मुख्य चुनाव आयुक्त ने अपने आख़िरी फ़ैसले में ममता बनर्जी के प्रचार करने पर 24 घंटे की रोक लगाई

12 अप्रैल को मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में अपना कार्यकाल समाप्त करने से पहले सुनील अरोड़ा ने आखिरी फ़ैसले के रूप में तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी के केंद्रीय बलों के ख़िलाफ़ बयानों और कथित धार्मिक प्रवृत्ति वाले एक बयान के लिए यह प्रतिबंध लगाया है. तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि आयोग भाजपा शाखा की भांति कर रहा है बर्ताव.

ममता बनर्जी. (फोटो: पीटीआई)

12 अप्रैल को मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में अपना कार्यकाल समाप्त करने से पहले सुनील अरोड़ा ने आखिरी फ़ैसले के रूप में तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी के केंद्रीय बलों के ख़िलाफ़ बयानों और कथित धार्मिक प्रवृत्ति वाले एक बयान के लिए यह प्रतिबंध लगाया है. तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि आयोग भाजपा शाखा की भांति कर रहा है बर्ताव.

ममता बनर्जी. (फोटो: पीटीआई)
ममता बनर्जी. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: बीते 12 अप्रैल को मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में अपना कार्यकाल समाप्त करने से पहले सुनील अरोड़ा ने आखिरी फैसले के रूप में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के 24 घंटे तक चुनाव प्रचार करने पर रोक लगा दी.

बीते सोमवार को निर्वाचन आयोग ने तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी के केंद्रीय बलों के खिलाफ बयानों और कथित धार्मिक प्रवृत्ति वाले एक बयान के लिए उनके 24 घंटे तक चुनाव प्रचार करने पर रोक लगाई है.

निर्वाचन आयोग के आदेश के अनुसार, ‘आयोग राज्य में कानून व्यवस्था की गंभीर समस्याएं पैदा कर सकने वाले ऐसे बयानों की निंदा करता है और ममता बनर्जी को सख्त चेतावनी देते हुए सलाह देता है कि आदर्श आचार संहिता प्रभावी होने के दौरान सार्वजनिक अभिव्यक्तियों में ऐसे बयानों का उपयोग करने से बचें.’

आदेश में कहा गया, ‘आयोग 12 अप्रैल रात 8 बजे से 13 अप्रैल रात 8 बजे तक 24 घंटे की अवधि के लिए ममता बनर्जी के प्रचार करने पर प्रतिबंध भी लगाता है.’

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव की शुरुआत 27 मार्च को पहले चरण के मतदान के साथ हुई थी. राज्य में आठ चरणों में मतदान की प्रक्रिया पूरी होगी.

निर्वाचन आयोग के आदेश में बनर्जी को 7 और 8 अप्रैल को भेजे गए दो अलग-अलग नोटिसों तथा उन पर बनर्जी के जवाबों का हवाला दिया गया है.

निर्वाचन आयोग ने कहा कि बनर्जी ने 9 अप्रैल के अपने जवाब में अपने भाषण के चुनिंदा अंश को शामिल किया है और भाषण के प्रमुख हिस्से के संदर्भ पर कोई भी उल्लेख नहीं किया है.

नोटिस के जवाब में तृणमूल कांग्रेस नेता ममता बनर्जी ने कहा था, ‘मैंने धार्मिक विभाजन के आधार पर मतदाताओं को वोट डालने के लिए प्रभावित करने का प्रयास नहीं किया था, बल्कि मैंने आदर्श आचार संहिता और भारत के संविधान की भावना के अनुरूप स्पष्ट रूप से धार्मिक सद्भाव के पक्ष में बात रखी थी.’

मुख्यमंत्री ने कहा था, ‘मैंने जो शब्द कहे थे कि ‘मैं अपने हिंदू भाइयों और बहनों से भी कहना चाहूंगी कि हिंदू और मुस्लिम के रूप में अपने बीच विभाजन न करें’, से स्पष्ट है कि मेरा भाषण धार्मिक भावनाओं को भड़काने के लिए नहीं बल्कि शांति और सद्भाव बनाकर रखने के लिए था.’

निर्वाचन आयोग के आदेश में उनके भाषण के ‘प्रमुख भाग’ का उल्लेख किया गया है.

आयोग के आदेश में ममता बनर्जी के भाषण का जो अंश शामिल किया गया है, उसके मुताबिक उन्होंने कहा, ‘मैं अपने अल्पसंख्यक भाइयों और बहनों से हाथ जोड़कर अनुरोध करती हूं कि भाजपा से पैसा लेने वाले शैतान की बात सुनकर अल्पसंख्यक वोटों को बंटने न दें. वह कई सांप्रदायिक बयान देता है और हिंदू तथा मुस्लिमों के बीच झगड़े की आग लगाता है.’

केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के खिलाफ अपने कथित बयान पर ममता बनर्जी ने आयोग से कहा कि उन्होंने केवल मतदाताओं, खासतौर पर महिलाओं का आह्वान किया था कि जब बल समेत कोई भी उनके मताधिकार में अड़चन पैदा करे तो वे ‘घेराव’ करके लोकतांत्रिक तरीके से प्रदर्शन करें.

उन्होंने कहा, ‘घेराव सार्वजनिक प्रदर्शन दर्ज करने का एक लोकतांत्रिक तरीका है तथा कोई वजह नहीं है कि घेराव को अवैध माना जाए.’

