उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री ब्रजेश पाठक ने अपर मुख्य सचिव तथा प्रमुख सचिव स्वास्थ्य को लिखे एक कथित पत्र में कहा है कि पद्मश्री से सम्मानित प्रसिद्ध इतिहासकार योगेश प्रवीन को दो घंटे तक एंबुलेंस न मिलना बेहद ही कष्टदायक है. मुख्यमंत्री कार्यालय से अनुरोध करने पर भी एंबुलेंस नहीं मिली. समय से इलाज न मिलने पर उनकी मौत हो गई.
लखनऊ: देश में कोविड-19 की दूसरी लहर जहां तेजी से पैर पसार रही है, वहीं उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, बिहार जैसे बड़े राज्यों में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं और सरकारी तैयारी की पोल खुलती जा रही है.
दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश में कोविड-19 संक्रमण के कारण इतना बुरा हाल है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार के कैबिनेट मंत्री भी लखनऊ जिला प्रशासन के अफसरों की सुस्ती पर सवाल उठाने लगे हैं.
उत्तर प्रदेश सरकार में न्याय, विधायी एवं ग्रामीण अभियंत्रण सेवा मंत्री ब्रजेश पाठक ने कथित तौर पर राज्य के अपर मुख्य सचिव तथा प्रमुख सचिव स्वास्थ्य को पत्र लिखकर राजधानी में कोरोना वायरस संक्रमण के दौरान भी सुविधा पाने से वंचित लोगों की चिंता करने का अनुरोध किया है.
लखनऊ मध्य विधानसभा क्षेत्र से विधायक पाठक ने कथित तौर पर यह पत्र गोपनीय तौर पर लिखा था, लेकिन वह अब वायरल हो गया जिसके बाद सरकार के इंतजामों पर सवाल उठने लगे हैं.
कोविड-19 संक्रमण को रोकने के लिए की गई बदइंतजामी और बदहाली को लेकर मंत्री ने सवाल उठाने के साथ कहा है कि लखनऊ में हालत चिंताजनक है.
इस दौरान उन्होंने पद्मश्री से सम्मानित और प्रसिद्ध इतिहासकार योगेश प्रवीन को एंबुलेंस न मिलने के कारण उनकी मौत होने का भी जिक्र किया.
उन्होंने कहा कि इतिहासकार पद्मश्री योगेश प्रवीण को लगातार मांग के बाद भी दो घंटे तक एंबुलेंस न मिलना बेहद ही कष्टदायक है. आम आदमी के बारे में हम क्या कहें.
उन्होंने पत्र में लिखा कि मैंने लखनऊ के मुख्यमंत्री कार्यालय से अनुरोध किया फिर भी एंबुलेंस नहीं मिली. समय से इलाज न मिलने पर उनकी मौत हो गई. हम सब उनकी मौत के गुनाहगार हैं.
नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, हिंदी के प्रसिद्ध लेखक और अवध-लखनऊ के इतिहास के विशेष जानकार पद्मश्री 82 वर्षीय डॉ. योगेश प्रवीन का सोमवार को तेज बुखार आने के बाद निधन हो गया.
रिपोर्ट के अनुसार, सूचना देने के बाद भी 2 घंटे तक जब सरकारी एंबुलेंस नहीं आई तो घरवाले उन्हें प्राइवेट गाड़ी से बलरामपुर अस्पताल लेकर जा रहे थे. इस बीच रास्ते में ही डॉ. प्रवीन की सांसें थम गईं. अस्पताल में डॉक्टर ने उन्हें मृत लाया घोषित कर दिया.
उन्होंने आगे लिखा कि पिछले एक सप्ताह से जिलों से सैकड़ों फोन आ रहे हैं, जिनको हम ठीक से इलाज नहीं दे पा रहे.
उन्होंने लिखा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अथक प्रयास के बाद भी हम लोगों को इलाज नहीं दे पा रहे हैं. लखनऊ के मुख्यमंत्री ऑफिस से काम नहीं होता है. उनका तो फोन ही नहीं उठता है. लखनऊ के निजी लैब में कोविड जांच नहीं हो रही है. इतना ही नहीं कोविड अस्पतालों में बेड की संख्या कम है.
अपने पत्र में पाठक ने कोविड की जांच रिपोर्ट में 4 से 7 दिन लगने, 5 से 6 घंटे में एंबुलेंस पहुंचने, मुख्यमंत्री ऑफिस से भर्ती स्लिप मिलने में दो-दो दिन लगने, कोविड अस्पतालों में बेड की संख्या कम होने, निजी पैथॉलजी में कोविड जांच बंद होने और गंभीर रोगों से ग्रसित गैर-कोविड मरीजों को इलाज नहीं मिल पाने जैसी समस्याओं का जिक्र किया.
मंत्री ने लिखा, ‘अंसतोषजनक हालात को देखते हुए आठ अप्रैल को वह मुख्यमंत्री कार्यालय जा रहे थे, लेकिन अपर मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) के आश्वासन पर नहीं गए. फिर भी स्थिति संतोषजनक नहीं है. जरूरी है कि कोविड बेड बढ़ाए जाएं, पर्याप्त जांच किट दी जाएं, प्राइवेट लैब को कोविड जांच का फिर अधिकार मिले. गंभीर रोगियों को तुरंत भर्ती कर गंभीर रोगों से ग्रसित गैर-कोविड मरीजों का उचित इलाज हो. इन परिस्थितियों को शीघ्र नियंत्रित नहीं किया तो लखनऊ में लॉकडाउन लगाना पड़ सकता है.’