तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव की मतगणना में कोविड प्रोटोकॉल के पालन संबंधी एक याचिका की सुनवाई में मद्रास हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को कड़ी फटकार लगाई है. अदालत ने कहा कि सार्वजनिक स्वास्थ्य सर्वोपरि है और यह चिंताजनक है कि संवैधानिक अधिकारियों को इस बारे में याद दिलाना पड़ रहा है.
चेन्नई: मद्रास हाईकोर्ट ने सोमवार को राष्ट्रीय चुनाव आयोग कोरोना वायरस महामारी के दौरान चुनावी रैलियों को अनुमति देने को लेकर कड़ी फटकार लगाई है.
लाइव लॉ के अनुसार, स्पष्ट रूप से नाराज दिख रहे चीफ जस्टिस संजीब बनर्जी ने चुनाव आयोग के वकील से कहा, ‘कोविड-19 की दूसरी लहर के लिए केवल आपका संस्थान जिम्मेदार है.’ मुख्य न्यायाधीश ने मौखिक रूप से यहां तक कहा कि ‘आपके अफसरों पर हत्या का मामला दर्ज होना चाहिए.’
Madras High Court comes down heavily on Election Commission of India @ECISVEEP for allowing political rallies during #COVID
Chief Justice Sanjib Banerjee goes to the extent of saying "Election Commission officers should be booked on murder charges probably".#ElectionCommission pic.twitter.com/AZBAbV7yi4
— Live Law (@LiveLawIndia) April 26, 2021
जब मुख्य न्यायाधीश ने अदालत के आदेश के बावजूद रैलियों में कोविड दिशानिर्देशों- जैसे मास्क, सैनेटाइजर का इस्तेमाल, सामाजिक दूरी का पालन न होने की बात कही, तब आयोग के वकील ने कहा इनका पालन हुआ था, इस पर जस्टिस बनर्जी ने कहा, ‘जब चुनावी रैलियां हो रही थीं, तब आप क्या किसी और ग्रह पर थे?’
मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी तथा जस्टिस सेंथिलकुमार राममूर्ति की पीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की हैं.
इस याचिका में अधिकारियों को कोविड-19 नियमों के अनुसार प्रभावी कदम उठाते हुए और उचित प्रबंध करके दो मई को करूर में निष्पक्ष मतगणना सुनिश्चित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.
याचिकाकर्ता का कहना है कि करूर निर्वाचन क्षेत्र में हुए चुनाव में 77 उम्मीदवारों ने किस्मत आजमाई है, ऐसे में उनके एजेंट को मतगणना कक्ष में जगह देना काफी मुश्किल होगा. इससे नियमों के पालन पर असर पड़ सकता है.
अदालत ने यह चेतावनी भी दी कि अगर मतगणना के दिन के लिए चुनाव आयोग द्वारा कोविड के मद्देनजर की गई तैयारियों का ब्लूप्रिंट नहीं दिया गया, तो वे 2 मई को होने वाली वोटों की गिनती रोक देंगे.
जस्टिस बनर्जी ने आगे कहा, ‘सार्वजनिक स्वास्थ्य सर्वोपरि है और यह चिंताजनक है कि संवैधानिक अधिकारियों को इस बारे में याद दिलाना पड़ता है. नागरिक जब जिंदा रहेगा तभी वह एक लोकतांत्रिक गणतंत्र द्वारा प्रदत्त अधिकारों का लाभ ले सकेगा.’
उन्होंने आगे कहा, ‘इस समय स्थिति खुद को बचाने की है. और सब चीजें बाद में आती हैं.’ पीठ ने चुनाव आयोग और तमिलनाडु के मुख्य चुनाव आयुक्त को निर्देश दिया है कि वे स्वास्थ्य सचिव के साथ चर्चा कर मतगणना वाले दिन के लिए कोविड प्रोटोकॉल के पालन की एक योजना बनाएं.
पीठ ने कहा कि यह ब्लूप्रिंट 30 अप्रैल से पहले रिकॉर्ड पर पेश किया जाना चाहिए. अपने आदेश में पीठ ने कहा, ‘स्थितियों की समीक्षा के लिए 30 अप्रैल को मामला देखा जाएगा, जब पर्याप्त कदम उठाए जाने को लेकर पूरी तस्वीर साफ हो जाएगी.’
गौरतलब है कि राज्य में बीते 6 अप्रैल को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान हुआ था और आगामी 2 मई को वोटों की गिनती होनी है.
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, तमिलनाडु में रविवार को एक दिन में 15 हजार से अधिक मामले सामने आए हैं, जो अब तक का सर्वाधिक आंकड़ा है. बीते 24 घंटों में संक्रमण से 82 लोगों ने जान गंवाई है.
महामारी की दूसरी लहर से निपटने के लिए राज्य में रविवार को पूर्ण लॉकडाउन लगाया गया था.