यूपी पंचायत चुनाव: शिक्षकों और कर्मचारियों के दो बड़े संगठनों ने किया मतगणना का बहिष्कार

उत्तर प्रदेश शिक्षक महासंघ और कर्मचारी, शिक्षक, अधिकारी एवं पेंशनर्स अधिकार मंच ने राज्य निर्वाचन आयोग पर पंचायत चुनाव में ड्यूटी करने वाले कर्मचारियों को कोरोना महामारी से बचाने में विफल रहने का आरोप लगाते हुए दो मई को होने वाली मतगणना का बहिष्कार कर दिया है.

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पंचायत चुनाव के दौरान लखनऊ के एक केंद्र पर बैलेट ले जाते कर्मचारी. (फोटो: पीटीआई)

उत्तर प्रदेश शिक्षक महासंघ और कर्मचारी, शिक्षक, अधिकारी एवं पेंशनर्स अधिकार मंच ने राज्य निर्वाचन आयोग पर पंचायत चुनाव में ड्यूटी करने वाले कर्मचारियों को कोरोना महामारी से बचाने में विफल रहने का आरोप लगाते हुए दो मई को होने वाली मतगणना का बहिष्कार कर दिया है.

पंचायत चुनाव के दौरान लखनऊ के एक केंद्र पर बैलेट ले जाते कर्मचारी. (फोटो: पीटीआई)
पंचायत चुनाव के दौरान लखनऊ के एक केंद्र पर बैलेट ले जाते कर्मचारी. (फोटो: पीटीआई)

गोरखपुर: शिक्षकों और कर्मचारियों के दो बड़े संगठनों -उत्तर प्रदेश शिक्षक महासंघ और कर्मचारी, शिक्षक, अधिकारी एवं पेंशनर्स अधिकार मंच ने दो मई को पंचायत चुनाव के लिए होनी वाली मतगणना के बहिष्कार की घोषणा कर दी है. दोनों संगठनों ने राज्य निर्वाचन आयुक्त को शुक्रवार को भेजे गए पत्र में इस निर्णय की जानकारी दी है.

पत्र में राज्य निर्वाचन आयोजन में पंचायत चुनाव के दौरान प्रशिक्षण, मतदान में शिक्षकों-कर्मचारियों को कोरोना महामारी से बचाने की व्यवस्था में विफल होने का आरोप लगाया है.

दोनों संगठनों के के इस निर्णय के बाद पंचायत चुनाव की मतगणना शायद ही हो पाए क्योंकि मतगणना में शिक्षकों-कर्मचारियों की सबसे अधिक ड्यूटी लगाई गई है. महासंघ के निर्णय पर शुक्रवार शाम तक प्रदेश सरकार या राज्य निर्वाचन आयोग की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई.

उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ ने 29 अप्रैल को राज्य निर्वाचन आयोग और मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर पंचायत चुनाव में ड्यूटी के दौरान कोरोना संक्रमण से 706 शिक्षकों-कर्मचारियों की मृत्यु होने की जानकारी देते हुए दो मई को होने वाली मतगणना टाल देने की मांग की थी.

उत्तर प्रदेश शिक्षक महासंघ में प्राथमिक शिक्षक संघ, माध्यमिक शिक्षक संघ के सबसे बड़े समूह शर्मा गुट सहित महाविद्यालयों, मदरसों सहित तमाम शिक्षक संघ शामिल है.

शुक्रवार को राज्य निर्वाचन आयोग को भेजे गए पत्र पर महासंघ के अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष डाॅ. दिनेश चंद्र शर्मा, महासंघ के संयोजन एवं पूर्व एमएलसी हेम सिंह पुंडीर, विधान परिषद सदस्य एवं शिक्षक नेता ध्रुव कुमार त्रिपाठी, विधान परिषद में शिक्षक दल के नेता सुरेश कुमार त्रिपाठी, उत्तर प्रदेश सीनियर बेसिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष अवधेश कुमार मिश्र, उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के महामंत्री संजय सिंह, इन्द्रासना सिंह, टीचर्स एसोसिएशन मदारिस अरबिया उत्तर प्रदेश के महामंत्री दीवान साहेब जमां खां के हस्ताक्षर हैं.

