विधानसभा चुनाव 2021: कोविड महामारी के बीच पांच राज्यों में मतगणना आज; तैयारियां पूरी

पश्चिम बंगाल की 294, असम की 126, तमिलनाडु की 234, केरल की 140 और पुदुचेरी की 30 सीटों पर आज विधानसभा चुनाव परिणाम आएंगे. अधिकारियों ने बताया कि वोटों की गिनती निर्वाचन आयोग के सख्त दिशानिर्देशों के मुताबिक होगी, ताकि कोरोना वायरस के प्रसार को रोका जा सके. इसमें एजेंट के लिए आरटी-पीसीआर की जांच भी शामिल है.

/
​केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में शनिवार को एक मतगणना केंद्र को सैनेटाइज करता स्वास्थ्यकर्मी. (फोटो: पीटीआई)

पश्चिम बंगाल की 294, असम की 126, तमिलनाडु की 234, केरल की 140 और पुदुचेरी की 30 सीटों पर आज विधानसभा चुनाव परिणाम आएंगे. अधिकारियों ने बताया कि वोटों की गिनती निर्वाचन आयोग के सख्त दिशानिर्देशों के मुताबिक होगी, ताकि कोरोना वायरस के प्रसार को रोका जा सके. इसमें एजेंट के लिए आरटी-पीसीआर की जांच भी शामिल है.

केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में शनिवार को एक मतगणना केंद्र को सैनेटाइज करता स्वास्थ्यकर्मी. (फोटो: पीटीआई)
केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में शनिवार को एक मतगणना केंद्र को सैनेटाइज करता स्वास्थ्यकर्मी. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली/तिरुवनंतपुरम/चेन्नई: निर्वाचन आयोग ने हाल ही में पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल और पुदुचेरी में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों की रविवार को होने वाली मतगणना के लिए विस्तृत तैयारी की है. साथ ही कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के चलते यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि स्वास्थ्य नियमों एवं सामाजिक दूरी का कड़ाई से अनुपालन हो.

अदालत ने हाल ही में कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान मतदान कराए जाने को लेकर निर्वाचन आयोग को फटकार लगाई थी. ऐसे में कोविड-19 बचाव संबंधी प्रोटोकॉल का सख्ती से अनुपालन करने के चलते पांच राज्यों की कुल 822 विधानसभा सीटों के लिए 2,364 मतगणना केंद्र बनाए गए हैं, जबकि 2016 की मतगणना के दौरान इनकी संख्या 1,002 थी.

अधिकारियों ने बताया कि प्रत्येक मतगणना केंद्र पर कम से कम 15 बार सैनेटाइज करने का काम किया जाएगा और इस दौरान सामाजिक दूरी के नियमों का सख्ती से अनुपालन करने के साथ ही भीड़ एकत्र करने पर रोक रहेगी.

उन्होंने बताया कि मतगणना सुबह आठ बजे शुरू होगी, जो देर रात तक जारी रह सकती है.

अधिकारियों ने कहा कि वोटों की गिनती निर्वाचन आयोग के सख्त दिशानिर्देशों के मुताबिक होगी, ताकि कोरोना वायरस के प्रसार को रोका जा सके. इसमें एजेंट के लिए आरटी-पीसीआर की जांच भी शामिल है.

निर्वाचन आयोग के दिशानिर्देश के मुताबिक, प्रत्याशी या उनके प्रतिनिधि कोविड-19 निगेटिव रिपोर्ट या टीके की दोनों खुराक लेने का प्रमाण पत्र दिखाकर ही मतगणना केंद्र के भीतर जा सकेंगे.

अधिकारियों ने कहा, ‘हमने राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों से प्रतिनिधियों की सूची कोविड-19 जांच रिपोर्ट या टीकाकरण प्रमाण पत्र के साथ देने को कहा है. उन्हें सुरक्षा मानकों को पूरा करने पर ही प्रवेश दिया जाएगा.’

उन्होंने बताया कि सभी जिलों के प्रशासन को आदेश जारी किया गया है कि वे मतगणना केंद्रों के बाहर भीड़ जमा होने से रोकें और इन नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करें.

