घोटाले के एक और आरोपी नवीन की मौत. लालू यादव ने नीतीश से पूछे 11 सवाल, कहा- सृजन घोटाला 15000 करोड़ का है.
बिहार के सृजन घोटाले का रहस्य बढ़ता जा रहा है. घोटाले में आरोपी नाजिर महेश मंडल की रहस्यमय मौत के बाद एक और आरोपी नवीन की भी मौत का राज खुला है. हालांकि, कहा जा रहा है कि नवीन की मौत घोटाला सामने आने के पहले ही हो गई थी, लेकिन यह मामला गुरुवार को सामने आया.
राजद प्रमुख लालू यादव ने ट्वीट किया, ‘सृजन घोटाले के किंगपिन और मनोरमा देवी के विश्वस्त नवीन की भी भागलपुर में मौत.’
सृजन घोटाले के किंगपिन और मनोरमा देवी के विश्वस्त नवीन की भी भागलपुर में मौत। #SrijanScam
— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) August 24, 2017
बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने ट्वीट किया, ‘सृजन घोटाला उजागर होने के उपरांत दो आरोपी अल्पावधि में ही व्यापम गति को प्राप्त हो गए या कर दिए गए. सृजनकर्ता उनकी मौत पर ख़ामोशी ओढ़े हैं.’
सृजन घोटाला उजागर होने के उपरांत दो आरोपी अल्पावधि में ही व्यापम गति को प्राप्त हो गए या कर दिए गए।सृजनकर्ता उनकी मौत पर ख़ामोशी ओढ़े है। pic.twitter.com/d0M796ZcNr
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) August 24, 2017
समाचार पोर्टल फर्स्टपोस्ट ने अपनी एक रिपोर्ट में सृजन घोटाले से जुड़ी छह रहस्यमय मौतों का दावा किया है. रिपोर्ट में कहा गया है, ‘सृजन स्कैम की नींव पड़ने से लेकर परवान चढ़ने तक 12 सालों में 6 रहस्मय मौतें हुईं जिसमें दारोगा रैंक का एक पुलिस अधिकारी भी शामिल है. मरने वालों का डायरेक्ट और इनडायरेक्ट संबंध शातिर घोटालेबाजों से किसी न किसी मुकाम पर किसी न किसी वजह से रहा है.’
रिपोर्ट में आगे लिखा गया है, ‘इनमें से कम से कम तीन मृतकों के परिवार वालों ने पुलिस को रो-रो कर साक्ष्य के साथ समझाने का प्रयास किया कि ‘हमारे प्रियजनों की हत्या की गई है’. दोषियों को पकड़ने के लिए अधिकारियों से विनती की, लेकिन चांदी की जूती ने पुलिस का दिल पिघलने से रोक दिया. हालांकि डीएसपी रैंक के एक पुलिस अधिकारी ने तर्क दिया कि ‘लालच, डर और दबाव तीनों ने मिलकर हमलोगों को अपने कर्तव्य के निर्वहन करने से रोके रखा’. अफसर ने विस्तार से कुछ इस प्रकार समझाया, ‘इस महंगाई में पैसे की सबको जरूरत है, दूसरा, मरने से सबको डर लगता है और तीसरा जल में रहकर मगर से बैर लेना बेहद जोखिम वाली बात होती है’.’
नवीन की मौत के बारे में दैनिक जागरण अखबार ने लिखा है, ‘सृजन घोटाले’ की जांच आगे बढ़ रही है. इस बीच उसके दूसरे राजदार नवीन की भी मौत की खबर मिली है. वह सृजन की सचिव मनोरमा देवी का खास था. 20 दिनों पूर्व हार्ट अटैक के कारण भागलपुर के जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल में उसकी मौत हो गई थी.’
