पूर्व अटॉर्नी जनरल और न्यायविद् सोली सोराबजी का निधन

देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित मानवाधिकार अधिवक्ता सोराबजी तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह के कार्यकाल में 1989 से 1990 तक और फिर अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में 1998 से 2004 तक भारत के अटॉर्नी जनरल रहे थे.

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सोली सोराबजी. (फोटो: पीटीआई)

देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित मानवाधिकार अधिवक्ता सोराबजी तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह के कार्यकाल में 1989 से 1990 तक और फिर अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में 1998 से 2004 तक भारत के अटॉर्नी जनरल रहे थे.

सोली सोराबजी. (फोटो: पीटीआई)
सोली सोराबजी. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: कोरोना वायरस से संक्रमित पूर्व अटॉर्नी जनरल एवं संवैधानिक विधि विशेषज्ञ सोली सोराबजी का शुक्रवार सुबह निधन हो गया. वह 91 वर्ष के थे.

देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित मानवाधिकार अधिवक्ता सोराबजी तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह के कार्यकाल में 1989 से 1990 तक और फिर अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में 1998 से 2004 तक भारत के अटॉर्नी जनरल रहे थे.

उन्हें कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद दक्षिण दिल्ली के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था.

उनके परिवार में पत्नी, बेटी और दो बेटे हैं.

सर्वश्रेष्ठ संवैधानिक विधि विशेषज्ञों में से एक माने जाने वाले सोराबजी ने कानून और न्याय, प्रेस सेंसरशिप और आपातकाल पर कई किताबें लिखी थीं.

इसके अलावा वह मानव और मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ भी संघर्ष करते रहे थे.

मौलिक अधिकार उल्लंघन से संबंधित उनकी हालिया कानूनी लड़ाइयों में से एक श्रेया सिंघल मामला था, जिसमें 2015 में सर्वोच्च न्यायालय ने उनकी दलीलों पर सहमति व्यक्त की और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम में बोलने और अभिव्यक्ति की ऑनलाइन स्वतंत्रता पर प्रतिबंध से संबंधित एक प्रावधान को खत्म कर दिया था.

शीर्ष अदालत ने कहा कि धारा 66ए संविधान के तहत गारंटीकृत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करने के कारण असंवैधानिक थी, इस बिंदु को सोराबजी ने उठाया था.

प्रधानमंत्री वाजपेयी के नजदीकी माने जाने वाले सोराबजी ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में भारत का तब प्रतिनिधित्व किया, जब साल 1999 में कारगिल युद्ध के बाद पाकिस्तान ने अपने नौसैनिक गश्ती विमान अटलांटिक को गिराने के लिए मुआवजा मांगा था.

हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने सोराबजी की ओर से पेश की गईं दलीलों को सुनने के बाद भारत के पक्ष में फैसला दिया था और पाकिस्तान के मुआवजा देने की अपील को यह कहकर खारिज कर दिया था कि इस मामले पर उसका कोई अधिकार क्षेत्र नहीं था.

उन्होंने नागरिक न्याय समिति के लिए भी काम किया और अदालत में उसकी तरफ से पेश हुए. इस संगठन ने सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों का प्रतिनिधित्व किया था.

1930 में एक पारसी परिवार में जन्मे सोराबजी 1953 में बार काउंसिल में नामांकित हुए थे और 1971 में बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता का पद दिया था.

सोराबजी कई सारे महत्वपूर्ण मामलों में शामिल रहे, जिसमें आधारभूत संरचना सिद्धांत पर केसवानंद भारती मामला और अन्य राज्यों में राष्ट्रपति शासन लागू करने से संबंधित एसआर बोम्मई जैसे मामले शामिल हैं.

संयुक्त राष्ट्र द्वारा 1997 में उन्हें नाइजीरिया के लिए एक विशेष समन्वयक के तौर पर नियुक्त किया गया था, ताकि उस देश में मानवाधिकार की स्थिति पर रिपोर्ट की जा सके. इसके बाद वह 1998 से साल 2004 तक मानवाधिकारों के संवर्धन और संरक्षण पर संयुक्त राष्ट्र उप-आयोग के सदस्य रहे थे.

इसके अलावा वह 1998 से भेदभाव और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की रोकथाम से संबंधित संयुक्त राष्ट्र उप-आयोग के सदस्य भी थे.

उन्होंने 2000 से 2006 तक हेग में मध्यस्थता पर स्थायी न्यायालय के सदस्य के रूप में भी काम किया है.

जनहित याचिका दायर करने के लिए जाने जाने वाले सोराबजी 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमले से इतने दुखी हुए थे कि उन्होंने शीर्ष अदालत में एक को याचिका दायर की, जिसमें आतंकवादियों से निपटने के लिए पुलिस बल को प्रशिक्षित करने का निर्देश देने का आग्रह किया गया था.

सुप्रीम कोर्ट के अलावा राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री समेत कई नेताओं ने जताया दुख

उच्चतम न्यायालय ने पूर्व अटॉर्नी जनरल एवं विख्यात न्यायविद् सोली सोराबजी को शुक्रवार को श्रद्धांजलि दी.