केंद्रीय बलों के खिलाफ बयानों पर ममता के जवाब पर आदेश में कहा गया है कि बनर्जी ने ‘एक बार फिर बड़ी आसानी से अपने भाषण के प्रमुख हिस्सों को, शायद चुनिंदा तरीके से चीजों को भूलने की आदत के चलते छोड़ दिया.’

आदेश में उनके भाषण के उस एक हिस्से का जिक्र है, जिसे आचार संहिता, जन प्रतिनिधित्व कानून तथा भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों का उल्लंघन करने वाला बताया गया है.

आयोग द्वारा उल्लेखित बनर्जी के भाषण के उस हिस्से के अनुसार उन्होंने कहा, ‘मैं जानती हूं कि वे किसके निर्देश पर मारपीट करते हैं और कैसे पिटाई करते हैं. आपकी जिम्मेदारी लोगों के परिवारों को बचाने की है. यदि हमारी किसी मां-बहन को एक लाठी लगती है तो उन पर कलछी, खुरपी और चाकू से हमला करें. मैं आपको बता रही हूं. यह महिलाओं का हक है और यदि हमारी किसी मां-बहन को मतदान केंद्र पर घुसने नहीं दिया जाता तो आप सब बाहर निकलो और विद्रोह कर दो.’

सुनील अरोड़ा (फोटो: पीटीआई)
सुनील अरोड़ा (फोटो: पीटीआई)

द टेलीग्राफ के अनुसार, सोमवार को आयोग में अरोड़ा का आखिरी दिन था और कई मुद्दों पर उनका बनर्जी और उनकी पार्टी के साथ तनातनी सामने आ चुकी थी.

राजस्थान कैडर के आईएएस अधिकारी अरोड़ा साल 2016 मेंकेंद्रीय सूचना सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुए थे. साल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान विवादित टिप्पणियों पर भाजपा नेताओं को क्लीन चिट देने पर उन पर भाजपा का पक्ष लेने का आरोप लगा था.

इसके साथ ही बंगाल चुनाव के दौरान भाजपा के प्रचारकों के अमर्यादित बयानों पर कार्रवाई करने में ढिलाई बरतने का भी आरोप लगा.

उनके कार्यकाल में ही चुनाव आयोग इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) को लेकर पैदा हुए संदेहों को दूर करने में असमर्थ रहा है.

आयोग भाजपा शाखा की भांति कर रहा है बर्ताव, लोकतंत्र के लिए काला दिन: टीएमसी

निर्वाचन आयोग द्वारा सोमवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर 24 घंटे के लिए चुनाव प्रचार पर रोक लगाने के कुछ ही देर बाद उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने दावा किया कि आयोग ‘भाजपा की शाखा’ की भांति बर्ताव कर रहा है और उसके फैसले से अधिनायकवाद की बू आती है.

तृणमूल के राज्यसभा सदस्य डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि यह भारत के लोकतंत्र के लिए काला दिन है.

उन्होंने कहा, ‘आयोग बिल्कुल कमजोर पड़ चुका है. 12 अप्रैल हमारे लोकतंत्र में काला दिन है. हमें हमेशा मालूम था कि हम बंगाल जीत रहे हैं.’

चुनाव आयोग पर निशाना साधते हुए टीएमसी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष यशवंत सिन्हा ने कहा कि लोकतंत्र की हर संस्था से समझौता किया गया है.

उन्होंने कहा, ‘हमें चुनाव आयोग की निष्पक्षता के बारे में हमेशा संदेह था, लेकिन आज इसने जो भी दिखावा किया है, वह स्पष्ट है. अब यह स्पष्ट है कि चुनाव आयोग मोदी/शाह के इशारे पर और उनके सीधे आदेश के तहत काम कर रहा है.’

उन्होंने कहा, ‘आज लोकतंत्र की हर संस्था से समझौता किया गया है. हम क्या उम्मीद कर सकते हैं?’

डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि यह भारत के लोकतंत्र के लिए काला दिन है.

उन्होंने कहा, ‘आयोग बिल्कुल कमजोर पड़ चुका है. 12 अप्रैल हमारे लोकतंत्र में काला दिन है. हमें हमेशा मालूम था कि हम बंगाल जीत रहे हैं.’

उन्हीं के सुर में सुर मिलाते हुए एक अन्य पार्टी नेता कुणाल घोष ने आयोग के फैसले पर कहा, ‘आयोग भाजपा की शाखा की भांति बर्ताव कर रहा है. यह पाबंदी ज्यादती है एवं इससे अधिनायकवाद की बू आती है. आयोग का एकमात्र लक्ष्य बनर्जी को चुनाव प्रचार से रोकना है, क्योंकि भाजपा पहले ही हार भांप चुकी है. यह शर्मनाक है.’

ममता बनर्जी निर्वाचन आयोग के फैसले के विरोध में कोलकाता में धरना देंगी

चुनाव प्रचार पर 24 घंटे के लिए पाबंदी लगाए जाने के निर्वाचन आयोग के फैसले की आलोचना करते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि वह आयोग के ‘असंवैधानिक फैसले’ के खिलाफ मंगलवार को शहर में धरना देंगी.

बनर्जी ने ट्वीट किया, ‘निर्वाचन आयोग के अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक फैसले के विरोध में मैं कल (मंगलवार) दिन में 12 बजे से गांधी मूर्ति, कोलकाता पर धरने पर बैठूंगी.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)