टीएमसी प्रत्याशी की कोविड से मौत के बाद पत्नी ने चुनाव अधिकारियों पर हत्या का केस दर्ज कराया

विधानसभा चुनाव राउंड-अप: पश्चिम बंगाल में कोरोना वायरस की दूसरी लहर आने के बाद दो निवर्तमान विधायकों समेत चुनाव मैदान में उतरे विभिन्न दलों के तीन प्रत्याशियों की मौत हो चुकी है. तृणमूल कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार और निर्वाचन आयोग के हाथ कोविड-19 मरीज़ों के खून से सने हैं, क्योंकि इसके ख़तरे को उन्होंने नज़रअंदाज़ किया.

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दिवंगत टीएमसी उम्मीदवार काजल सिन्हा. (फोटो साभार: फेसबुक)

विधानसभा चुनाव राउंड-अप: पश्चिम बंगाल में कोरोना वायरस की दूसरी लहर आने के बाद दो निवर्तमान विधायकों समेत चुनाव मैदान में उतरे विभिन्न दलों के तीन प्रत्याशियों की मौत हो चुकी है. तृणमूल कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार और निर्वाचन आयोग के हाथ कोविड-19 मरीज़ों के खून से सने हैं, क्योंकि इसके ख़तरे को उन्होंने नज़रअंदाज़ किया.

दिवंगत टीएमसी उम्मीदवार काजल सिन्हा. (फोटो साभार: फेसबुक)
दिवंगत टीएमसी उम्मीदवार काजल सिन्हा. (फोटो साभार: फेसबुक)

कोलकाता: कोरोना वायरस संक्रमण से जान गंवाने वाले तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार की काजल सिन्हा की पत्नी ने बुधवार को पुलिस में शिकायत देकर भारत निर्वाचन आयोग के शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किए जाने की मांग की है.

महिला ने आरोप लगाया है कि आयोग के अधिकारी कोरोना वायरस संक्रमण के प्रसार को रोकने में विफल रहे हैं और इसी वजह से उनके पति की मौत हुई है.

दिवंगत टीएमसी नेता की पत्नी नंदिता सिन्हा ने खड़दह पुलिस थाने में दी अपनी शिकायत में दावा किया है कि उनके पति काजल सिन्हा 21 अप्रैल को कोरोना वायरस से संक्रमित हुए थे और 25 अप्रैल को उनका निधन हो गया.

सिन्हा उत्तर 24 परगना जिले के खड़दह विधानसभा क्षेत्र से प्रदेश में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार थे.

नंदिता ने निर्वाचन उपायुक्त सुदीप जैन एवं अन्य अधिकारियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं 269 एवं 270 तथा 304 के तहत मामला दर्ज किए जाने की मांग की.

मालूम हो कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर आने के बाद से पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के दो विधायकों समेत चुनाव मैदान में उतरे तीन प्रत्याशियों की मौत इसके संक्रमण के कारण हो चुकी है.

बीते 28 अप्रैल को पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के निर्वतमान विधायक गौरी शंकर दत्ता का कोलकाता के एक निजी अस्पताल में कोरोना वायरस के कारण निधन हो गया. टिकट न मिलने से नाराज होकर पिछले महीने वह भाजपा में शामिल हो गए थे.

बीते 17 अप्रैल को पांचवें चरण के चुनाव के दौरान बीरभूम जिले के मुरारई सीट से टीएमसी के निर्वतमान विधायक अब्दुर रहमान की कोरोना वायरस की वजह से मौत हो गई.

अब्दुर रहमान से पहले रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) की ओर से मुर्शिदाबाद जिले के जंगीपुरा सीट से चुनाव मैदान में उतरे प्रदीप कुमार नंदी की मौत भी बीते 16 अप्रैल को कोरोना संक्रमण की वजह से हो गई थी. उनसे पहले 15 अप्रैल को मुर्शिदाबाद जिले की शमशेरगंज सीट से कांग्रेस उम्मीदवार रेजाउल हक की भी संक्रमण से मौत हो चुकी है.

निर्वाचन आयोग ने शमशेरगंज और जंगीपुरा विधानसभा सीट पर मतदान स्थगित कर दिया है.

बहरहाल बीते 27 अप्रैल को विधानसभा चुनावों के दौरान कोविड-19 प्रोटोकॉल लागू करवाने में कथित विफलता को लेकर आलोचना का सामना कर रहे निर्वाचन आयोग ने कहा था कि महामारी के खिलाफ लड़ने से जुड़े कानूनी प्रावधानों के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की आपदा प्रबंधन इकाइयों की है.

