इससे पहले चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को सलाह दी थी कि वे विज्ञापनों या अपने चुनाव प्रचार अभियान के हिस्से के रूप में सुरक्षा बलों की तस्वीरों या सुरक्षा बलों से जुड़े कार्यों को प्रदर्शित करने से दूर रहें.
नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने शनिवार को पश्चिम बंगाल के वोटरों से घरों से बाहर निकलने और मतदान करने के लिए अपने प्रिंट विज्ञापन में सैन्य बलों का इस्तेमाल किया, जबकि उसने राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों को सलाह दी है कि वे चुनावी अभियानों में सुरक्षा बलों का कोई भी उल्लेख करने से बचें.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिम बंगाल में चौथे चरण के मतदान के दिन (10 अप्रैल) जारी हुए चुनाव आयोग के विज्ञापन में अमर जवान ज्योति की छायाकृति और कार्टूनिस्ट आरके लक्ष्मण का कॉमन मैन का स्केच शहीद जवान को श्रद्धांजलि दे रहा था.
विज्ञापन पाठकों ने कह रहा था, ‘उन्होंने अपने देश के लिए जान दी. क्या आप देश के लिए वोट भी नहीं कर सकते हैं?’
इसके बाद विज्ञापन में कहा गया, ‘वोट केवल आपका अधिकार नहीं है, बल्कि आपका कर्तव्य भी है. बिना किसी भय के अपना वोट डालें.’
#govote #BeAnEthicalVoter #NoVoterToBeLeftBehind #AssemblyElections2021 #ElectionCommissionOfIndia #ECI pic.twitter.com/qtuWzOCWpF
— Election Commission of India #SVEEP (@ECISVEEP) April 10, 2021
अमर जवान ज्योति का निर्माण 1971 के युद्ध के बाद युद्ध के दौरान शहीद हुए भारतीय सशस्त्र बलों के शहीद और अज्ञात सैनिकों की याद में किया गया था.
पूर्व में चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को सलाह दी थी कि वे विज्ञापनों या अपने चुनाव प्रचार/अभियान के हिस्से के रूप में सुरक्षाबलों की तस्वीरों या सुरक्षा बलों से जुड़े कार्यों को प्रदर्शित करने से दूर रहें.
यह एडवाइजरी सबसे पहले दिसंबर 2013 में जारी की गई थी. साल 2019 में 9 मार्च को लोकसभा चुनावों की घोषणा के दौरान उसने इसे दोहराया था.
इसके बाद जब कई प्रत्याशियों और प्रचारकों ने पुलवामा आतंकी हमले और बालाकोट एयरस्ट्राइक का अपने प्रचार में जिक्र किया था, तब 19 मार्च को चुनाव आयोग में दोबारा इस पर ध्यान दिलाया था.
यह निर्देश इस तर्क से उपजा है कि सशस्त्र बल एक आधुनिक लोकतंत्र में गैर-राजनीतिक और तटस्थ हितधारक हैं, इसलिए उन्हें चुनाव में नहीं घसीटा जाना चाहिए.
चुनाव आयोग के एक पूर्व अधिकारी ने स्वीकार किया कि आयोग के लिए इस तरह का विज्ञापन शायद पहला है.
उन्होंने कहा, ‘चुनाव आयोग से समान नियमों का पालन करने की उम्मीद की जाती है. आप राजनीतिक दलों को रक्षा बलों का उपयोग करने से रोककर खुद उसका इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं.’
हालांकि, चुनाव आयोग के एक मौजूदा वरिष्ठ अधिकारी ने इस विज्ञापन का यह कहते हुए बचाव किया, ‘हमारा इरादा बिल्कुल अलग है. सबसे पहले यहां प्रयुक्त छायाचित्र केवल सशस्त्र बलों के लिए नहीं है, यह पुलिस बलों का भी संकेत देने वाला है. इसके अलावा हम चुनावी लाभ के लिए सशस्त्र बलों का राजनीतिकरण नहीं कर रहे हैं. हमारा उद्देश्य मतदाताओं को बाहर आने और मतदान करने के लिए प्रेरित करना है.’