मद्रास हाईकोर्ट ने कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिए केंद्र की मोदी सरकार द्वारा उठाए गए कदमों उठाने में कथित तौर पर लापरवाही को लेकर नाराज़गी जताते हुए कहा कि कि वह 14 महीनों से कर क्या रही थी? दो मई को असम, पश्चिम बंगाल, केरल, पुदुचेरी और तमिलनाडु विधानसभा चुनावों में डाले गए मतों की गिनती होनी है.
चेन्नई: मद्रास हाईकोर्ट ने कोविड-19 महामारी की रोकथाम के लिए त्वरित कदम उठाने में कथित लापरवाही को लेकर केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए हैरानी जताई कि वह 14 महीनों से कर क्या रही थी.
इसके अलावा मद्रास हाईकोर्ट बीते बृहस्पतिवार को निर्वाचन आयोग, तमिलनाडु सरकार और राजनीतिक दलों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि विधानसभा चुनाव की मतगणना का दिन कोविड-19 महामारी के सुपर स्प्रेडर (संक्रमण का तेजी से प्रसार करने वाला) का कार्यक्रम न बन जाए.
दो मई को असम, पश्चिम बंगाल, केरल, पुदुचेरी और तमिलनाडु विधानसभा चुनावों में डाले गए मतों की गिनती होनी है. इसके अलावा लोकसभा और अन्य विधानसभाओं के लिए हुए उपचुनावों में डाले गए मतों की गिनती भी होगी.
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी और जस्टिस सेंथिलकुमार रामामूर्ति की पीठ ने चुनाव आयोग और राज्य सरकार द्वारा दो मई को मतगणना के दिन कोरोना वायरस के मद्देनजर उचित व्यवहार सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदमों की जांच की.
पीठ को बताया कि निर्वाचन आयोग ने मतगणना के दिन विजय जुलूस और मार्च को निकालने पर प्रतिबंध लगा दिया है.
जस्टिस बनर्जी ने कहा, ‘निर्वाचन आयोग के आदेश को जमीनी स्तर पर लागू होना चाहिए. इसके शब्दों और अक्षरों में बताने का कोई मतलब नहीं है.’
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि मतगणना वाले दिन राजनीतिक दलों को भीड़ वाली सभाओं, समारोह और जुलूस निकालने से बचना चाहिए.
निर्वाचन आयोग और राज्य सरकार से मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘हम जो भी करेंगे, राजनीतिक वर्ग उसकी परवाह नहीं करेगा. सड़क पर कोई भी कुछ सोचता नहीं है, आपको कदम उठाने होंगे.’
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘यह बिल्कुल जरूरी है, ताकि दो मई (मतगणना) सुपर स्प्रेडर कार्यक्रम (कोरोना वायरस के तेज प्रसार का कार्यक्रम) न बन जाए.’
उन्होंने सलाह दी कि राजनेता अपने घरों में (जीत का) उत्सव मना सकते हैं और फोन पर बधाई संदेशों का आदान-प्रदान कर सकते हैं.
इसके अलावा कोविड-19 महामारी की रोकथाम को लेकर केंद्र के कदमों पर नाराजगी व्यक्त करते हुए मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी ने कहा कि विशेषज्ञ सलाह पर काम करने की जरूरत है, न कि न कि तात्कालिक जरूरत के हिसाब से कदम उठाएं.
अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल (एएसजी) आर. शंकरनारायणन ने जब अदालत को बताया कि दूसरी लहर का प्रकोप ‘अप्रत्याशित’ है, तब मुख्य न्यायाधीश ने पूछा, ‘हम अब अप्रैल में कार्रवाई क्यों कर रहे हैं, जबकि हमारे पास एक पूरा साल था?’
मुख्य न्यायाधीश ने टीकों के दाम और शनिवार से निर्धारित 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के टीकाकरण के पंजीकरण के लिए तैयार ऐप के कथित तौर पर क्रैश होने को लेकर भी सवाल उठाया.
इस पर एएसजी ने जवाब दिया कि वह इस पर जवाब दाखिल करेंगे.
मुख्य न्यायाधीश बनर्जी और जस्टिस सेंथिलकुमार रामामूर्ति की प्रथम पीठ रेमडेसिविर टीकों, बिस्तरों की कथित कमी, दूसरे राज्यों को ऑक्सीजन भेजे जाने के मुद्दों पर बृहस्पतिवार को सुनवाई की.
अदालत ने अखबार की खबरों के आधार पर इस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया.
इससे पहले तमिलनाडु सरकार ने बृहस्पतिवार को हाईकोर्ट को बताया कि राज्य में छह अप्रैल को हुए विधानसभा चुनावों की मतगणना से एक दिन पहले शनिवार को लॉकडाउन लगाने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि एक मई को पहले ही ‘मई दिवस’ के मौके पर अवकाश है.
इससे पहले पीठ ने तमिलनाडु सरकार और पुदुचेरी प्रशासन को सुझाव दिया था कि वो एक और दो मई को पूर्ण लॉकडाउन घोषित करने पर विचार करे.
मालूम हो कि मद्रास उच्च न्यायालय ने चुनावों के दौरान कोविड संबंधी दिशानिर्देशों का पालन कराने में विफल रहने को लेकर निर्वाचन आयोग के खिलाफ सख्त रुख दिखाया था.
बीते 26 अप्रैल को हाईकोर्ट ने आयोग की तीखी आलोचना करते हुए उसे देश में महामारी की दूसरी लहर के लिए अकेले जिम्मेदार बताया था. अदालत ने कहा था कि निर्वाचन आयोग के अधिकारियों के खिलाफ हत्या के आरोपों में भी मामला दर्ज किया जा सकता है.
इसके अगले दिन 27 अप्रैल को आयोग ने जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए हैं, वहां पर मतगणना के दौरान या उसके बाद में सभी विजयी जुलूसों पर प्रतिबंध लगा दिया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)