चुनाव आयोग का यह बयान आने से एक दिन पहले मद्रास उच्च न्यायालय ने चुनावों के दौरान कोविड संबंधी दिशानिर्देशों का पालन कराने में विफल रहने को लेकर चुनाव आयोग के खिलाफ सख्त रुख दिखाया था.

बीते 26 अप्रैल को हाईकोर्ट ने आयोग की तीखी आलोचना करते हुए उसे देश में महामारी की दूसरी लहर के लिए अकेले ज़िम्मेदार बताया था. अदालत ने कहा था कि निर्वाचन आयोग के अधिकारियों के खिलाफ हत्या के आरोपों में भी मामला दर्ज किया जा सकता है.

उल्लेखनीय है कि 27 अप्रैल को ही आयोग ने जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए हैं, वहां पर मतगणना के दौरान या उसके बाद में सभी विजयी जुलूसों पर प्रतिबंध लगा दिया है. सूत्रों के अनुसार, कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए यह फैसला लिया गया.

इसके अलावा बीते 28 अप्रैल को निर्वाचन आयोग की ओर से जारी निर्देशों में कहा गया है कि प्रत्याशी या उनके एजेंट, जिन्हें कोविड-19 टीके की दोनों खुराकें लग चुकी हैं, वे ही दो मई को मतगणना कक्षों में प्रवेश कर सकते हैं.

आगामी दो मई को असम, पश्चिम बंगाल, केरल, पुदुचेरी और तमिलनाडु विधानसभा चुनावों में डाले गए मतों की गिनती होनी है. इसके अलावा लोकसभा और अन्य विधानसभाओं के लिए हुए उपचुनावों में डाले गए मतों की गिनती भी होगी.

केंद्र और निर्वाचन आयोग के हाथ कोविड-19 मरीजों के खून से सने हैं: तृणमूल कांग्रेस

कोलकाता: तृणमूल कांग्रेस ने बुधवार को केंद्र की भाजपा नेतृत्व वाली सरकार और निर्वाचन आयोग पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके हाथ कोविड-19 मरीजों के खून से सने हैं, क्योंकि कोरोना वायरस के गंभीर खतरे को उन्होंने नजरअंदाज किया.

(फोटो: द वायर)
(फोटो: द वायर)

तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि नजरअंदाज किए जाने के कारण ही अप्रैल महीने के दौरान पश्चिम बंगाल में महामारी तेजी से फैलती गई.

तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौगत राय ने संवाददाताओं से कहा कि अप्रैल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 50 रैलियों को संबोधित किया. कोविड-19 के मामलों में लगातार बढ़ोतरी के बावजूद हर दिन औसतन दो जनसभा आयोजित की गई.

उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग ने अंतिम तीन चरण के चुनाव एक साथ कराने के तृणमूल कांग्रेस के अनुरोध को मानने से इनकार कर दिया. इस वजह से अंतिम के दो चरण में 26 अप्रैल और 29 अप्रैल को मतदानकर्मियों समेत 1.4 करोड़ से ज्यादा लोगों के संक्रमित होने का खतरा बना रहेगा.

राय ने कहा, ‘केंद्र और निर्वाचन आयोग के हाथों पर कोविड-19 मरीजों का खून हैं, क्योंकि उन्होंने लोगों के स्वास्थ्य को खतरे की उपेक्षा की और अपने एजेंडे पर डटे रहे. मद्रास हाईकोर्ट ने भी निर्वाचन आयोग को फटकार लगाई है.’

राय ने कहा, ‘केंद्र में भाजपा नेतृत्व वाली सरकार और निर्वाचन आयोग के कदमों के कारण अप्रैल में पश्चिम बंगाल में महामारी फैलती गई. मार्च में संक्रमण उतना नहीं फैला था.’

उन्होंने आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने कोरोना वायरस टीकाकरण के संबंध में भी लोगों को गुमराह किया.

