यूरोपीय संसद की विदेश मामलों की समिति द्वारा एक रिपोर्ट में भारत में मानवाधिकार रक्षकों और पत्रकारों के लिए असुरक्षित कामकाजी माहौल, भारतीय महिलाओं और अल्पसंख्यक समूहों द्वारा सामना की जाने वाली कठिन परिस्थितियों और जाति आधारित भेदभाव के बारे में कई टिप्पणियां की गई हैं.
नई दिल्ली: यूरोपीय संसद की एक समिति ने एक रिपोर्ट को स्वीकार किया है जिसमें भारत में बिगड़ती मानवाधिकारों की स्थिति पर चिंता व्यक्त की गई है.
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, विदेशी मामलों की समिति द्वारा अपनाई गई रिपोर्ट में भारत में मानवाधिकार रक्षकों और पत्रकारों के लिए असुरक्षित कामकाजी माहौल, भारतीय महिलाओं और अल्पसंख्यक समूहों द्वारा सामना की जाने वाली कठिन परिस्थितियों और जाति आधारित भेदभाव के बारे में कई टिप्पणियां की गई हैं.
रिपोर्ट में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) पर भी चिंता व्यक्त की गई है, जिसे मुसलमानों के खिलाफ प्रकृति में भेदभावपूर्ण और खतरनाक रूप से विभाजनकारी करार दिया गया था.
रिपोर्ट में एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के कार्यालय बंद होने पर भी चिंता व्यक्त की गई है, जिसके बैंक खातों को विदेशी अंशदान अधिनियम के कथित उल्लंघन के कारण फ्रीज कर दिया गया था.
इस रिपोर्ट को 61 वोटों से स्वीकार किया गया जबकि छह वोट इसके खिलाफ पड़े जबकि चार सदस्य गैरहाजिर रहे. विदेश मामलों की समिति की यह रिपोर्ट अब सदस्य यूरोपीय संसद के पूर्ण अधिवेशन में वोटिंग के लिए प्रस्तुत की जाएगी.
बता दें कि इससे पहले फरवरी में मानवाधिकार के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त ने भारत में विरोधियों और पत्रकारों के खिलाफ राजद्रोह के मामलों के दुरुपयोग पर चिंता जताई थी.
इसके साथ ही समिति ने भारत के बढ़ते क्षेत्रीय और भूराजनीतिक प्रभाव को देखते हुए यूरोपीय यूनियन (ईयू) और भारत के बीच व्यापक द्विपक्षीय संबंधों की वकालत की.
रिपोर्ट में यूरोपीय संघ और भारत के बीच घनिष्ठ मूल्य आधारित व्यापार संबंधों और विश्व व्यापार संगठन में सुधार पर एक साथ काम करने की आवश्यकता की वकालत की गई है.
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि यूरोपीय संघ कश्मीर की स्थिति को बारीकी से देख रहा है और भारत और पाकिस्तान के बीच स्थिरता और विकास को बढ़ाने के लिए अपना समर्थन दोहराया है.
सांसदों ने अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों के आधार पर भारत और पाकिस्तान के बीच अच्छे पड़ोसी संबंधों की पुनर्संरचना और बहाली के लिए अपने प्रयासों को नवीनीकृत करने के लिए यूरोपीय संघ का आह्वान किया.
उन्होंने भारत और चीन के बिगड़ते रिश्तों और क्षेत्र में चीन की विस्तारवादी नीति और पर्याप्त सैन्य निर्माण पर भी चिंता व्यक्त की.
सांसदों ने शांतिपूर्ण विवाद समाधान, रचनात्मक और व्यापक संवाद की आवश्यकता और भारत-चीन सीमा पर अंतरराष्ट्रीय कानून के पालन के लिए अपना समर्थन दोहराया.