कर्मचारी, शिक्षक,अधिकारी एवं पेंशनर्स अधिकार मंच में प्राथमिक शिक्षक संघ कलेक्ट्रेट मिनिस्ट्रीयल कर्मचारी संघ, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद, उत्तर प्रदेश चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी महासंघ, उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी महासंघ शामिल है.

दोनों संगठनों ने इस पत्र की काॅपी मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव, मुख्य सचिव, माध्यमिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव, बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को भी भेजी गई है.

इस पत्र में कहा गया है, ‘प्रदेश में कोरोना महामारी के प्रकोप से लोग त्राहि-त्राहि कर रहे हैं, फिर भी इस जानलेवा संक्रमण के समय में उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव कराए गए हैं. जब 12 अप्रैल को देश भर में एक दिन में 1.70 लाख कोरोना संक्रमण के केस मिले थे तब उत्तर प्रदेश शिक्षक महासंघ के अध्यक्ष ने पत्र लिखकर कहा था कि निर्वाचन से पूर्व शिक्षकों के प्रशिक्षण के दौरान जिला निर्वाचन अधिकारियों द्वारा कोविड से बचाव हेतु गाइडलाइन के अनुसार व्यवस्था नहीं की गई जिससे कि शिक्षक व कर्मचारियों में संक्रमण तेजी से फैल रहा है तथा वर्तमान परिस्थितियां चुनाव के अनुकूल नहीं हैं. यदि चुनाव कराए जाते हैं तो कर्मचारी व शिक्षकों के जीवन को खतरा हो सकता है.’

पत्र में आगे कहा गया है, ‘दुर्भाग्यपूर्ण है कि शिक्षक व कर्मचारियों का टीकाकरण कराए बिना तथा तथा बिना किसी सुरक्षा उपायों के इस महामारी के समय मतदान कराने हेतु भेज दिया गया जिसके कारण लाखों शिक्षक व कर्मचारी संक्रमित हो गए हैं. अब तक हजारों शिक्षक व कर्मचारी असमय ही काल के गाल में समा गए हैं.’

दोनों संगठनों ने कहा है कि अब जबकि देश में प्रतिदिन 3.5 लाख से अधिक कोरोना संक्रमण के केस मिल रहे हैं तथा प्रतिदन हजारों की मृत्यु हो रही है, ऐसे में भी उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव की प्रक्रिया गतिमान है.

संगठनों का कहना है, ‘ मतदान कराकर लौटे एवं संक्रमण से जूझ रहे शिक्षक-कर्मचारियों की मतगणना हेतु ड्यूटी लगा दी गई है तथा भारी अव्यवस्था व कोविड-19 महामारी से बचाव के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए प्रशिक्षण कराए जा रहे हैं, जिससे शिक्षकों व कर्मचारियों में मौत का भय व्याप्त है. इस तरह से शिक्षकों-कर्मचारियों को जीवन जीने के अधिकार से वंचित किया जा रहा है.’

संगठनों ने मतगणना टालने, मृत शिक्षकों-कर्मचारियों के परिजनों को 50 लाख रुपये की सहायता दिए जाने की मांग को संज्ञान नहीं लिए जाने पर आक्रोश प्रकट करते हुए कहा है कि शिक्षक-कर्मचारी संगठनों का उत्तरदायित्व राजकीय कार्यों के प्रति है परंतु संगठनों का दायित्व अपने सदस्यों की जीवन रक्षा करना भी है. इस समय ऐसा कोई कारण नहीं है कि मतगणना स्थगित न की जा सकती हो तथा शिक्षकों व कर्मचारियों को अपने कर्तव्य हेतु प्राण देना अपरिहार्य हो गया हो.

पत्र में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि यदि मतगणना स्थगति नहीं की गई तो शिक्षक व कमचारी मतगणना ड्यूटी का बहिष्कार करेंगे

(लेखक गोरखपुर न्यूज़लाइन वेबसाइट के संपादक हैं.)