अधिकारियों, सीएपीएफ के लिए कोविड निगेटिव रिपोर्ट अनिवार्य क्यों नहीं की: तृणमूल

नई दिल्ली: निर्वाचन आयोग की तरफ से मतगणना कक्ष में प्रवेश के लिए उम्मीदवारों अथवा उनके एजेंट के लिए उनके पास कोरोना जांच की निगेटिव रिपोर्ट होने को अनिवार्य किए जाने के बाद तृणमूल कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को इस बात पर हैरानी जताई कि निर्वाचन अधिकारियों और केंद्रीय सशस्त्र बलों के लिए यह व्यवस्था लागू नहीं की गई.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)
(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ पार्टी ने चुनाव आयोग को दिए एक पत्र में यह भी कहा कि इस फैसले से उन हजारों केंद्रीय बलों का जीवन और स्वास्थ्य में खतरे में आएगा, जो मतगणना कक्षों के बाहर तैनात होंगे.

निर्वाचन आयोग की तरफ से मतगणना वाले दिन के लिए बुधवार को जारी नए दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि किसी भी प्रत्याशी या उनके एजेंटों को कोविड-19 की निगेटिव रिपोर्ट दिखाए बिना उन सभागारों में प्रवेश नहीं मिलेगा, जहां मतगणना की जा रही होगी.

कोरोना वायरस के मामलों में तेजी से वृद्धि की पृष्ठभूमि में बुधवार को जारी इन दिशा-निर्देशों में यह भी कहा गया है कि प्रत्याशी या उनके एजेंट, जिन्हें कोविड-19 टीके की दोनों खुराकें लग चुकी हैं, वे भी दो मई को मतगणना कक्षों में प्रवेश कर सकते हैं.

तृणमूल कांग्रेस ने कहा, ‘मतगणना कक्ष में प्रवेश के लिए चुनाव एजेंट, मतगणना एजेंट और उम्मीदवारों के लिए कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट सौंपने को अनिवार्य किया गया है. बहरहाल, यह हैरान करने वाली बात है कि चुनाव अधिकारियों के लिए ऐसा कोई प्रावधान नहीं किया गया.’

उसने कहा, ‘मतगणना केंद्रों के बाहर 23-24 हजार केंद्रीय पुलिस बल के जवान तैनात होंगे. हैरानी इस बात की है कि इन सुरक्षा बलों के लिए पीपीई किट का इस्तेमाल करने और कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट सौंपने का कोई प्रावधान नहीं है. इससे इनके जीवन और स्वास्थ्य को खतरा पैदा होगा.’

तृणमूल कांग्रेस ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग केंद्रीय बलों की सुरक्षा को लेकर बेपरवाह है. उसने यह मांग भी की है कि ईवीएम के वोटों की गिनती से पहले मतपत्रों की गिनती पूरी की जाए.

मुर्शिदाबाद में कार से टक्कर के बाद व्यक्ति की मौत, माकपा ने तृणमूल पर लगाया आरोप

डोमकल: पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के आठवें एवं अंतिम चरण के तहत मतदान शुरू होने से पहले मुर्शिदाबाद जिले में कार की टक्कर से एक व्यक्ति की मौत हो गई और दो अन्य घायल हो गए. घटना से क्षेत्र में तनाव पैदा हो गया है. पुलिस ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि घटना डोमकल पुलिस थाना क्षेत्र के शाहबाजपुर गांव में बुधवार रात करीब 10:30 बजे हुई.

माकपा ने आरोप लगाया है कि तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार जफिकुल इस्लाम ने माकपा कार्यकर्ताओं को कार से टक्कर मार दी, जिससे उसके कार्यकर्ता कादर मंडल (42) की मौत हो गई और आसिम अल ममून (43) और लाल चंद मंडल (42) घटना में घायल हो गए.

इस्लाम डोमकल से तृणमूल के उम्मीदवार हैं. उन्होंने इन आरोपों को बेतुका बताया है और दावा किया कि घटना के वक्त वह घटनास्थल से काफी दूर थे.

पुलिस ने बताया कि घटना के पीछे जिम्मेदार लोगों का पता लगाने के लिए जांच शुरू कर दी गई है.

मुख्य निर्वाच अधिकारी (सीईओ) ने घटना को लेकर जिला अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है.

सीईओ कार्यालय के एक अधिकारी ने बताया, ‘हमने जिला निर्वाचन अधिकारी से घटना के बारे रिपोर्ट मांगी है. घटना के पीछे शामिल लोगों को जल्द पकड़ लिया जाएगा.’

घायलों का मुर्शिदाबाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज चल रहा है.

घटना के बाद से गांव में तनाव व्याप्त है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)