प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना और जस्टिस सूर्यकांत एवं जस्टिस एएस बोपन्ना ने वीडियो कांफ्रेंस के जरिये न्यायालय की दिन की कार्यवाही शुरू होने से ठीक पहले कहा, ‘बेहद दुखद समाचार है कि मानवाधिकारों के लिए लड़ने वाले सोली का शुक्रवार सुबह निधन हो गया. हम नेक आत्मा के लिए प्रार्थना करते हैं.’

सीजेआई ने कहा, ‘भारत के पूर्व अटॉर्नी जनरल सोली जहांगीर सोराबजी के निधन की खबर जानकर मैं दुखी हूं. न्यायिक दुनिया में वह तकरीबन 68 वर्ष तक सक्रिय रहे. उन्होंने मानवाधिकारों और मौलिक अधिकारों के वैश्विक न्यायशास्त्र को समृद्ध बनाने में उल्लेखनीय योगदान दिया.’

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने प्रख्यात न्यायविद सोली जहांगीर सोराबजी के निधन पर शोक जताया है.

कोविंद ने सोराबजी के निधन पर शुक्रवार को शोक प्रकट किया और कहा कि उनके जाने से देश ने विधि-न्याय व्यवस्था से जुड़ी एक बड़ी शख्सियत खो दी.

राष्ट्रपति कोविंद ने एक ट्वीट में कहा, ‘सोली सोराबजी के निधन से हमने भारत की विधि-न्याय व्यवस्था की महत्वपूर्ण शख्सियत खो दी. वह उन चुनिंदा लोगों में थे, जिन्होंने संवैधानिक कानून और न्याय प्रणाली के विकास को गहराई से प्रभावित किया. पद्म विभूषण से सम्मानित सोराबजी सबसे प्रख्यात न्यायविदों में से एक थे. उनके परिवार और सहयोगियों के प्रति मेरी संवेदना.’

उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने भारत के पूर्व अटॉनी जनरल सोली सोराबजी के निधन पर शोक जताया और कहा कि वह ‘कानूनी विद्वान’ के निधन से बहुत दुखी हैं.

उपराष्ट्रपति सचिवालय ने नायडू के हवाले से ट्वीट किया, ‘कानूनविद और पूर्व अटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी के निधन से बहुत दुखी हूं. वह मानवाधिकारों के पैरोकार थे और उन्होंने अपने काम से भारत को अंतरराष्ट्रीय ख्याति दिलाई.’

प्रधानमंत्री मोदी ने सोराबजी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि वह उत्कृष्ट वकील थे और कानून के जरिए गरीबों एवं वंचितों की मदद करने के लिए आगे रहते थे.

मोदी ने ट्वीट किया, ‘श्री सोली सोराबजी उत्कृष्ट वकील और विद्वान थे. वह कानून के जरिये गरीबों और वंचितों की मदद करने में आगे रहते थे. उन्हें भारत के अटॉर्नी जनरल के तौर पर उल्लेखनीय कार्यकाल के लिए याद रखा जाएगा. उनके निधन से दुखी हूं. उनके परिवार एवं प्रशंसकों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त करता हूं.’

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सोराबजी के परिवार के प्रति संवेदनाएं जताई. उन्होंने कहा कि सोराबजी का निधन ‘भारत के कानूनी और न्यायिक इतिहास में एक युग की समाप्ति है.’

प्रसाद ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट कू पर कहा, ‘सोली सोराबजी ने 1975 के आपातकाल के दौरान नागरिकों की आजादी के लिए अपनी लड़ाई में ऊंचाइयों को छुआ.’

केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘उनका यह कहना कि ‘रवि, तुम कैसे हो?’, मुझे हमेशा याद रहेगा.’

राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने भी सोराबजी के निधन पर शोक जताया.

कानूनविद को श्रद्धांजलि देते हुए पवार ने कहा कि उनका लंबा करिअर संविधान की भावना की ओर प्रतिबद्धता का उदाहरण है.

उन्होंने ट्वीट किया, ‘पूर्व अटॉर्नी जनरल पद्म विभूषण श्री सोली सोराबजी के निधन के बारे में सुनकर दुख हुआ. वरिष्ठ अधिवक्ता के तौर पर उनका लंबा करिअर भारत के संविधान की भावना और संप्रभुत्ता की ओर प्रतिबद्धता का उदाहरण है. उनके परिवार के सदस्यों के प्रति मेरी संवदेनाएं हैं.’

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी सोराबजी के निधन पर शोक जताया.

सोराबजी के परिवार एवं सहकर्मियों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त करते हुए बनर्जी ने प्रख्यात न्यायविद को श्रद्धांजलि दी.

उन्होंने ट्वीट किया, ‘भारत के सबसे प्रतिष्ठित न्यायविदों में से एक और पूर्व अटॉर्नी जनरल, पद्म विभूषण सोली सोराबजी के निधन से दुखी हूं. उन्होंने अभिव्यक्ति की आजादी और मानवाधिकारों की रखा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया. उनके परिवार और सहकर्मियों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)