कोविड-19: कोवैक्सीन और कोविशील्ड के बाद रूस में बनी ‘स्पुतनिक वी’ के इस्तेमाल को मिली मंज़ूरी

रूस में निर्मित ‘स्पुतनिक वी’ भारत में कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ इस्तेमाल होने वाली तीसरी वैक्सीन है. इससे पहले जनवरी में पुणे में सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन ‘कोविशील्ड’ तथा भारत बायोटेक की ‘कोवैक्सीन’ के आपातकालीन उपयोग की मंज़ूरी दी थी.

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स्पुतनिक वी टीका. (फोटो: रॉयटर्स)

रूस में निर्मित ‘स्पुतनिक वी’ भारत में कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ इस्तेमाल होने वाली तीसरी वैक्सीन है. इससे पहले जनवरी में पुणे में सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन ‘कोविशील्ड’ तथा भारत बायोटेक की ‘कोवैक्सीन’ के आपातकालीन उपयोग की मंज़ूरी दी थी.

स्पुतनिक वी टीका. (फोटो: रॉयटर्स)
स्पुतनिक वी टीका. (फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: प्रमुख दवा कंपनी डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज ने मंगलवार को कहा कि उसे रूस में निर्मित कोविड-19 की वैक्सीन ‘स्पुतनिक वी’ के सीमित आपातकालीन उपयोग के लिए भारतीय दवा नियामक से मंजूरी मिल गई है.

भारतीय दवा महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने आपातकालीन उपयोग के लिए इस वैक्सीन को पंजीकृत किया है. यह वैक्सीन रूस में नैदानिक परीक्षणों को पूरा कर चुकी है, तथा भारत में तीसरे चरण के नैदानिक परीक्षणों में इसके परिमाण सकारात्मक हैं. भारत में यह परीक्षण डॉ. रेड्डीज के साथ मिलकर किए गए.

डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज ने शेयर बाजार को बताया कि उसे दवा और कॉस्मेटिक्स कानून के तहत नए दवा एवं चिकित्सकीय परीक्षण नियम, 2019 के प्रावधानों के अनुसार आपातकालीन स्थितियों में प्रतिबंधित उपयोग के लिए भारत में ‘स्पुतनिक वी’ वैक्सीन आयात करने की अनुमति मिली है.

कंपनी ने सितंबर 2020 में ‘स्पुतनिक वी’ वैक्सीन के नैदानिक परीक्षणों का संचालन करने और भारत में वैक्सीन वितरित करने के लिए रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष (आरडीआईएफ) के साथ भागीदारी की थी.

आरडीआईएफ द्वारा रूस में किए गए परीक्षणों के अलावा डॉ. रेड्डीज ने भारत में वैक्सीन के चरण दो और तीन के नैदानिक परीक्षण किए हैं.

डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज सह-अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक जीवी प्रसाद ने कहा, ‘भारत में संक्रमण के बढ़ते मामलों के साथ कोविड-19 के खिलाफ हमारी लड़ाई में टीकाकरण सबसे प्रभावी साधन है. इससे हम आबादी के एक बड़े हिस्से को टीका लगाने के देश के प्रयास में योगदान कर सकेंगे.’

डॉ. रेड्डीज ने कहा कि ‘स्पुतनिक वी’ अब दुनिया भर के 60 देशों में उपयोग के लिए स्वीकृत है.

मालूम हो कि ‘स्पुतनिक वी’ भारत में कोरोना वायरस के खिलाफ इस्तेमाल होने वाली तीसरी वैक्सीन है. इससे पहले डीसीजीआई ने जनवरी में दुनिया की सबसे बड़ी टीका निर्माता कंपनी पुणे स्थित सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन कोविशील्ड तथा भारत बायोटेक की कोवैक्सीन के आपातकालीन उपयोग की मंजूरी दी थी.

भारत बायोटेक ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के साथ मिलकर कोवैक्सीन का विकास किया है. वहीं, सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने ‘कोविशील्ड’ के उत्पादन के लिए ब्रिटिश-स्वीडिश कंपनी एस्ट्राजेनेका के साथ साझेदारी की है.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, मंगलवार को सुबह 11:19 बजे बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज के शेयर 4,803 रुपये पर था. कंपनी के शेयर 5,200 प्रति शेयर के उच्च स्तर पर खुले थे. वे सोमवार को 4,989 पर बंद हुए थे.

भारत में ‘स्पुतनिक वी’ की हर साल 85 करोड़ खुराक तैयार होंगी: आरडीआईएफ

रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष (आरडीआईएफ) ने कहा कि भारत में हर साल ‘स्पुतनिक वी’ वैक्सीन की 85 करोड़ से अधिक खुराक तैयार होंगी.

आरडीआईएफ ने एक बयान में कहा कि करीब तीन आबादी वाले देशों में वैक्सीन के इस्तेमाल को मंजूरी मिल चुकी है और भारत ‘स्पुतनिक वी’ को मंजूरी देन वाला 60वां देश है.

बयान में कहा गया कि आबादी के लिहाज से भारत इस टीके को अपनाने वाला सबसे बड़ा देश है और वह ‘स्पुतनिक वी’ के उत्पादन में भी अग्रणी है.

आरडीआईएफ के सीईओ किरिल दिमित्रिव ने कहा कि वैक्सीन को मंजूरी एक बड़ा मील का पत्थर है, क्योंकि दोनों देशों के बीच ‘स्पुतनिक वी’ के नैदानिक परीक्षणों और इसके स्थानीय उत्पादन को लेकर व्यापक सहयोग विकसित हो रहा है.

उन्होंने कहा, ‘रूसी वैक्सीन का असर 91.6 प्रतिशत तक है और ये कोविड-19 के गंभीर मामलों के प्रति पूर्ण सुरक्षा मुहैया कराता है, जैसा कि प्रमुख चिकित्सा पत्रिका द लैंसेट में प्रकाशित आंकड़ों से पता चलता है.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)