कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप के बीच दिल्ली में लॉकडाउन के दौरान सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत नए संसद भवन का निर्माण कार्य जारी है. केंद्र सरकार ने इस परियोजना को आवश्यक सेवाओं के दायरे में रख दिया है और निर्माण कार्य में लगे मज़दूरों की आवाजाही की मंज़ूरी दे दी गई है.
नई दिल्ली: दिल्ली में कोरोना वायरस के मामलों में तेजी से वृद्धि को लेकर लगाए गए लॉकडाउन के दौरान मजदूरों की सुचारू आवाजाही के लिए सरकार द्वारा अपनी महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा परियोजना के निर्माण कार्य को ‘आवश्यक सेवाओं’ के दायरे में लाने के लिए विपक्षी नेताओं ने सरकार पर निशाना साधा है.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने सरकार पर हमला बोलते हुए ट्वीट किया, ‘सेंट्रल विस्टा- जरूरी नहीं. दूरदृष्टि वाली केंद्र सरकार- आवश्यक.’
Central Vista- not essential.
Central Govt with a vision- essential.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) April 28, 2021
इस परियोजना के तहत नए संसद भवन का निर्माण कार्य और राजपथ का पुनरुद्धार किया जा रहा है.
दिल्ली पुलिस ने 19 अप्रैल को केंद्रीय लोकनिर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) के अनुरोध के बाद परियोजना में लगे वाहनों की आवाजाही के लिए अपनी मंजूरी दे दी थी.
माकपा नेता सीताराम येचुरी ने भी केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह लॉकडाउन को नाकाम कर रही है.
उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘20 हजार करोड़ रुपये की परियोजना को खत्म करने की सबकी इच्छा को खारिज कर अपनी महत्वाकांक्षा को पाल रहे मोदी अब लॉकडाउन को नाकाम कर रहे हैं और इस परियोजना को ‘आवश्यक सेवाओं’ के दायरे में रख दिया है, जबकि लाखों लोग ऑक्सीजन के लिए कष्ट झेल रहे हैं. इस परियोजना को खत्म किया जाए.’
Rejecting universal opinion to scrap ₹ 20K crore project feeding his personal vanity, Modi now circumvents lockdown & classifies this as an 'essential activity' as millions gasp for oxygen to survive.
Scrap this project.
Procure Oxygen & vaccines. https://t.co/RK4Ds2REWO— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) April 27, 2021
तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सदस्य डेरेक ओ ब्रायन ने इस परियोजना को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर कटाक्ष किया.
उन्होंने कहा, ‘हम विपक्ष के लोग सेंट्रल विस्टा परियोजना की आलोचना क्यों कर रहे हैं? यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण परियोजना है! मोदी के नए कार्यालय के बगल में मोर का एक बगीचा होना चाहिए और शाह को अपने तीन ‘पालतुओं’ के लिए अपने कार्यालय के बगल में एक बरामदा होना चाहिए!’
उन्होंने कहा, ‘यही वजह है कि सेंट्रल विस्टा परियोजना की आवश्यकता है. हम, मूर्ख विपक्ष, चाहते हैं कि सेंट्रल विस्टा पर खर्च किए जाने वाले 20,000 करोड़ रुपये भारत के 80 प्रतिशत लोगों को टीका लगाने पर खर्च किए जाएं.’
डेरेक ने कहा, ‘विपक्ष चाहता है कि सेट्रल विस्टा के निर्माण में लग रहे पैसे का इस्तेमाल और अधिक लोगों के टीकाकरण में किया है. हम और ज्यादा पीपीई किट खरीद सकते थे और प्रवासी मजदूरों के खाते में सीधे पैसा भेज सकते थे.’
I agree Derek. They are heartless ruthless pair of Twins. They are not releasing our MP LAD fund through which we can extend help in our Constituencies. Central Vista and new Parliament building could have waited but Modi ji give more funds to fight COVID, release our MPLAD fund. https://t.co/XdPjnXdMPy
— digvijaya singh (@digvijaya_28) April 28, 2021
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने लॉकडाउन के दौरान भी निर्माण कार्य जारी रखने के लिए सरकार पर निशाना साधा.
उन्होंने ट्विटर पर कहा, ‘वे जुड़वां की निर्मम जोड़ी हैं. वे हमारा एमपीलैड कोष जारी नहीं कर रहे हैं, जिसके माध्यम से हम अपने निर्वाचन क्षेत्रों में मदद कर सकते हैं. सेंट्रल विस्टा और नया संसद भवन प्रतीक्षा कर सकता था, किंतु मोदी जी कोविड से लड़ने के लिए अधिक कोष दीजिए, हमारा एमपीलैड कोष जारी करिए.’