बताया जा रहा है कि नवीन सृजन की मुखिया मनोरमा देवी का का खास आदमी था. मनोरमा देवी से जुड़ी हर जानकारी उसके पास होती थी. दैनिक जागरण के मुताबिक, ‘उसे इस बात की जानकारी रहती थी कि कौन चेक कहां से आया है, कहां जमा करना है, किसे कितने रुपये देने हैं, किसके पास कितने रुपये बकाया हैं, कौन-कौन से लोग सृजन से खास रूप से जुड़े हैं?… फरवरी में मनोरमा देवी की मौत के बाद नवीन को यह एहसास हो गया था कि सृजन का कारोबार अब ज्यादा दिनों तक चलने वाला नहीं है. सृजन बैंक का कारोबार देखने वाला नवीन तब बीमार पड़ गया, जब उसे पता चला कि बैंक को पैसे देने के नाम पर विपिन शर्मा आनाकानी कर रहा है. उसे एहसास हो गया था कि अब घोटाला उजागर हो जाएगा. अचानक दिल का दौरा पड़ा और उसकी मौत हो गई. उसकी मौत के कुछ दिनों बाद ही सृजन घोटाला उजागर हो गया.’
प्रभात खबर के अनुसार, ‘मनोरमा देवी के करीबी नवीन की लगभग 22 दिन पहले ही मौत हो गई थी. मनोरमा देवी की मौत के बाद विपिन शर्मा सहित अन्य लोगों द्वारा सरकारी पैसे लौटाने में आनाकानी से नवीन परेशान था. वह समझ गया था कि अब घोटाले का खेल उजागर हो जाएगा. उसकी मौत के सप्ताह भर के अंदर ही फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद पता चला कि घोटाला उजागर होने की चिंता से ही नवीन बीमार हो गया था.’
ज़हरीली सुई देकर आरोपियों को मारा जा रहा है: राबड़ी
बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने आरोप लगाया है कि अब तक सृजन घोटाले से जुड़े छह आरोपियों की मौत हो चुकी है. गुरुवार को उन्होंने मीडिया से बातचीत में आरोप लगाया कि इस घोटाले से जुड़े आरोपियों को जहरीली सुई देकर मारा जा रहा है. राबड़ी ने नीतीश से सवाल किया, ‘अब आपकी अंतरात्मा की आवाज का क्या हुआ जब सृजन घोटाले के आरोपी मारे जा रहे हैं?’
उन्होंने सृजन घोटाले को मध्य प्रदेश के व्यापम घोटाले से बड़ा बताते हुए बिहार विधान परिषद के परिसर में पत्रकारों से कहा, ‘सृजन घोटाले के छह आरोपियों की मौत कैसे हो गई? उन्हें जहरीले इंजेक्शन से मारा गया. घोटाले को छुपाने के लिए एक के बाद एक लोगों की मौत हो रही है और सबूतों को मिटाया जा रहा है.’
लालू ने नीतीश से पूछे 11 सवाल
लालू प्रसाद यादव ने गुरुवार को ट्वीट कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सृजन घोटाला मामले में कुछ अहम सवाल पूछे हैं. उन्होंने एक प्रेस रिलीज जारी ट्वीट करते हुए लिखा, ‘नीतीश कुमार इन सवालों का जवाब दें. सृजन घोटाला करके नैतिकता का पाठ पढ़ा रहे हैं.’ प्रेस रिलीज में ये 11 सवाल है:
नीतीश कुमार इन सवालों का जवाब दें। सृजन घोटाला करके नैतिकता का पाठ पढ़ा रहे है। pic.twitter.com/cBN37a1Imh
— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) August 24, 2017
1- 25 जुलाई, 2013 को संजीत कुमार नाम के एक चार्टर्ड अकाउंटेंट और सामाजिक कार्यकर्ता ने मुख्यमंत्री बिहार को सृजन महिला बैंक चलाने और करोड़ों के गबन संबंधित जानकारी देते हुए एक विस्तृत पत्र लिखा था, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश ने उसपर कोई कार्यवाही नहीं करके घोटाला करने वालों को बचाया ही नहीं, अपितु उन्हें सरकारी खजाना लूटने के लिए प्रोत्साहित किया.
