कांग्रेस ने कहा, इस घोटाले की जांच सीबीआई से करवाने की सिफारिश एक दिखावे के सिवाय कुछ नहीं हैं, न्यायालय की निगरानी में हो जांच.
नई दिल्ली/पटना: बिहार के भागलपुर जिले में एक एनजीओ के माध्यम से 870.88 करोड़ रुपये की सरकारी राशि के गबन मामले पर विपक्षी दल राजद और कांग्रेस ने बुधवार को जमकर बवाल काटा. विपक्ष मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तथा उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के इस्तीफे की मांग पर अड़ गया है. इस कारण विधानमंडल के दोनों सदनों में जमकर हंगामा हुआ और कार्यवाही बाधित हुई.
उधर कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि इस मामले में न केवल राज्य स्तर के नेता बल्कि भाजपा के कुछ केंद्रीय नेताओं एवं मंत्रियों का भी नाम आ रहा है.
कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष तिवारी ने संवाददाताओं से किसी का नाम लिये बिना कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल के आगामी फेरबदल में दो मंत्रियों को सृजन घोटाले में कथित संलिप्तता के कारण ही हटाया जा सकता है. उन्होंने इस बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से स्थिति स्पष्ट करने को कहा.
सीबीआई की सिफारिश महज दिखावा है
तिवारी ने कहा कि सृजन घोटाला इतना बड़ा है कि इसके जरिये राज्य के सरकारी खजाने को पिछले कई वर्षों में करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचाया गया. यह सब कुछ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी की जानकारी के बिना नहीं हो सकता है.
उन्होंने कहा कि इस मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी को इस्तीफा देना चाहिए. तिवारी ने कहा कि नीतीश सरकार द्वारा इस घोटाले की जांच सीबीआई से करवाने की सिफारिश एक दिखावे के सिवाय कुछ नहीं हैं.
उन्होंने कहा कि यह इतना बड़ा मामला है कि जब तक उच्चतम न्यायालय की निगरानी में इस मामले की जांच नहीं करवाई जाती है, तब तक सत्य सामने नहीं आ पाएगा.
न्यायालय की निगरानी में जांच हो
कांग्रेस ने सृजन एनजीओ घोटाले के माध्यम से बिहार सरकार के खजाने को करोड़ों रुपये को चूना लगाए जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि इस पूरे मामले की उच्चतम न्यायालय की निगरानी में जांच की जाए. साथ ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी इस्तीफा दें.
कांग्रेस ने इस बात पर भी हैरत जताई कि भाजपा सरकारों के शासनकाल के दौरान हो रहे व्यापम एवं सृजन जैसे बड़े घोटालों में मुख्य आरोपियों एवं गवाहों की रहस्यमय ढंग से जान जा रही है. पार्टी ने कहा कि इस पक्ष की भी जांच होनी चाहिए.
बिना लाइसेंस के खोल दिया बैंक
कांग्रेस के एक अन्य प्रवक्ता अजय कुमार ने कहा कि सृजन घोटाले के तहत ऐसे भी आरोप सामने आ रहे हैं कि बिहार के एक गांव में गैर लाइसेंस प्राप्त बैंक ही खोल दिया गया. ऐसे भी आरोप लगाए गए कि एक प्रशासनिक अधिकारी की पत्नी को महंगी मोटरसाइकिल खरीदने के लिए रिण दिया गया.
यह पूछे जाने पर कि कांग्रेस ने इस मुद्दे को बिहार में जदयू के साथ गठबंधन में सरकार चलाने के दौरान क्यों नहीं उठाया, अजय ने कहा कि यह मामला जब से सामने आया, उसके बाद से पार्टी इस मामले को लगातार उठा रही है.
दोनों सदनों में हंगामा
दूसरी तरफ, बिहार विधानसभा की आज बुधवार की कार्यवाही शुरू होते ही प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने उक्त मामले पर अपने कार्यस्थगन प्रस्ताव की ओर सदन के अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी का ध्यान आकृष्ट किया.
उन्होंने आसन से अनुरोध किया कि प्रश्नकाल को स्थगित कर सबसे पहले इस मुद्दे पर बहस कराई जाए. लेकिन चौधरी ने सदन की नियामवली का हवाला देते हुए उसे उचित समय पर उठाने को कहा.
अध्यक्ष के इस उत्तर पर राजद सदस्यों ने सदन के बीच आकर हंगामा और सरकार विरोधी नारेबाजी करना शुरू कर दी, बाद में कांग्रेस सदस्य भी उनके साथ जुड़ गए.
सृजन के कार्यक्रमों में नीतीश की तस्वीरें
राजद और कांग्रेस सदस्य सदन के बीचोबीच आकर सरकार विरोधी नारेबाजी करने लगे और इस मामले में नीतीश कुमार तथा सुशील मोदी के इस्तीफे की मांग करने लगे. विपक्ष के सदस्य नारेबाजी करते हुए इस घोटाले के केंद्र में मौजूद स्वयंसेवी संस्था सृजन महिला सहयोग समिति की ओर से आयोजित कार्यक्रमों में सत्तापक्ष से जुड़े लोगों की भागीदारी की तस्वीरें लहरा रहे थे.
नारेबाजी कर रहे विधायकों का दावा है कि सृजन के कार्यक्रमों के दौरान नीतीश और सुशील की तस्वीरें लगाई जाती थीं.
मुख्यमंत्री अररिया से किशनगंज तक बाढ़ प्रभावित इलाके के हवाई सर्वेक्षण के चलते सदन में उपस्थित नहीं थे. हालांकि सुशील मोदी सदन में थे.
विधानसभा अध्यक्ष ने विपक्षी सदस्यों को समझाने और सदन की कार्यवाही सुचारु रूप से चलने देने का अनुरोध किया, लेकिन इससे कोई लाभ नहीं होने पर उन्होंने सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी.
भाजपा नेता व मंत्री नंदकिशोर यादव ने तेजस्वी यादव को करारा जवाब देते हुए कहा कि बेनामी संपत्ति अर्जित करने वालों को ऐसे मुद्दों पर बोलने का नैतिक आधिकार नहीं है.
बिहार विधान परिषद की कार्यवाही शुरू होने पर कांग्रेस सदस्य दिलीप कुमार चौधरी ने प्रश्नकाल से पहले उक्त मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग की, जिसे उपसभापति हारून रशीद ने अस्वीकृत कर दिया. इसपर कांग्रेस और राजद दोनों के सदस्य सदन के बीच आकर सरकार विरोधी नारेबाजी करने लगे.
ठोस प्रमाण दे विपक्ष
उपसभापति ने दोनों दलों के सदस्यों से अपने स्थानों पर लौटने का आग्रह किया, लेकिन उन्होंने इस अनसुना कर दिया.
बाद में बिहार विधान परिषद में राजद विधायक दल की नेता राबड़ी देवी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि इस गबन मामले की जांच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के पद पर बने रहते निष्पक्ष तरीके से नहीं हो सकती इसलिए पहले उन्हें अपने पदों से इस्तीफा दे देना चाहिए.
सुशील मोदी विपक्ष के उक्त आरोप को पहले खारिज करते हुए कहा था कि उन्हें कोई ठोस प्रमाण प्रस्तुत करना चाहिए, फोटो के आधार पर किसी को कसूरवार नहीं ठहराया जा सकता.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)