दरअसल देश में जारी कोरोना वायरस के भीषण प्रकोप के कारण राजधानी दिल्ली भी बुरी तरह प्रभावित है. महामारी की रोकथाम के लिए राजधानी में लॉकडाउन लगाया गया है. हालांकि इस तबाही के बीच भी एक परियोजना जोरों-शोरों से चल रही है और वह सेंट्रल विस्टा परियोजना है.
इस परियोजना की घोषणा पिछले वर्ष सितंबर में हुई थी, जिसमें एक नए त्रिभुजाकार संसद भवन का निर्माण किया जाना है. इसके निर्माण का लक्ष्य अगस्त 2022 तक है, जब देश स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मनाएगा. इस परियोजना के तहत साझा केंद्रीय सचिवालय 2024 तक बनने का अनुमान है.
नरेंद्र मोदी सरकार की इस महत्वाकांक्षी परियोजना सेंट्रल विस्टा का उद्देश्य 3.2 किलोमीटर के क्षेत्र को पुनर्विकास करना है, जो 1930 के दशक में अंग्रेजों द्वारा निर्मित लुटियंस दिल्ली के केंद्र में स्थित है, जिसमें कई सरकारी इमारतों, जिसमें कई प्रतिष्ठित स्थल भी शामिल हैं, को तोड़ना और पुनर्निर्माण करना शामिल है और कुल 20,000 करोड़ रुपये की लागत से एक नई संसद का निर्माण करना है.
नई इमारत में ज्यादा सांसदों के लिए जगह होगी, क्योंकि परिसीमन के बाद लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों की संख्या बढ़ सकती है. इसमें करीब 1400 सांसदों के बैठने की जगह होगी. लोकसभा के लिए 888 (वर्तमान में 543) और राज्यसभा के लिए 384 (वर्तमान में 245) सीट होगी.
नई इमारत में ज्यादा सांसदों के लिए जगह होगी, क्योंकि परिसीमन के बाद लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों की संख्या बढ़ सकती है. इसमें करीब 1400 सांसदों के बैठने की जगह होगी. लोकसभा के लिए 888 (वर्तमान में 543) और राज्यसभा के लिए 384 (वर्तमान में 245) सीट होगी.
सितंबर 2019 में जब सरकार ने इस परियोजना के लिए जल्दबाजी में निविदाएं जारी कीं, तो इसकी घोर आलोचना की गई. पिछले एक साल में यह आलोचना और भी तेज हो गई है, क्योंकि कोविड-19 महामारी ने देश की स्वास्थ्य प्रणालियों और अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया है.
जैसा कि कुछ लोगों ने कहा है कि सरकार सेंट्रल विस्टा परियोजना पर जो राशि खर्च कर रही है, वह हजारों ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों के निर्माण के लिए पर्याप्त होगी.
केंद्र सरकार द्वारा बनाए जा रहे 162 ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों की लागत 201 करोड़ रुपये है. इसके विपरीत सिर्फ नए संसद भवन का बजट लगभग पांच गुना अधिक 971 करोड़ रुपये का है.
हालांकि, बढ़ती आलोचनाएं भी सरकार को डिगा नहीं सकीं. बीते 20 अप्रैल को इसने उस भूखंड पर तीन भवनों के निर्माण के लिए बोलियां आमंत्रित कीं, जहां इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र वर्तमान में खड़ा है.
इस बीच, पुनर्विकास का काम जारी है, जबकि शहर के बाकी हिस्से बंद हैं.
समाचार वेबसाइट स्क्रॉल डॉट इन द्वारा हासिल किए गए सरकार के पत्राचार दिखाते हैं कि वर्तमान में केवल निर्माण परियोजनाएं जिनके पास साइट पर रहने वाले श्रमिक हैं, उन्हें लॉकडाउन दिशानिर्देशों के अनुसार दिल्ली में संचालित करने की अनुमति है. लेकिन सेंट्रल विस्टा परियोजना के लिए अपवाद बनाया गया है, जिसे एक आवश्यक सेवा घोषित किया गया है.
परियोजना की निगरानी करने वाले केंद्रीय लोक कल्याण विभाग ने दिल्ली पुलिस को पत्र लिखा था. पत्र में पुलिस से अनुरोध किया गया था कि कर्फ्यू अवधि के दौरान कंपनी को उसके कर्मचारियों को उसके स्वयं के बसों के माध्यम से सराय काले खां में श्रमिकों को फेरी लगाने के लिए अनुमति दी जाए.
इसके जवाब में 19 अप्रैल, जिस दिन राजधानी में हफ्ते भर के लिए लॉकडाउन लगाया गया था, को नई दिल्ली जिले के लिए डिप्टी पुलिस कमिश्नर ने लॉकडाउन के दौरान प्रोजेक्ट के काम में लगे 180 वाहनों के लिए लॉकडाउन पास जारी किए.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)