किसान नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि कोरोना वायरस पर सरकार का पाखंड उजागर हो गया है. मंत्री और नेता चुनावी रैलियां कर रहे हैं. उन्हें दूसरों पर सवाल उठाने का कोई अधिकार नहीं है. उन्होंने कहा कि सभी किसान विरोध स्थलों पर टीकाकरण शिविर लगाए जा रहे हैं. ऑक्सीमीटर और एंबुलेंस की व्यवस्था की जा रही है, स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार किया जा रहा है.
नई दिल्ली: केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन करने वाले किसान यूनियनों ने सोमवार को आरोप लगाया कि सरकार उनके आंदोलन को कुचलने के लिए कोरोना वायरस का उपयोग बहाने के तौर पर करने का प्रयास कर रही है.
कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ ने यह भी कहा कि संसद के लिए उनके प्रस्तावित मार्च की तारीख अभी तय नहीं है.
गौरतलब है कि महीने की शुरुआत में संयुक्त किसान मोर्चा ने अगले दो महीनों के लिए अपनी योजनाओं की घोषणा करते हुए कहा था कि किसान मई में ससंद तक पैदल मार्च करेंगे.
किसान नेता योगेंद्र यादव ने दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा, ‘सरकार कोरोना वायरस का इस्तेमाल किसानों के विरोध प्रदर्शन को कुचलने के लिए एक बहाने के तौर पर करने का प्रयास कर रही है. उन्होंने पिछले साल भी यही चाल चली थी. हम ऐसा नहीं होने देंगे.’
उन्होंने कहा, ‘कोरोना वायरस पर सरकार का पाखंड उजागर हो गया है. मंत्री और नेता चुनावी रैलियां कर रहे हैं. उन्हें दूसरों पर सवाल उठाने का कोई अधिकार नहीं है.’
यादव ने कहा कि टीकाकरण के इच्छुक लोगों के लिए सभी किसान विरोध स्थलों पर टीकाकरण शिविर लगाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि ऑक्सीमीटर और एंबुलेंस की व्यवस्था की जा रही है, स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार किया जा रहा है.
यादव ने कहा कि किसानों को मास्क पहनने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाएगा और इस संबंध में जागरूकता उत्पन्न करने के लिए पर्चे बांटे जाएंगे.
एक अन्य नेता ने कहा कि दिल्ली की सीमाओं पर स्थित किसानों के विरोध प्रदर्शन स्थलों पर अभी तक बड़ी संख्या में कोरोना वायरस के मामले सामने नहीं आए हैं.
उन्होंने कहा, ‘ये खुले, अच्छी तरह हवादार स्थान हैं. ये विरोध स्थल कोविड-19 हॉटस्पॉट नहीं हैं.’
मालूम हो कि संयुक्त किसान मोर्चा सरकार से किसानों के प्रदर्शन स्थलों पर भी टीकाकरण केंद्र स्थापित करने और वायरस से बचाव के लिए उन्हें जरूरी उपकरण मुहैया कराने तथा निर्देश देने का अनुरोध करता आ रहा है.
बीते 16 अप्रैल को भी संगठन ने कहा था कि प्रदर्शन स्थलों पर सरकार टीकाकरण केंद्र की शुरुआत करे और इससे जुड़ीं सुविधाएं मुहैया कराए. साथ ही दिल्ली के विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों से कहा था कि वे मास्क पहनें और कोविड-19 दिशानिर्देशों का पालन करें, ताकि वायरस के प्रसार को रोका जा सके.
गौरतलब है कि केंद्र सरकार की ओर से कृषि से संबंधित तीन विधेयक– किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020, किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 को बीते साल 27 सितंबर को राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी थी, जिसके विरोध में चार महीने से अधिक समय से किसान प्रदर्शन कर रहे हैं.
किसानों को इस बात का भय है कि सरकार इन अध्यादेशों के जरिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दिलाने की स्थापित व्यवस्था को खत्म कर रही है और यदि इसे लागू किया जाता है तो किसानों को व्यापारियों के रहम पर जीना पड़ेगा.
दूसरी ओर केंद्र में भाजपा की अगुवाई वाली मोदी सरकार ने बार-बार इससे इनकार किया है. सरकार इन अध्यादेशों को ‘ऐतिहासिक कृषि सुधार’ का नाम दे रही है. उसका कहना है कि वे कृषि उपजों की बिक्री के लिए एक वैकल्पिक व्यवस्था बना रहे हैं.
अब तक प्रदर्शनकारी यूनियनों और सरकार के बीच 11 दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन गतिरोध जारी है, क्योंकि दोनों पक्ष अपने अपने रुख पर कायम हैं. 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के लिए किसानों द्वारा निकाले गए ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली में हुई हिंसा के बाद से अब तक कोई बातचीत नहीं हो सकी है.
बीते 11 अप्रैल को भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने कहा था कि यदि सरकार आमंत्रित करती है तो नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान बातचीत के लिए तैयार हैं. हालांकि उन्होंने यह भी कहा था कि बातचीत वहीं से शुरू होगी, जहां 22 जनवरी को खत्म हुई थी और मांगों में कोई बदलाव नहीं होगा.
टिकैत का बयान कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के बीच हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज द्वारा केंद्रीय कृषि मंत्री से वार्ता बहाली के लिए की गई अपील के बाद आया था.
अनिल विज ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि वो केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के साथ बातचीत फिर शुरू करें, क्योंकि कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा लगातार मंडरा रहा है.
इसके अलावा हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने भी बीते 17 अप्रैल को किसानों से बातचीत फिर से शुरू करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)