अधिकारियों ने बताया कि मतगणना प्रक्रिया शुरू करने से पहले सभी ईवीएम और वीवीपैट को विषाणु मुक्त किया जाएगा.

उन्होंने बताया, ‘मतगणना प्रक्रिया में शामिल लोगों के लिए केंद्र के बाहर मास्क, फेस शील्ड और सैनेटाइजर रखे होंगे. प्रत्येक केंद्र को मतगणना के दौरान कम से कम 15 बार विषाणु मुक्त किया जाएगा. हमने इसके लिए विशेष व्यवस्था की है.’

निर्वाचन आयोग ने मतगणना के लिए मेजों को ऐसे लगाने का फैसला किया है, जिससे सामाजिक दूरी का अनुपालन किया जा सके.

अधिकारियों ने कहा, ‘एक कक्ष में मतगणना के लिए सात से अधिक मेजें नहीं होंगी, जबकि पहले यह संख्या 14 होती थी. अधिक संख्या में मेजें वहां लगाई जाएंगी जहां पर जगह की कमी नहीं हो.’

निर्वाचन आयोग ने विजय जुलूस निकालने और रोड शो करने पर रोक लगा दी है.

पश्चिम बंगाल

उधर, पश्चिम बंगाल में 108 मतगणना केंद्रों पर सुरक्षा की तीन स्तरीय व्यवस्था की गई है जहां बने स्ट्रॉन्ग रूम में ईवीएम और वोटर वेरीफाइबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) को कड़ी सुरक्षा में रखा गया है.

उन्होंने बताया कि 23 जिलों में फैले मतगणना केंद्रों पर कम से कम 292 पर्यवेक्षकों और केंद्रीय सुरक्षा बलों की 256 कंपनियों को तैनात किया गया है.

पश्चिम बंगाल विधानभा की 294 सीटों के लिए 27 मार्च से 29 अप्रैल के बीच आठ चरणों में मतदान कराए गए हैं.

पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस पिछले 10 साल से सत्ता में है. इस बार भाजपा और अन्य विपक्षी दल उसे चुनौती दे रहे हैं. भाजपा ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सत्ता से हटाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रखा है.

बनर्जी नंदीग्राम से अपने पूर्व सहयोगी और अब भाजपा उम्मीदवार शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ चुनावी मैदान में खड़ी हैं. नंदीग्राम आंदोलन के बल पर ही बनर्जी ने राज्य में वाम मोर्चे को 2011 में हराकर उससे सत्ता छीनी थी. राज्य में तब उन्होंने 34 साल से सत्ता पर काबिज वाम मोर्चे को हराया था.

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहली बार नंदीग्राम विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगी. इस सीट का प्रतिनिधित्व 2016 में हाल ही भाजपा में शामिल हुए शुभेंदु अधिकारी ने किया था, जबकि 2011 में तृणमूल कांग्रेस के एक अन्य उम्मीदवार ने किया था.

ममता बनर्जी फिलहाल दक्षिण कोलकाता के भवानीपुर से विधायक हैं.

पिछले विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को राज्य की 294 में से 211 सीटों पर विजय हासिल हुई थी, जबकि भाजपा को महज तीन सीटों से संतोष करना पड़ा था. कांग्रेस को इस चुनाव में 44 सीट और माकपा को 26 सीट मिली थीं.

मालूम हो कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर आने के बाद से पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के दो विधायकों समेत चुनाव मैदान में उतरे तीन प्रत्याशियों की मौत इसके संक्रमण के कारण हो चुकी है.

बीते 28 अप्रैल को पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के निर्वतमान विधायक गौरी शंकर दत्ता का कोलकाता के एक निजी अस्पताल में कोरोना वायरस के कारण निधन हो गया. टिकट न मिलने से नाराज होकर पिछले महीने वह भाजपा में शामिल हो गए थे.

बीते 17 अप्रैल को पांचवें चरण के चुनाव के दौरान बीरभूम जिले के मुरारई सीट से टीएमसी के निर्वतमान विधायक अब्दुर रहमान की कोरोना वायरस की वजह से मौत हो गई.