2- 9 सितंबर, 2013 को रिजर्व बैंक ने, बिहार सरकार को पत्र लिखकर सृजन समिति में हो रहे घोटाले और वित्तीय अनियमितता की जांच करने को कहा था. रिजर्व बैंक ने को-अॉपरेटिव रजिस्ट्रार को भी कार्रवाई करने को कहा था, लेकिन मुख्यमंत्री ने उसपर भी कोई कार्रवाई नहीं की. मुख्यमंत्री ने रिजर्व बैंक के संदेह को भी दरकिनार करते हुए लगातार घोटालेबाजों का सहयोग किया.
3- 2013 में तत्कालीन डीएम ने सृजन मामले में शिकायत मिलने पर जांच का आदेश दिया था, लेकिन जांच रिपोर्ट आज तक नहीं आई. नीतीश बताएं उस जांच रिपोर्ट को क्यों दबाया गया? उस जांच रिपोर्ट को दबाकर किसे फायदा पहुंचाया गया?
4- 2013 में सृजन घोटाले में जांच का अादेश देने वाले जिलाधिकारी का मुख्यमंत्री ने तबादला क्यों किया?
5- 2006 से चल रहे इस घोटाले में मुख्यमंत्री ने दस साल तक कार्रवाई क्यों नहीं की? मुख्यमंत्री और वित्तमंत्री सुशील मोदी इस मामले के सीधे दोषी हैं.
6- आर्थिक अपराध शाखा ने सृजन घोटाले में लिप्त बिहार सरकार की पदाधिकारी जयश्री ठाकुर के करोड़ों रुपये जब्त किए गए. उसके बावजूद भी आर्थिक अपराध शाखा ने पूरे घोटाले का अनुसंधान किसके इशारे पर नहीं किया? 2005 से गृह विभाग नीतीश कुमार के पास है. नीतीश ने आर्थिक अपराध की शाखा की जांच को क्यों छुपाया? उसपर कार्रवाई क्यों नहीं की?
7- बिहार सरकार की पदाधिकारी जयश्री ठाकुर के सृजन खाते से सात करोड़ 32 लाख रुपये जब्त कर लिए. 14 जुलाई, 2013 के एक अखबार की खबर के अनुसार तत्कालीन प्रधान सचिव ने कहा था कि जयश्री एडीएम स्तर की अधिकारी हैं इसलिए उसे सेवा से बर्खास्त करने का अधिकार मुख्यमंत्री के पास है लेकिन मुख्यमंत्री ने उसे इतने वर्षों तक बर्खास्त क्यों नहीं किया?
8- जयश्री ठाकुर की अधिकांश पोस्टिंग भागलपुर और बांका में ही करने का मुख्यमंत्री का क्या उद्देश्य था? सनद रहे सामान्य प्रशासन और कार्मिक विभाग मुख्यमंत्री के पास रहा है और उन्हीं की इच्छा के अनुसार जयश्री ठाकुर को बांका का भू-अर्जन पदाधिकारी रहते हुए भागलपुर का अतिरिक्त प्रभार दिया गया.
9- 2010 में भी हमने एसी-डीसी घोटाले को उठाया था, उसके बावजूद भी नीतीश सरकार ने एसे घोटलों को जारी रखा.
10- 2010-11 में सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में 11000-12000 हजार करोड़ के सरकारी खजाने की अनियमितता का जिक्र किया था. उसके बावजूद भी कोई कार्यवाई नहीं की गई?
11- सीबीआई जांच के आदेश पर मुख्यमंत्री किसे बेवकूफ बना रहे हैं? क्या वह आरबीआई का सर्कुलर नहीं जानते जिसमें स्पष्ट है कि अगर तीस करोड़ से ज्यादा की कोई वित्तीय अनियमितता है तो उसकी जांच सीबीआइ करेगी? यह तो 15000 करोड़ का महाघोटाला है.