विधानसभा चुनाव राउंड-अप: दिल्ली हाईकोर्ट में दाख़िल याचिका में कहा गया है कि निर्बाध और अनियंत्रित प्रचार अभियान के कारण पश्चिम बंगाल में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में वृद्धि हुई, जहां संक्रमण दर पांच प्रतिशत से बढ़कर 24 प्रतिशत हो गई. कोविड की दूसरी लहर के लिए मद्रास हाईकोर्ट द्वारा निर्वाचन आयोग को ज़िम्मेदार ठहराए जाने के बाद भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि चुनाव कराना आयोग की संवैधानिक बाध्यता है, जो उसे पूरा करना होता है.
नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट में मंगलवार को एक आवेदन दायर कर निर्वाचन आयोग को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि वह पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों के दौरान कथित तौर पर कोविड-19 नियमों के उल्लंघन को लेकर स्टार प्रचारकों और सभी राजनीतिक दलों के नेताओं पर जुर्माना लगाने और प्राथमिकी दर्ज करने जैसी कार्रवाई करे.
उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक और थिंक टैंक सेंटर फॉर एकाउंटेबिलिटी एंड सिस्टमेटिक चेंज (सीएएससी) के अध्यक्ष विक्रम सिंह ने इस आवेदन में केंद्र और निर्वाचन आयोग को उन सभी लोगों के लिए घर पर उन लोगों का अनिवार्य पृथकवास सुनिश्चित कराने का निर्देश देने की मांग की है, जिन्होंने पिछले एक हफ्ते में पश्चिम बंगाल में प्रचार किया हो.
सिंह की तरफ से अधिवक्ता विराग गुप्ता ने पक्ष रखा. सिंह ने इस आवेदन में दावा किया है कि राजनीतिक दलों, उनके नेताओं और प्रचारकों द्वारा महामारी के दौरान रैलियों, जनसभाओं और रोडशो में मास्क पहनने के नियम का उल्लंघन किया.
अधिवक्ता गौरव पाठक के जरिये दायर आवेदन में कहा गया है कि इस ‘निर्बाध और अनियंत्रित प्रचार अभियान’ के कारण राज्य में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में वृद्धि हुई, जहां संक्रमण दर पांच प्रतिशत से बढ़कर 24 प्रतिशत हो गई.
सिंह ने इस महीने के शुरू में दायर इस आवेदन में यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था कि विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के चल रहे चुनावों के दौरान प्रचार में शामिल सभी लोग अनिवार्य रूप से मास्क पहनें.
अदालत ने आठ अप्रैल को याचिकाकर्ता के आवेदन पर केंद्र और निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी किए थे.
मद्रास उच्च न्यायालय ने बीते 26 अप्रैल को निर्वाचन आयोग की तीखी आलोचना करते हुए उसे देश में कोविड-19 की दूसरी लहर के लिए ‘अकेले’ जिम्मेदार करार दिया और कहा कि वह ‘सबसे गैर जिम्मेदार संस्था’ है.
स्पष्ट रूप से नाराज दिख रहे चीफ जस्टिस संजीब बनर्जी ने चुनाव आयोग के वकील से कहा था, ‘कोविड-19 की दूसरी लहर के लिए केवल आपका संस्थान जिम्मेदार है.’ मुख्य न्यायाधीश ने मौखिक रूप से यहां तक कहा कि ‘आपके अफसरों पर हत्या का मामला दर्ज होना चाहिए.’
जब मुख्य न्यायाधीश ने अदालत के आदेश के बावजूद रैलियों में कोविड दिशानिर्देशों- जैसे मास्क, सैनेटाइजर का इस्तेमाल, सामाजिक दूरी का पालन न होने की बात कही, तब आयोग के वकील ने कहा इनका पालन हुआ था, इस पर जस्टिस बनर्जी ने कहा था, ‘जब चुनावी रैलियां हो रही थीं, तब आप क्या किसी और ग्रह पर थे?’
इस याचिका में अधिकारियों को यह निर्देश दिए जाने का आग्रह किया गया है कि दो मई को करूर (तमिलनाडु) में कोविड-19 रोधी नियमों का पालन करते हुए निष्पक्ष मतगणना सुनिश्चित की जाए.