अब्दुर रहमान से पहले रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) की ओर से मुर्शिदाबाद जिले के जंगीपुरा सीट से चुनाव मैदान में उतरे प्रदीप कुमार नंदी की मौत भी बीते 16 अप्रैल को कोरोना संक्रमण की वजह से हो गई थी. उनसे पहले 15 अप्रैल को मुर्शिदाबाद जिले की शमशेरगंज सीट से कांग्रेस उम्मीदवार रेजाउल हक की भी संक्रमण से मौत हो चुकी है.

निर्वाचन आयोग ने शमशेरगंज और जंगीपुरा विधानसभा सीट पर मतदान स्थगित कर दिया है.

बहरहाल बीते 27 अप्रैल को विधानसभा चुनावों के दौरान कोविड-19 प्रोटोकॉल लागू करवाने में कथित विफलता को लेकर आलोचना का सामना कर रहे निर्वाचन आयोग ने कहा था कि महामारी के खिलाफ लड़ने से जुड़े कानूनी प्रावधानों के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की आपदा प्रबंधन इकाइयों की है.

चुनाव आयोग का यह बयान आने से एक दिन पहले मद्रास उच्च न्यायालय ने चुनावों के दौरान कोविड संबंधी दिशानिर्देशों का पालन कराने में विफल रहने को लेकर चुनाव आयोग के खिलाफ सख्त रुख दिखाया था.

बीते 26 अप्रैल को हाईकोर्ट ने आयोग की तीखी आलोचना करते हुए उसे देश में महामारी की दूसरी लहर के लिए अकेले ज़िम्मेदार बताया था. अदालत ने कहा था कि निर्वाचन आयोग के अधिकारियों के खिलाफ हत्या के आरोपों में भी मामला दर्ज किया जा सकता है.

उल्लेखनीय है कि 27 अप्रैल को ही आयोग ने जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए हैं, वहां पर मतगणना के दौरान या उसके बाद में सभी विजयी जुलूसों पर प्रतिबंध लगा दिया है. सूत्रों के अनुसार, कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए यह फैसला लिया गया.

असम

वहीं, असम में 331 मतगणना केंद्रों पर सुरक्षा के त्रिस्तरीय इंतजाम किए गए हैं. राज्य में 27 मार्च, एक अप्रैल और छह अप्रैल को तीन चरणों में मतदान हुआ था.

असम के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के मुताबिक, मतगणना प्रक्रिया में हिस्सा लेने वाले करीब 35,000 मतगणना अधिकारी तथा उम्मीदवार के प्रतिनिधियों ने 30 अप्रैल को कोविड-19 जांच कराई है.

इसके अलावा 13 राज्यों में 13 विधानसभा सीटों एवं चार लोकसभा सीटों के लिए हुए उपचुनाव की भी मतगणना दो मई को होगी.

असम में साल 2016 के विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था. साल 2001 से यहां पार्टी तरुण गोगोई के नेतृत्व में सत्ता में थी. इस चुनाव में सर्बानंद सोनोवाल के नेतृत्व में भाजपा ने जीत दर्ज की थी.

चुनाव में भाजपा ने 60 सीटों पर जीत दर्ज की थी. कांग्रेस को सिर्फ 26 सीटें मिल सकी थीं. वहीं, असम गण परिषद (एजीपी) को 14, बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएम) को 12 और ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) को 13 सीटों पर जीत हासिल हुई थी.

तमिलनाडु और पुदुचेरी

इस बीच केरल, तमिलनाडु और पुदुचेरी में छह अप्रैल को हुए विधानसभा चुनावों के लिए रविवार को कोविड-19 दिशानिर्देशों के तहत मतगणना की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. राजनीतिक दलों को परिणाम का बेसब्री से इंतजार है.
तमिलनाडु में अभिनेता से नेता बने कमल हासन के मक्कल निधी मैयम सहित चार गठबंधन मैदान में हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक और मुख्य विपक्षी द्रमुक के बीच है.

मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी, उपमुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम, द्रमुक अध्यक्ष एमके स्टालिन, उनके बेटे उदयनिधि स्टालिन, अम्मा मक्काल मुनेत्र कझगम के प्रमुख टीटीवी दिनाकरण, एमएनएम के हसन और भाजपा की राज्य इकाई के प्रमुख एल. मुरूगन सहित करीब 4,000 उम्मीदवार मैदान में हैं.

चुनाव 234 विधानसभा सीटों पर हुए. इसके अलावा कन्याकुमारी लोकसभा सीट पर उपचुनाव भी हुआ था, जहां कांग्रेस के विजय वसंत और भाजपा के पोन राधाकृष्णन के बीच मुख्य मुकाबला है.

तमिलनाडु में साल 2016 के विधानसभा चुनाव में ऑल इंडिया अन्ना दविड़ मुनेत्र कषगम (एआईएडीएमके) दिवंगत जे. जयललिता के नेतृत्व में 1984 के बाद पहली ऐसी सत्तारूढ़ पार्टी बनी थी, जिसने चुनावों में लगातार दूसरी बार जीत हासिल की थी.

साल 2016 में एआईएडीएमके ने 136 सीटों पर जीत हासिल की थी. दविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) ने 89 सीटों और कांग्रेस ने सिर्फ आठ सीटों पर जीत दर्ज की थी.

केंद्र शासित प्रदेश पुदुचेरी के लिए पूर्व मुख्यमंत्री एन. रंगास्वामी नीत ऑल इंडिया एनआर कांग्रेस-भाजपा गठबंधन और कांग्रेस-द्रमुक गठबंधन के बीच मुख्य मुकाबला है. एक्जिट पोल में रंगास्वामी नीत मोर्चे की जीत की संभावना जताई गई है.

केंद्र शासित प्रदेश में वोटों की गिनती के लिए 1382 कर्मचारियों को तैनात किया गया है, जबकि करीब 400 पुलिसकर्मी सुरक्षा में तैनात होंगे.

साल 2016 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 15 सीटों पर जीत हासिल की थी. इसके अलावा ऑल इंडिया एनआर कांग्रेस ने आठ, एआईएडीएमके को चार और डीएमके को दो सीटें मिली थीं.

हालांकि यहां सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी. ऐन चुनाव से पहले इस साल 21 फरवरी को विधायकों के लगातार इस्तीफा देने के चलते 30 सदस्यीय पुदुचेरी विधानसभा में सत्ताधारी कांग्रेस-डीएमके गठबंधन के विधायकों की संख्या घटकर 11 हो गई थी, जबकि विपक्षी दलों के 14 विधायक थे. इसके बाद विश्वास मत प्रस्ताव पर मतदान से पहले मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी ने इस्तीफा दे दिया था और केंद्र शासित प्रदेश की कांग्रेस नीत सरकार गिर गई थी.

केरल

केरल में 140 विधानसभा सीटों पर हुए चुनाव में मुख्यमंत्री पिनराई विजयन, उनकी कैबिनेट के 11 सदस्य, विपक्ष के नेता रमेश चेन्नीथला, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ओम्मन चांडी, भाजपा के राज्य इकाई के प्रमुख के. सुरेंद्रन, ‘मेट्रोमैन’ ई. श्रीधरन और पूर्व केंद्रीय मंत्री के जे अलफोंस सहित 957 उम्मीदवार मैदान में हैं.

सभी एक्जिट पोल और चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों में सत्तारूढ़ गठबंधन के लिए जीत का अनुमान जताया गया है, लेकिन विपक्षी यूनाइडेट डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) ने उम्मीद नहीं छोड़ी है.

केरल में साल 2016 के विधानसभा चुनावों में माकपा के नेतृत्व में लेफ्ट डेमोक्रटिक फ्रंट (एलडीएफ) की सरकार बनी थी. एलडीएम ने कांग्रेस नेतृत्व वाले यूडीएम को हराया था.

2016 के परिणामों के अनुसार, माकपा ने 59 सीटों पर जीत दर्ज की थी. कांग्रेस को सिर्फ 21 सीटे मिल सकी थीं. इसके अलावा भाजपा को सिर्फ एक, सीपीआई (कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया) को 19, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग को 18, केरल कांग्रेस (मणि) को पांच सीटें मिल सकी थीं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)