दिल्ली: ऑक्सीजन संकट की चेतावनी के बाद कई अस्पतालों को मिली सप्लाई

कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण के बीच राष्ट्रीय राजधानी में उपजे 'ऑक्सीजन संकट' की चेतावनी के बाद मंगलवार देर रात और बुधवार सुबह कुछ बड़े सरकारी और निजी अस्पतालों को ऑक्सीजन की नयी खेप मिली है. ऑक्सीजन की कमी को देखते हुए मंगलवार को हाईकोर्ट ने केंद्र से ऑक्सीजन के औद्योगिक उपयोग पर तुरंत रोक लगाने का निर्देश देते हुए कहा था कि आर्थिक हित मानव जीवन से ज़्यादा महत्वपूर्ण नहीं हैं.

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(फोटो: रॉयटर्स)

कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण के बीच राष्ट्रीय राजधानी में उपजे ‘ऑक्सीजन संकट’ की चेतावनी के बाद मंगलवार देर रात और बुधवार सुबह कुछ बड़े सरकारी और निजी अस्पतालों को ऑक्सीजन की नयी खेप मिली है. ऑक्सीजन की कमी को देखते हुए मंगलवार को हाईकोर्ट ने केंद्र से ऑक्सीजन के औद्योगिक उपयोग पर तुरंत रोक लगाने का निर्देश देते हुए कहा था कि आर्थिक हित मानव जीवन से ज़्यादा महत्वपूर्ण नहीं हैं.

(फोटो: रॉयटर्स)
(फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट और सरकार द्वारा राष्ट्रीय राजधानी में ‘ऑक्सीजन संकट’ की चेतावनी के बाद मंगलवार देर रात और बुधवार सुबह कुछ बड़े सरकारी और निजी अस्पतालों को ऑक्सीजन की नयी खेप मिल गई है.

अधिकारियों के मुताबिक समय रहते ऑक्सीजन की आपूर्ति होने से बड़ा संकट टल गया. ऑक्सीजन की नई खेप सर गंगाराम अस्पताल, जीटीबी अस्पताल, लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ. सुरेश कुमार ने कहा कि एक विक्रेता से भेजा गया ऑक्सीजन का ट्रक तड़के तीन बजे अस्पताल पहुंचा. (एलएनजेपी) समेत कई निजी अस्पतालों को भी मिली है.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, एलएनजेपी को 10 टन सप्लाई मिली है जो अस्पताल प्रशासन के अनुसार मौजूदा स्थिति के लिए पर्याप्त है.

अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ. सुरेश कुमार ने कहा कि एक विक्रेता से भेजा गया ऑक्सीजन का ट्रक तड़के तीन बजे अस्पताल पहुंचा.

गंगाराम अस्पताल के अध्यक्ष डीएस राणा के मुताबिक अस्पताल को देर रात और सुबह मिले दो कंसाइनमेंट में 14 हजार क्यूबिक मीटर ऑक्सीजन प्राप्त हुई है.

उन्होंने इस चैनल को बताया, ‘एक निजी वेंडर की ओर से 4500 क्यूबिक मीटर आपूर्ति हुई, इसके बाद आइनॉक्स ने छह हजार क्यूबिक मीटर आपूर्ति दी. कुल जरुरत 11 हजार क्यूबिक मीटर की थी. यह सप्लाई कल सुबह नौ बजे तक चलनी चाहिए. इंडियन ऑक्सीजन और आइनॉक्स ने दिन में टैंक रिफिल काटने की बात कही है.’

इसी तरह जीटीबी अस्पताल को भी देर रात सप्लाई मिली. गुरु तेग बहादुर अस्पताल के एक अधिकारी ने बताया कि एक कंपनी से भेजा गया ऑक्सीजन का ट्रक देर रात डेढ़ बजे उनके पास पहुंचा.

आंबेडकर अस्पताल को सुबह पांच बजे ऑक्सीजन की ताजा आपूर्ति हुई. अधिकारियों का कहना है कि यह आपूर्ति 24 घंटे तक चलेगी.

चैनल के अनुसार, मैक्स पटपड़गंज ने बताया कि उन्हें रात 2 बजे मिलने वाला कंसाइनमेंट सुबह आठ बजे मिला है और उनके अनुसार यह छह घंटे उनके लिए बेहद कठिन रहे.

अस्पताल के अनुसार, यह आपूर्ति बुधवार दोपहर तक ही चल सकेगी. अस्पताल में 300 मरीज हैं, जिसमें से 200 ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं.

सरकार द्वारा संचालित दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल को भी रात में ऑक्सीजन की सप्लाई मिली है.

हाईकोर्ट ने केंद्र को लगाई थी फटकार

इससे पहले मंगलवार को ही दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी के विभिन्न अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी को देखते हुए अदालत ने केंद्र से कहा कि 22 अप्रैल तक इंतजार करने के बदले इस अहम गैस के औद्योगिक उपयोग पर तुरंत रोक लगाई जानी चाहिए.

अदालत ने कहा था कि आर्थिक हित मानव जीवन से ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं है.

जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस रेखा पल्ली की पीठ ने कहा कि विभिन्न अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति 4-8 घंटे में समाप्त हो जाएगी और ऐसी स्थिति में 22 अप्रैल से प्रतिबंध लागू करने के फैसले का कोई औचित्य नहीं है क्योंकि जरूरत अभी की है.

पीठ ने केंद्र को तुरंत प्रतिबंध को लागू करने और अस्पतालों को ऑक्सीजन मुहैया कराने का निर्देश दिया क्योंकि इसमें किसी भी तरह की देरी से लोगों की मौत हो सकती है.

गौरतलब है कि दिल्ली सरकार ने अदालत को बताया था कि दिल्ली के अस्पतालों को ऑक्सीजन पहुंचाने वाली कंपनी आइनॉक्स राष्ट्रीय राजधानी का कोटा उठता प्रदेश को भेज रही है. आप सरकार का यह भी कहना था कि यूपी के प्लांट्स से दिल्ली आने वाली आपूर्ति को योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा ब्लॉक किया जा रहा है.

अदालत ने ऑक्सीजन का उत्पादन करने वाली कंपनी आइनॉक्स को भी नोटिस जारी किया और सवाल किया कि ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए अदालत के आदेशों का पालन नहीं करने के लिए क्यों नहीं उसके खिलाफ अवमानना कार्रवाई शुरू की जाए.

पीठ ने 22 अप्रैल को अगली सुनवाई के दिन कंपनी के प्रबंध निदेशक को मौजूद रहने का निर्देश दिया. अदालत ने अगली तारीख पर उत्तर प्रदेश सरकार को भी उपस्थित रहने के लिए कहा.

वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने पीठ से कहा कि अदालत के निर्देश के बाद भी आइनॉक्स ने ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं की और दावा किया कि उसके ऐसा करने से उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति पैदा हो जाएगी जहां से आपूर्ति होनी थी.

इसके साथ ही अदालत ने कोरोना मरीजों को ऑक्सीजन मुहैया कराने के लिए इस्पात व पेट्रोलियम उत्पादन में कुछ कमी करने का सुझाव दिया है.

पीठ ने कहा कि अगर लॉकडाउन जारी रहा तो सब कुछ ठप हो जाएगा और ऐसी स्थिति में इस्पात, पेट्रोल और डीजल की क्या जरूरत होगी.

पीठ ने कहा, ‘लॉकडाउन के दौरान क्या विकास होगा.’ इसके साथ ही अदालत ने केंद्र से सवाल किया कि ऑक्सीजन के औद्योगिक उपयोग पर रोक लगाने के लिए 22 अप्रैल तक का इंतजार क्यों किया जा रहा है.

अदालत ने कहा, ‘कमी अभी है. आपको अभी ऐसा करना होगा. इस्पात और पेट्रोलियम उद्योगों से कुछ ऑक्सीजन लेने की ओर देखिए. उनके पास बड़े ‘पॉकेट’ और बड़ी ‘लॉबी’ हैं, लेकिन उन्हें बताएं कि अगर उन्हें उत्पादन में कटौती करनी है, तो वे उत्पादन में कटौती कर सकते हैं. जीवन को बचाना होगा.’

पीठ ने केंद्र सरकार के एक वकील के उदाहरण का हवाला दिया, जिनके पिता अस्पताल में ऑक्सीजन पर थे, लेकिन इसकी कमी के मद्देनजर इसे बचाने के लिए कम दबाव में ऑक्सीजन दिया जा रहा था. अदालत ने सवाल किया, ‘क्या आप उन्हें 22 अप्रैल तक रुकने को कह सकते हैं?’

पीठ ने कहा कि अगर कुछ नहीं किया गया, तो हम एक बड़े संकट की ओर बढ़ रहे हैं… लगभग एक करोड़ लोगों की मौत हो सकती है. क्या हम इसे स्वीकार करने को तैयार हैं.

पीठ ने उन अस्पतालों में कोविड बेड बढ़ाने का भी सुझाव दिया, जिनके पास अपनी ऑक्सीजन उत्पादन क्षमता है.

अदालत ने यह टिप्पणी उस समय की जब केंद्र ने एक हलफनामे में कहा कि फिलहाल दिल्ली में ऑक्सीजन की आपूर्ति में कोई कमी नहीं है और ऑक्सीजन के औद्योगिक इस्तेमाल पर 22 अप्रैल से रोक लगा दी गई है.

स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से अदालत को बताया गया कि 20 अप्रैल तक की स्थिति के अनुसार मेडिकल ऑक्सीजन की आवश्यकता में 133 प्रतिशत की असामान्य बढ़ोतरी का अनुमान है. दिल्ली द्वारा बताई गई मांग का प्रारंभिक अनुमान 300 मीट्रिक टन का था जिसका संशोधित अनुमान बढ़कर 700 मीट्रिक टन हो गया.

इससे पहले, दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से सवाल किया था कि क्या उद्योगों की ऑक्सीजन आपूर्ति कम करके उसे वह मरीजों को मुहैया करायी जा सकती है.

पीठ ने केंद्र सरकार से कहा, ‘उद्योग इंतजार कर सकते हैं. मरीज नहीं. मानव जीवन खतरे में है.

