लालू प्रसाद यादव देवघर कोषागार से लगभग 89 लाख रुपये की राशि के गबन के आरोप में सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा 23 दिसंबर 2017 को दोषी ठहराए जाने के बाद से जेल में थे. उनके रिहा हो जाने की संभावना है, क्योंकि चारा घोटाले के अन्य तीन मामलों में उन्हें पहले ही ज़मानत मिल चुकी है.
रांची/पटना: झारखंड उच्च न्यायालय ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को करोड़ों रुपये के चारा घोटाले में दुमका कोषागार से गबन के मामले में शनिवार को करीब 40 महीने बाद जमानत दे दी.
अदालत ने उन्हें दस लाख रुपये जुर्माने की राशि जमा करने, विदेश नहीं जाने और मोबाइल नंबर नहीं बदलने की शर्त के साथ एक-एक लाख रुपये के दो निजी मुचलकों पर जमानत दी है. उनका अभी दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में न्यायिक हिरासत में इलाज चल रहा है.
जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की पीठ ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के विरोध को दरकिनार करते हुए लालू प्रसाद को जमानत दे दी.
लालू देवघर कोषागार से लगभग 89 लाख रुपये की राशि के गबन के आरोप में सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा 23 दिसंबर 2017 को दोषी ठहराए जाने के बाद से जेल में थे.
यह मामला 1991 और 1996 के बीच पशुपालन विभाग के अधिकारियों द्वारा दुमका कोषागार से 3.5 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी से संबंधित था, उस वक्त लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री थे.
ट्रायल कोर्ट ने लालू यादव को आईपीसी और भष्ट्राचार निरोधक अधिनियम की धारा 120बी (आपराधिक साजिश), 420 (धोखाधड़ी), 409 (लोक सेवक द्वारा विश्वास का आपराधिक उल्लंघन, या फिर बैंकर, व्यापारी या एजेंट द्वारा), 467 (मूल्यवान प्रतिभूति, वसीयत आदि की जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य के लिए जालसाजी), 471 (दस्तावेज या अभिलेख का असली के रूप में उपयोग में लाना) के तहत दोषी ठहराया गया था.
ट्रायल कोर्ट ने उन्हें सात साल की सजा सुनाई थी.
सोमवार को सीबीआई की विशेष अदालत में जमानत बांड, निजी मुचलके आदि की प्रक्रिया पूरी कर लेने पर उनके रिहा हो जाने की संभावना है, क्योंकि चारा घोटाले के अन्य तीन मामलों में उन्हें पहले ही जमानत मिल चुकी है.
लालू के स्थानीय अधिवक्ता देवर्षि मंडल ने कहा कि लालू की रिहाई के लिए सभी आवश्यक कार्रवाई सोमवार को सीबीआई अदालत खुलने पर पूरी कर लिए जाने की संभावना है.
अदालत में शनिवार को सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से केंद्र सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता राजीव सिन्हा ने लालू प्रसाद को फिलहाल जमानत देने का यह कहकर विरोध किया कि दुमका कोषागार मामले में उन्हें 14 वर्ष की जेल की सजा सुनाई है, लिहाजा जमानत के लिए आधी सजा पूरी करने का आधार तभी माना जाएगा जब लालू इस मामले में न्यायिक हिरासत में सात वर्ष की अवधि पूरी कर लेंगे.
लालू की ओर से दिल्ली से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सीबीआई की दलील का विरोध किया और कहा कि 19 फरवरी को उच्च न्यायालय ने स्वयं माना था कि लालू को जमानत देने के लिए सिर्फ एक माह 17 दिनों की न्यायिक हिरासत की अवधि और पूरी करनी है.
सिब्बल ने कहा कि लालू ने दुमका मामले में तय सात वर्ष की कैद की सजा की आधी अवधि छह अप्रैल को ही पूरी कर ली है.
पीठ ने यह भी कहा कि 19 फरवरी के आदेश को सीबीआई ने उच्चतम न्यायालय में चुनौती भी नहीं दी है, लिहाजा अब तक की परंपरा के अनुसार चारा घोटाले के किसी मामले में सजा की आधी अवधि न्यायिक हिरासत में पूरी कर लेने के चलते लालू को दुमका कोषागार से गबन के मामले में जमानत दी जाती है. न्यायालय ने आदेश में लालू की 73 वर्ष की उम्र एवं उनकी बीमारियों का भी जिक्र किया है.
