र समर्थकों को मार डाला. मारे गए प्रदर्शनकारियों की संख्या पर नजर रखने वाले एक संगठन और स्थानीय मीडिया की खबरों में यह दावा किया गया है.
इससे पहले 14 मार्च को यंगून में 100 से ज्यादा लोग मारे गए थे. यंगून से बागो करीब 100 किलोमीटर दूर है. समाचार एजेंसी एपी (एसोसिएडेट प्रेस) स्वतंत्र रूप से मौत के इन आंकड़ों की पुष्टि करने में असमर्थ है.
‘असिस्टेंस एसोसिएशन फॉर पॉलिटिकल प्रिजनर्स’ द्वारा संकलित शुरुआती आंकड़ों के मुताबिक मरने वालों की संख्या 82 है. यह संगठन मरने वालों और गिरफ्तार लोगों की दैनिक संख्या जारी करता है.
ये आंकड़े काफी व्यापक रूप से विश्वसनीय माने जाते हैं, क्योंकि मौत के नए मामलों को तब तक शामिल नहीं किया जाता जब तक उनकी पुष्टि नहीं हो जाती और उनका विवरण वेबसाइट पर नहीं दे दिया जाता.
संगठन ने शनिवार की रिपोर्ट में कहा कि उसे बागो में मरने वालों की संख्या के और बढ़ने की आशंका है क्योंकि और मामलों का सत्यापन किया जाना बाकी है.
ऑनलाइन समाचार वेबसाइट म्यांमार नाऊ ने भी 82 लोगों के मारे जाने की खबर दी है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, सुरक्षाबलों ने प्रदर्शनकारियों पर यह हमला राइफल ग्रेनेड से किया और गवाहों व स्थानीय मीडिया आउटलेट्स के अनुसार सुरक्षा बलों ने जेयार मुनि पैगोडा परिसर में शवों को ढक दिया और इस क्षेत्र को बंद कर दिया.
सुरक्षाबलों द्वारा रोजाना मारे गए प्रदर्शनकारियों और की गईं गिरफ्तारियों का आंकड़ा तैयार रखने वाले असिस्टेंट एसोसिएशन फॉर पॉलिटिकल प्रिजनर्स (एएपीपी) ने इससे पहले कहा था कि तख्तापलट के बाद से 618 लोगों की मौत हो चुकी है.
वहीं, उसकी वेबसाइट पर मौजूद 10 अप्रैल तक के आंकड़ों के अनुसार, सैन्य कार्रवाई में मृतकों की संख्या 701 हो चुकी है, जबकि 3,012 लोगों को फिलहाल हिरासत में रखा गया है और 656 लोगों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है.
हालांकि, सेना इन आंकड़ों से सहमति नहीं जताती है और कहती है कि तख्तापलट इसलिए किया गया क्योंकि आंग सान सू ची की पार्टी ने नवंबर के चुनाव में धांधली की थी. हालांकि, चुनाव आयोग इससे इनकार करता है.
सत्तारूढ़ जुंटा के प्रवक्ता मेजर जनरल जॉ मिन टुन ने शुक्रवार को राजधानी नयपिटाव में एक समाचार सम्मेलन में बताया कि सेना ने 248 नागरिक मौतें और 16 पुलिस मौतें दर्ज की थीं और कहा कि सुरक्षा बलों द्वारा किसी स्वचालित हथियार का इस्तेमाल नहीं किया गया था.
वहीं, घरेलू मीडिया ने कहा कि म्यांमार में जातीय सेनाओं के गठजोड़ का विरोध करने वाले लोगों ने शनिवार को पूर्व में एक पुलिस स्टेशन पर हमला किया और कम से कम 10 पुलिसकर्मी मारे गए.
म्यांमार के सैन्य शासकों ने शुक्रवार को कहा कि इसके शासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कम हो रहे हैं, क्योंकि लोग शांति चाहते हैं और यहां दो साल के भीतर चुनाव होगा.
इस बीच म्यांमार की सत्ता से बाहर किए गए सांसदों ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से सेना के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया.
निर्वासित सांसदों की कार्यकारी विदेश मंत्री नियुक्त किए गए जिन मार ऑन्ग ने कहा, ‘हमारे लोग अपने अधिकारों और स्वतंत्रता को वापस पाने के लिए कोई भी कीमत चुकाने को तैयार हैं. उन्होंने परिषद के सदस्यों से आग्रह किया कि वे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों दबाव को लागू करें.’
म्यांमार पर इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप के एक वरिष्ठ सलाहकार रिचर्ज होर्सी ने कहा, ‘म्यांमार एक राज्य के रूप में विफल होने के कगार पर खड़ा है. उन्होंने यह बात परिषद के सदस्यों द्वारा म्यांमार पर हुई पहली सार्वजनिक चर्चा के दौरान कही जो कि संयुक्त राष्ट्र की एक अनौपचारिक बैठक थी.’
बता दें कि बीते 1 फरवरी को सैन्य तख्तापलट के बाद से ही कई हफ्तों तक प्रदर्शन हुए और इसके जवाब में सेना ने घातक तरीके से उसे दबाने की कोशिश की.
म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बाद बीते 27 मार्च सबसे खून खराबे वाला दिन रहा. उस दिन सेना ने 114 लोगों की हत्या कर दी. 27 मार्च से पहले 14 मार्च सबसे हिंसक दिनों में से एक रहा था. इस दिन प्रदर्शनों के खिलाफ कार्रवाई में कम से कम 38 लोगों की मौत हुई.
गौरतलब है कि म्यांमार में सेना ने बीते एक फरवरी को तख्तापलट कर आंग सान सू ची और अन्य नेताओं को नजरबंद करते हुए देश की बागडोर अपने हाथ में ले ली थी.
म्यांमार की सेना ने एक साल के लिए देश का नियंत्रण अपने हाथ में लेते हुए कहा था कि उसने देश में नवंबर में हुए चुनावों में धोखाधड़ी की वजह से सत्ता कमांडर इन चीफ मिन आंग ह्लाइंग को सौंप दी है.
सेना का कहना है कि सू ची की निर्वाचित असैन्य सरकार को हटाने का एक कारण यह है कि वह व्यापक चुनावी अनियमितताओं के आरोपों की ठीक से जांच करने में विफल रहीं.
पिछले साल नवंबर में हुए चुनावों में सू ची की पार्टी ने संसद के निचले और ऊपरी सदन की कुल 476 सीटों में से 396 पर जीत दर्ज की थी, जो बहुमत के आंकड़े 322 से कहीं अधिक था, लेकिन 2008 में सेना द्वारा तैयार किए गए संविधान के तहत कुल सीटों में 25 प्रतिशत सीटें सेना को दी गई थीं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)