पीठ ने कहा कि उसने सुना है कि गंगा राम अस्पताल के डॉक्टरों को कोविड-19 के मरीजों को दी जाने वाली ऑक्सीजन मजबूरी में कम करनी पड़ रही है क्योंकि वहां जीवन रक्षक गैस की कमी है.

मंत्रालय ने अदालत में दायर अपने हलफनामे में कहा है कि दिल्ली में मेडिकल ऑक्सीजन की क्षमता को बढ़ाने की खातिर पीएम केयर्स फंड की मदद से आठ प्रेशर स्विंग अड्सॉर्पशन (पीएसए) ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र लगाए जा रहे हैं.

उसने कहा, ‘इन संयंत्रों की मदद से मेडिकल ऑक्सीजन की क्षमता 14.4 मीट्रिक टन बढ़ जाएगी.’

नेताओं ने लगाई थी गुहार

राष्ट्रीय राजधानी में ऑक्सीजन संकट के बारे में नेताओं और प्रभावशाली हस्तियों द्वारा सोशल मीडिया पर लगातार इसके लिए मदद मांगे जाने के बाद बड़ी बहस शुरू हुई थी.

बता दें कि दिल्ली में लगातार संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं और मंगलवार को कोरोना वायरस के रिकॉर्ड 28,395 मामले सामने आए और 277 लोगों की मौत के बाद महामारी की भयावह होती स्थिति सामने आई है.

वहीं संक्रमण की दर 32.82 प्रतिशत हो गई और शहर में ऑक्सीजन का गंभीर संकट खड़ा हो गया है.

मंगलवार देर शाम मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ‘हाथ जोड़कर’ केंद्र से दिल्ली में ऑक्सीजन की आपूर्ति करने की अपील की थी.

साथ ही उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि अगर बुधवार सुबह तक ऑक्सीजन की नये सिरे से आपूर्ति नहीं की गई तो शहर में हाहाकार मच जाएगा.

इसी शाम स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन ने भी कहा था कि दिल्ली के जीटीबी अस्पताल में 500 से अधिक कोविड रोगी है, जहां चार घंटे से भी कम समय में ऑक्सीजन खत्म हो सकती है. केंद्र सरकार इस संकट को दूर करने में मदद करे.

राष्ट्रीय राजधानी में महामारी के प्रकोप के बीच तेजी से आईसीयू और बेड भर रहे हैं. सरकार के ‘दिल्ली कोरोना ऐप’ के मुताबिक राष्ट्रीय राजधानी के सरकारी एवं निजी अस्पतालों में मंगलवार शाम आठ बजे तक कोरोना वायरस मरीजों के लिए केवल 30 बिस्तर उपलब्ध थे.

मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री में ट्विटर पर विभिन्न अस्पतालों में ऑक्सीजन के स्टॉक पर नोट भी साझा किया.

इस नोट के मुताबिक, उस समय लोक नायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल, दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल, बुराड़ी अस्पताल, आंबेडकर अस्पताल, संजय गांधी अस्पताल, बी एल कपूर अस्पताल और मैक्स अस्पताल पटपड़गंज उन अस्पतालों में शामिल हैं जहां केवल आठ से 12 घंटे तक का ऑक्सीजन बचा था.

सर गंगाराम अस्पताल ने कहा था कि उनके पास केवल आठ घंटे का ऑक्सीजन बची हुई है. अस्पताल में कोविड-19 रोगियों के लिए 485 बिस्तर हैं जिनमें से 475 बिस्तर भरे हुए हैं. करीब 120 रोगी फिलहाल आईसीयू में हैं.

उन्होंने रविवार को कोरोना वायरस रोगियों के लिए ऑक्सीजन की कमी को ‘आपातकाल’ करार दिया था. केजरीवाल ने केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर इस मामले में हस्तक्षेप करने के लिए कहा था.

इससे पहले दिल्ली सरकार ने सोमवार को 24 सदस्यीय समिति का गठन किया था ताकि कोविड-19 रोगियों के इलाज के लिए ऑक्सीजन का ‘उचित’ इस्तेमाल सुनिश्चित किया जा सके.

स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जारी आदेश के मुताबिक ‘ऑक्सीजन ऑडिट समिति ’ इसके उपभोग के बर्बादी वाले क्षेत्रों की पहचान करेगी.

इसमें कहा गया कि काफी संख्या में कोविड-19 से गंभीर रूप से पीड़ित रोगियों के अस्पतालों में भर्ती होने से ऑक्सीजन की मांग काफी बढ़ गई है.

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने मंगलवार को कहा कि स्थिति से निपटने में केंद्र को ‘संवेदनशील एवं सक्रिय’ होना चाहिए ताकि आपूर्ति को लेकर राज्यों में संकट नहीं हो.

राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 प्रबंधन के नोडल मंत्री सिसोदिया ने कहा कि सभी अस्पतालों से ऑक्सीजन की कमी को लेकर उन्हें एसओएस कॉल मिल रहे हैं. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि ऑक्सीजन आपूर्ति करने वाले लोगों को विभिन्न राज्यों में रोका जा रहा है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)