मूल देश अवैध प्रवासियों को वापस लेने को तैयार नहीं तो उन्हें कैसे संभाला जाएगा: पटना हाईकोर्ट

पटना हाईकोर्ट पिछले कई वर्षों से एक आफ्टर केयर होम में रखे गए पटना रेलवे स्टेशन से गिरफ़्तार दो महिला बांग्लादेशी प्रवासियों- मरियम ख़ातून और मौसमी ख़ातून की याचिका पर सुनवाई कर रहा था. हाईकोर्ट ने डिटेंशन सेंटर और अवैध प्रवासियों के मुद्दे पर केंद्र और बिहार सरकार से हलफ़नामा दाख़िल करने को कहा है.

पटना हाईकोर्ट (फोटोः पीटीआई)

पटना हाईकोर्ट पिछले कई वर्षों से एक आफ्टर केयर होम में रखे गए पटना रेलवे स्टेशन से गिरफ़्तार दो महिला बांग्लादेशी प्रवासियों- मरियम ख़ातून और मौसमी ख़ातून की याचिका पर सुनवाई कर रहा था. हाईकोर्ट ने डिटेंशन सेंटर और अवैध प्रवासियों के मुद्दे पर केंद्र और बिहार सरकार से हलफ़नामा दाख़िल करने को कहा है.

पटना हाईकोर्ट (फोटोः पीटीआई)
पटना हाईकोर्ट (फोटोः पीटीआई)

नई दिल्ली: बिहार में दो बांग्लादेशी महिला प्रवासियों के मानवाधिकारों के मुद्दे पर चिंता जाहिर करते हुए पटना हाईकोर्ट ने हाल ही में एक तीन सदस्यीय अधिवक्ता दल का गठन किया था, ताकि उन स्थितियों के बारे में पता चल सके जिनमें उन्हें आफ्टर केयर होम रखा जा रहा था. दल को एक सप्ताह के भीतर सीलबंद कवर में अपनी रिपोर्ट देने का निर्देश दिया था.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, यह देखते हुए कि राज्य सरकार द्वारा इस मुद्दे के संबंध में कोई हलफनामा दायर नहीं किया गया था, जस्टिस शिवाजी पांडे और जस्टिस पार्थ सारथी की खंडपीठ ने बिहार राज्य को ऐसे अवैध प्रवासियों के लिए राज्य में होल्डिंग सेंटर या हिरासत केंद्र बनाने के संबंध में एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया.

इसके साथ ही न्यायालय ने भारत सरकार को उनके मूल स्थान पर प्रत्यावर्तन की वर्तमान स्थिति का विवरण देते हुए एक हलफनामा दायर करने का भी निर्देश दिया और साथ ही अवैध प्रवासियों के मुद्दे को भी संबोधित करने के लिए कहा, जिसमें मूल देश अपने नागरिक को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है.

हाईकोर्ट पिछले कई वर्षों से एक आफ्टर केयर होम में रखे गए पटना रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार दो महिला बांग्लादेशी प्रवासियों- मरियम खातून और मौसमी खातून की याचिका पर सुनवाई कर रहा था. हालांकि उनके खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं किया गया था.

तीन वकीलों की टीम का गठन

यह देखते हुए कि दोनों महिलाएं अवैध प्रवासी थीं, जो वैध दस्तावेजों के बिना भारतीय क्षेत्र में प्रवेश कर चुकी थीं, हाईकोर्ट ने आफ्टर केयर होम का दौरा करने, दोनों महिलाओं के साथ बातचीत करने और जिस परिस्थिति में उन्हें वहां रखा जा रहा था, उसकी जानकारी देते हुए सील कवर में एक रिपोर्ट पेश के लिए एक तीन वकीलों की टीम का गठन किया था. टीम में दो महिला वकीलों और एक पुरुष वकील को रखा गया है.

अदालत ने यह कदम अतिरिक्त सॉलिसिटर द्वारा दी गई उस सूचना के बाद उठाया कि बांग्लादेशी दूतावास को उनके प्रत्यावर्तन के लिए एक पत्र लिखा गया था, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.

वहीं, दूसरी तरफ राज्य सरकार की तरफ से पेश हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता ने बताया था कि उन्हें उचित तरीके से आफ्टर केयर होम में रखा गया था और ऐसी कोई शिकायत नहीं है कि उन्हें बहुत खराब तरीके से रखा जा रहा है.

अदालत ने निर्देश दिया, ‘उपरोक्त टीम 10/04/2021 को आफ्टर केयर होम का दौरा करेगी, जिसके लिए यह अदालत आफ्टर केयर होम के अधीक्षक को निर्देश देता है कि टीम के सदस्यों को वहां रह रहीं मरियम खातून उर्फ मरियम परवीन और मौसमी खातून के साथ बातचीत करने की अनुमति दें. हम यह स्पष्ट कर रहे हैं कि बातचीत/मुलाकात के समय आफ्टर केयर होम का या कोई अन्य अधिकारी वहां मौजूद नहीं रहेगा. यदि न्यायालय यह पाएगा कि ऐसा कोई हस्तक्षेप किया गया है, तो इसे बहुत गंभीरता से देखा जाएगा और यह न्यायालय सीधे तौर पर दोषी अधिकारियों/व्यक्तियों के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू कर सकता है.’

डिटेंशन सेंटर्स और अवैध प्रवासियों के मुद्दे पर हलफनामा दाखिल करेंगे केंद्र और राज्य

एमिकस क्यूरी के यह कहने पर कि ऐसे व्यक्तियों को लंबे समय तक केयर होम में नहीं रखा जा सकता है और उन्हें केंद्र सरकार के निर्देशानुसार होल्डिंग सेंटर या डिटेंशन सेंटर में स्थानांतरित कर दिया जाना चाहिए, कोर्ट ने राज्य और केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वे निम्नलिखित पहलुओं पर अपने रुख के बारे में कोर्ट को अवगत कराएं.

  • राज्य सरकार अवैध प्रवासियों के लिए होल्डिंग केंद्र या डिटेंशन सेंटर के निर्माण के संबंध में हलफनामा दायर करें.
  • केंद्र सरकार दो बिंदुओं पर हलफनामा दायर करेगी. पहला यह कि दो महिला प्रवासियों को उनके मूल स्थान पर वापस भेजने के लिए बांग्लादेशी दूतावास के साथ उनकी बातचीत की वर्तमान स्थिति का ब्योरा  देगी और दूसरी यह कि किस तरह से अवैध प्रवासियों के मुद्दे को संभाला जा रहा है, जहां मूल देश अपने संबंधित नागरिक को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है.

इससे पहले की सुनवाई के दौरान अदालत ने प्रतिवादी अधिकारियों को निम्नलिखित पहलुओं पर एक सारणीबद्ध रूप में डेटा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था:

  • बिहार राज्य के भीतर रिमांड होम की कुल संख्या.
  • उसमें व्यक्तियों की कुल संख्या.
  • उनके बीच विदेशी नागरिकों की कुल संख्या.
  • विदेशी अधिनियम, विदेशी ऑर्डर 1948 और विदेशी (ट्रिब्यूनल) ऑर्डर 1964 के तहत उनके प्रत्यावर्तन या कार्रवाई के लिए क्या कदम उठाए गए.
pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq bandarqq dominoqq pkv games slot pulsa pkv games pkv games bandarqq bandarqq dominoqq dominoqq bandarqq pkv games dominoqq