अदालत ने यह चेतावनी भी दी कि अगर मतगणना के दिन के लिए चुनाव आयोग द्वारा कोविड के मद्देनजर की गई तैयारियों का ब्लूप्रिंट नहीं दिया गया, तो वे 2 मई को होने वाली वोटों की गिनती रोक देंगे.
मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा फटकार लगाए जाने के अगले दिन मंगलवार को निर्वाचन आयोग ने जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए हैं, वहां पर मतगणना के दौरान या उसके बाद में सभी विजयी जुलूसों पर प्रतिबंध लगा दिया.
तृणमूल के बीरभूम जिलाध्यक्ष को शुक्रवार सुबह तक कड़ी निगरानी में रखा जाएगा: अधिकारी
कोलकाता: निर्वाचन आयोग ने तृणमूल कांग्रेस के बीरभूम जिलाध्यक्ष अनुब्रत मंडल को शाम पांच बजे से शुक्रवार सुबह सात बजे तक के लिए कड़ी निगरानी में रखा है.
इस संबंध में एक अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि मुख्य निर्वाचन अधिकारी को ‘मंडल के खिलाफ अनेक शिकायतें मिलीं’ जिनके कारण उन्हें कड़ी निगरानी में रखने का फैसला किया गया.
अधिकारी ने कहा, ‘विभिन्न स्रोतों से मिले फीडबैक और डीईओ तथा एसपी, बीरभूम की रिपोर्ट के अनुसार आयोग ने स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए मंडल को कार्यकारी मजिस्ट्रेट और सीएपीएफ की कड़ी निगरानी में रहने का निर्देश दिया है.’
इस अवधि में ‘तारीख और स्टांप के साथ’ वीडियोग्राफी की जाएगी.
बीरभूम में विधानसभा चुनाव के अंतिम और आठवें चरण में बृहस्पतिवार को मतदान होना है.
मंडल को 2019 के लोकसभा चुनाव और 2016 के विधानसभा चुनाव के दौरान भी इसी तरह की निगरानी में रखा गया था.
भाजपा ने निर्वाचन आयोग के सभी प्रोटोकॉल का पालन किया: नड्डा
कोलकाता: भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बीते सोमवार को कहा कि चुनाव कराना निर्वाचन आयोग की ‘संवैधानिक बाध्यता है जो उसे पूरा करना होता’ है. उनका यह बयान मद्रास उच्च न्यायालय की उस टिप्पणी के चंद घंटे बाद आया, जिसमें अदालत कोविड-19 संबंधी दिशा-निर्देशों के उल्लंघन के लिए आयोग की कटु आलोचना की.
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के आठवें चरण के तहत बृहस्पतिवार को होने वाले मतदान से पहले प्रचार अभियान की समाप्ति करते हुए नड्डा ने कोलकाता में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान दावा किया कि भाजपा ने निर्वाचन आयोग के सभी दिशा-निर्देशों और स्वास्थ्य संबंधी प्रोटोकॉल का पालन किया.
भाजपा अध्यक्ष ने किसी का नाम लिए बगैर कहा, ‘चुनाव कराना निर्वाचन आयोग की संवैधानिक बाध्यता है जो उसे पूरा करना होता है. चाहे कोई संस्था हो या संस्था में बैठे हुए लोग हों, उनको वाक्यों और शब्दों की मर्यादा का ध्यान रखना चाहिए.’
बहरहाल, चुनावों में भाजपा की जीत का विश्वास जताते हुए नड्डा ने कहा कि इस बार के चुनाव ‘अप्रत्याशित’ और ‘अभूतपूर्व’ रहे.
उन्होंने कहा, ‘ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस ने मर्यादाओं को ताक पर रखा. बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक वर्तमान मुख्यमंत्री को अपरिपक्व और गैरजिम्मेदाराना बयान देने के लिए 24 घंटे प्रचार से रोकना पड़ा (निर्वाचन आयोग द्वारा). भाजपा ने अपनी तरफ से प्रचार के उच्च मानदंडों का पालन किया.’
यह पूछे जाने पर कि भाजपा यदि सत्ता में आती है तो कोविड-19 महामारी के प्रसार को रोकने के लिए उसके पास क्या योजना होगी. उन्होंने कहा, ‘समस्याओं का हम आगे बढ़कर समाधान करते आए हैं और भविष्य में भी करेंगे.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)