उत्तर प्रदेश के बागपत ज़िले के जोहरी गांव की रहने वाली चंद्रो तोमर ने जब पहली बार निशानेबाजी शुरू की, तब उनकी उम्र 60 साल से अधिक थी. उन्होंने कई राष्ट्रीय प्रतियोगिताएं जीतीं हैं. वह और उनकी देवरानी प्रकाशी तोमर दुनिया की सबसे उम्रदराज़ निशानेबाज़ों में से एक हैं.
नई दिल्ली: ‘शूटर दादी’ के नाम से मशहूर निशानेबाज चंद्रो तोमर का कोविड-19 बीमारी के कारण शुक्रवार को निधन हो गया.
वह 89 वर्ष की थी और 26 अप्रैल से मेरठ के अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था.
चंद्रो तोमर की देवरानी और उनकी तरह दुनिया की सबसे उम्रदराज निशानेबाजों में से एक प्रकाशी तोमर ने अपने ट्विटर पेज पर यह जानकारी दी.
उन्होंने ट्वीट किया, ‘मेरा साथ छूट गया. चंद्रो कहां चली गई.’
मेरा साथ छूट गया , चंद्रो कहा चली गई !! pic.twitter.com/9T57FpZMtT
— Dadi Prakashi Tomar 🇮🇳 (@shooterdadi) April 30, 2021
खेल मंत्री किरेन रीजीजू ने उनके निधन पर शोक जताते हुए कहा, ‘हमारी सबसे प्यारी दादी चंद्रो तोमर जी के दुखद निधन से मुझे गहरा आघात पहुंचा था. वह लाखों लोगों के लिए प्रेरणास्रोत थी और आगे भी हमेशा बनी रहेंगी. उसकी आत्मा को शांति मिले. ओम शांति.’
चंद्रो तोमर को इस सप्ताह के शुरू में सांस लेने में परेशानी के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
परीक्षणों से पता चला कि वह कोविड-19 से संक्रमित हैं. इस महामारी के कारण पिछले कुछ दिनों से देश में प्रतिदिन 3000 से अधिक लोगों की मौत हो रही है.
उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के जोहरी गांव की रहने वाली चंद्रो तोमर ने जब पहली बार निशानेबाजी शुरू की, तब उनकी उम्र 60 साल से अधिक थी लेकिन इसके बाद भी उन्होंने कई राष्ट्रीय प्रतियोगिताएं जीतीं. उनके और प्रकाशी तोमर के जीवन पर फिल्म ‘सांड की आंख’ भी बनी है.
शूटर दादी ने वरिष्ठ नागरिक श्रेणी में कई सम्मान हासिल किए थे, जिसमें स्त्री शक्ति सम्मान राष्ट्रपति ने खुद उन्हें दिया था.
परिवार के एक छोटे सदस्य द्वारा अपने गांव में नवनिर्मित शूटिंग रेंज में खुद को नामांकित करने में रुचि व्यक्त करने के बाद उन्होंने संयोगवश एक राइफल तब उठा ली थी.
द वायर के साथ बीते साल एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि कुल 352 मेडल हैं, जो हमारे पूरे परिवार ने जीते हैं, जिसमें मेरे और प्रकाशी के लगभग 20-20 मेडल हैं और बाकी 150 के आसपास मेडल बेटियों और पोतियों के हैं.
उन्होंने कहा था कि हमारी बेटियां और पोतियां भी निशानेबाज हैं. हम प्री-नेशनल स्तर तक खेला है. इसे राष्ट्रीय स्तर का ही माना जाता है. स्टेट चैंपियनशिप भी खेला है. हमने कभी ट्रेनिंग नहीं ली. लोग हैरान थे कि बिना किसी ट्रेनिंग के हमारा इतना सटीक निशाना कैसे लगता है.
‘सांड की आंख’ फिल्म में चंदो तोमर के किरदार की भूमिका निभाने वाली भूमि पेडनेकर के अलावा समाज के अन्य वर्गों के लोगों उनके निधन पर शोक व्यक्त किए.
Devastated by the news of Chandro Dadi’s demise. Feels like a part of me is gone. She made her own rules & paved the path for many girl to find their dream. Her legacy will live on in them. Condolences to the family. Am lucky I got to know and be her 🙏#ChandroTomar #ShooterDadi
— bhumi pednekar (@bhumipednekar) April 30, 2021
भूमि ने ट्विटर पर लिखा, ‘चंद्रो दादी के निधन की खबर से आहत हूं. लग रहा है कि मेरा एक हिस्सा चला गया है. उन्होंने अपने नियम खुद बनाए और कई लड़कियों को उनके सपने को पूरा करने के लिए मार्ग प्रशस्त किया. उनकी विरासत उन पर जीवित रहेगी. परिवार के प्रति संवेदना.’
भारत के उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर लिखा, ‘प्रशंसकों के बीच ‘शूटर दादी के नाम से पहचानी जाने वाली चंदो तोमर नहीं रही. वह लैंगिक समानता और महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज उठाने की प्रतीक है.’
ओलंपियन मुक्केबाज अखिल कुमार और निशानेबाज जॉयदीप कर्माकर ने भी उनके निधन पर शोक जताया.
अखिल ने ट्वीट किया, ‘ये कोरोना ही है या कुछ और, अब तो संदेह ही होने लगा है. भगवान अब तो कुछ कृपा करो. एक और दुखद खबर. कई राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता जिंदादिल दादी ‘शूटर दादी’ चंद्रो तोमर का कोरोना से निधन हो गया है. अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि दादी को.’
कर्माकर ने कहा, ‘अपूरणीय क्षति, हमारी प्यारी ‘शूटर दादी’ नहीं रहीं. कई लोगों के लिए साहस और दृढ़ संकल्प की प्रतीक ने कोरोना से लड़ाई में आखिरी सांस ली. उनकी दृढ़ इच्छा शक्ति से सूदूर क्षेत्रों की हजारों लड़कियों को प्रेरणा मिलेगी.’
पूर्व क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग ने ट्वीट किया, ‘दादी चंद्रो तोमर बहुत लोगों के लिए प्रेरणास्रोत थी. परिवार और चाहने वालों के प्रति मेरी संवेदनाएं. ओम शांति दादी.’
Dadi Chandro Tomar was the coolest Dadi and an inspiration for many. My condolences to her family and well wishers.
Om Shanti Dadi . pic.twitter.com/P5rA03gkJ1— Virender Sehwag (@virendersehwag) April 30, 2021
ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर चुके निशोनबाज संजीव राजपूत ने अपनी श्रद्धांजलि में लिखा, ‘जिस साहस के साथ उन्होंने पितृसत्ता समाज से लड़कर निशानेबाजी को लोकप्रिय बनाया वह आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगा. भगवान उनकी आत्मा को शांति और उनके परिवार को शक्ति दे.’
चंद्रो ने प्रकाशी के साथ कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया. प्रकाशी भी दुनिया की उम्रदराज महिला निशानेबाजों में शामिल हैं.
अपने जीवन में उन्होंने पुरुष प्रधान समाज में कई रुढ़ियों को भी समाप्त किया. घर के पुरुषों ने उनकी निशानेबाजी पर आपत्ति जताई, लेकिन उनके बेटों, बहुओं और पोते पोतियों ने उनका पूरा साथ दिया. इससे वे घर से निकलकर पास के रेंज में अभ्यास करने के लिये जा पायी.
एक बार खेल अपनाने के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा तथा उन्होंने कई प्रतियोगिताओं में पदक जीते.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)