अदालत ने उन्हें जमानत के लिए दुमका मामले में जुर्माने की साठ लाख रुपये की राशि में से दस लाख रुपये की रकम निचली अदालत में जमा करवाने और एक-एक लाख रुपये के दो निजी मुचलके देने के भी निर्देश दिए.
लालू को निचली अदालत में अपना पासपोर्ट भी जमा करना होगा और जमानत की अवधि में वह बिना अनुमति के विदेश यात्रा नहीं कर सकेंगे. लालू इस दौरान न तो अपना पता बदल सकेंगे और न ही मोबाइल फोन नंबर बदल सकेंगे.
लालू को चाईबासा के दो मामलों में और देवघर कोषागार से गबन के मामले में पहले ही जमानत मिल चुकी है, लिहाजा इस मामले में जमानत मिलने के बाद वह न्यायिक हिरासत से छूट सकेंगे.
चारा घोटाले से जुड़े 33 करोड़ 67 लाख रुपये के चाईबासा कोषागार से गबन के मामले में आधी सजा पूरी कर लेने के कारण बीते साल अक्टूबर में उन्हें जमानत दे दी गई थी.
इससे पूर्व 19 फरवरी को दुमका मामले में ही सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने लालू की याचिका इस आधार पर खारिज कर दी थी कि उन्होंने इस मामले में उन्हें मिली सजा की आधी अवधि अभी पूरी नहीं की थी.
इससे पूर्व निमोनिया की शिकायत पर बेहतर इलाज के लिए उन्हें 23 जनवरी को रांची स्थित राजेन्द्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) से एयर एंबुलेंस से एम्स ले जाया गया था.
बीते साल मार्च महीने में चारा घोटाले में दुमका कोषागार से करीब 3 करोड़ 13 लाख गबन के मामले में दोषी करार लालू यादव को विभिन्न धाराओं में 7-7 साल की सज़ा सुनाई गई थी.
इससे पहले चारा घोटाले के तीन मामलों में पहले ही सजा पा चुके लालू प्रसाद यादव को देवघर कोषागार एवं चाईबासा कोषागार के गबन के दो मामलों में दोषी ठहराया गया था.
जनवरी 2019 में 950 करोड़ रुपये के चारा घोटाला में देवघर कोषागार से 89 लाख, 27 हज़ार रुपये की अवैध निकासी के मामले में लालू यादव को रांची की सीबीआई अदालत साढ़े तीन वर्ष की क़ैद एवं दस लाख जुर्माने की सज़ा सुनाई थी.
साल 2013 के अक्टूबर महीने में चाईबासा कोषागार से 37 करोड़, सत्तर लाख रुपये अवैध ढंग से निकासी करने के चारा घोटाले के एक अन्य मामले में लालू प्रसाद यादव और सहित 22 लोगों को सज़ा सुनाई गई थी.
हालांकि लालू यादव ने इस फैसले के ख़िलाफ़ उच्चतम न्यायालय में अपील की थी जिसके बाद उन्हें ज़मानत मिल गई थी.
तेजस्वी ने कहा: हमें अदालत पर भरोसा था
राजद प्रमुख लालू प्रसाद को करोड़ों रुपये के चारा घोटाले में दुमका कोषागार से गबन के मामले में शनिवार को जमानत मिलने पर उनके छोटे पुत्र और बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने कहा कि इसके लिए वह अदालत को धन्यवाद देते है और उन्हें अदालत पर भरोसा था कि न्याय जरूर मिलेगा .
पटना में पत्रकारों से बातचीत के दौरान राजद प्रमुख जमानत मिलने के बारे में पूछे जाने पर तेजस्वी ने कहा कि देश और खासतौर पर बिहार के गरीबों के बीच इसको लेकर बेहद खुशी है कि अब उनके मसीहा अब बाहर आएंगे.
उन्होंने कहा, ‘इसके लिए हम लोग अदालत को धन्यवाद देते हैं. हम लोगों को अदालत पर भरोसा था कि न्याय जरूर मिलेगा. अभी लालू जी गंभीर बीमारियों को लेकर एम्स में भर्ती हैं.’
तेजस्वी ने कहा, ‘हम लोगों की चिंता उनके स्वास्थ्य को लेकर भी है. उनका अभी इलाज एम्स में ही चलेगा. उनका इलाज कर रहे चिकित्सकों की जो राय होगी उसके अनुसार हमलोग चलेंगे.’
राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने पार्टी के सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं से कहा है कि राजद परिवार के लिए बहुत हीं खुशी की बात है पर हम सभी को इस उत्साह के मौके पर काफी संयमित रहने की आवश्यकता है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)