भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद महानिदेशक बलराम भार्गव ने बताया कि 1,737,178 व्यक्तियों ने कोवैक्सिन की दूसरी खुराक ली थी, उनमें से केवल 695 लोग संक्रमित हुए हैं. इसी तरह 15,732,754 व्यक्तियों ने कोविशील्ड टीके की दूसरी खुराक ली थी, उनमें से 5,014 संक्रमित पाए गए हैं. उन्होंने कहा कि यह छोटी संख्या है और चिंताजनक नहीं है.
नई दिल्ली: कोविड-19 टीकों की पहली खुराक लेने के बाद 21,000 से अधिक लोग वायरस से संक्रमित हो गए, जबकि 5,500 से अधिक लोग दूसरी खुराक लेने के बाद भी संक्रमित हो गए. केंद्र ने बुधवार को यह जानकारी दी.
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक बलराम भार्गव ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि 1,737,178 व्यक्तियों ने कोवैक्सिन की दूसरी खुराक ली थी, उनमें से 0.04 प्रतिशत लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं. वहीं कोविशील्ड की दूसरी खुराक लेने वाले 15,732,754 लोगों में से 0.057 प्रतिशत लोग वायरस से संक्रमित हुए हैं.
भार्गव ने कहा कि टीके संक्रमण के जोखिम को कम करते हैं और मृत्यु तथा गंभीर संक्रमण को रोकते हैं. उन्होंने कहा कि यदि टीकाकरण के बाद भी कोई संक्रमण हो जाता है तो इसे भेदन संक्रमण कहा जाता है.
भार्गव ने कहा कि अब तक कोवैक्सिन की 1.1 करोड़ खुराकें दी गई हैं. इनमें से 93 लाख लोगों को पहली खुराक मिली और उनमें से 4,208 लोग (0.04 प्रतिशत) लोग संक्रमित हो गए, जो प्रति 10,000 की आबादी पर चार है.
उन्होंने कहा कि करीब 1,737,178 लोगों ने दूसरी खुराक ली है और उनमें से केवल 695 लोग (0.04 प्रतिशत) कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए.
भार्गव ने कहा कि कोविशील्ड की 11.6 करोड़ खुराकें दी गई हैं. दस करोड़ लोगों को पहली खुराक दी गई और 17,145 लोग संक्रमित हो गए यानी प्रति 10,000 लोगों में से दो लोगों को संक्रमण हुआ.
उन्होंने बताया कि करीब 15,732,754 व्यक्तियों ने इस टीके की दूसरी खुराक ली और उनमें से 5,014 (0.03 प्रतिशत) संक्रमित हुए. प्रति 10,000 लोगों पर दो से चार में ‘भेदन’ संक्रमण हुआ है जो बहुत कम संख्या है.
आंकड़ों के अनुसार, इस तरह दोनों वैक्सीन की दूसरी खुराक लेने के बाद कुल 5,709 (695 + 5,014) लोग टीके की दूसरी खुराक लेने के बाद संक्रमित हो गए. उन्होंने कहा, ‘यह छोटी संख्या है और चिंताजनक नहीं है.’
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वीके पॉल ने कहा, ‘टीकाकरण के बाद भी जोखिम है, इसलिए हम टीकाकरण के बाद भी लोगों को कोविड संबंधी उचित व्यवहार का पालन करने पर जोर देते हैं.’
देश में ऑक्सीजन की कमी के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि देश में प्रति दिन 7,500 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का उत्पादन किया जा रहा है और 6,600 मीट्रिक टन की आपूर्ति राज्यों को चिकित्सीय उपयोग के लिए की जा रही है.
उन्होंने कहा, ‘अभी, हमने निर्देश जारी किए हैं कि कुछ उद्योगों को छोड़कर, उद्योगों की ऑक्सीजन आपूर्ति को सीमित किया जाएगा ताकि अधिक से अधिक ऑक्सीजन चिकित्सीय उपयोग के लिए उपलब्ध हो सके.’
मालूम हो कि भारतीय दवा महानियंत्रक डीसीजीआई ने जनवरी में दुनिया की सबसे बड़ी टीका निर्माता कंपनी पुणे स्थित सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन कोविशील्ड तथा भारत बायोटेक की कोवैक्सीन के आपातकालीन उपयोग की मंजूरी दी थी.
भारत बायोटेक ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के साथ मिलकर कोवैक्सीन का विकास किया है. वहीं, सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने ‘कोविशील्ड’ के उत्पादन के लिए ब्रिटिश-स्वीडिश कंपनी एस्ट्राजेनेका के साथ साझेदारी की है.
इसी माह रूस में निर्मित कोविड-19 की वैक्सीन ‘स्पुतनिक वी’ के सीमित आपातकालीन उपयोग के लिए भारत में मंजूरी मिल गई थी. ‘स्पुतनिक वी’ भारत में कोरोना वायरस के खिलाफ इस्तेमाल होने वाली तीसरी वैक्सीन है. भारत में इसका निर्माण डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज की ओर से होगा.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)