दिल्ली हाईकोर्ट की पीठ ने कहा कि केंद्र सुनिश्चित करे कि दिल्ली को आवंटित मात्रा 490 मीट्रिक टन ऑक्सीजन मिले और चेतावनी दी कि इसमें असफल होने पर वह अवमानना की कार्यवाही कर सकती है. इस बीच केंद्र सरकार की ओर से कहा गया है कि दिल्ली का दैनिक ऑक्सीजन कोटा बढ़ाकर 590 मीट्रिक टन कर दिया गया है. वहीं मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि रोज़ाना 976 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आवश्यकता है.
नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी के बत्रा अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से डॉक्टर सहित 12 मरीजों की मौत से नाराज दिल्ली हाईकोर्ट ने शनिवार को केंद्र को निर्देश दिया कि वह दिल्ली को उसके हिस्से की 490 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की रोजाना आपूर्ति सुनिश्चित करे.
अदालत ने कहा, ‘अब बहुत हुआ. सिर के ऊपर से काफी पानी गुजर चुका है.’
जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस रेखा पल्ली की पीठ ने कहा कि केंद्र सुनिश्चित करे कि दिल्ली को आवंटित मात्रा 490 मीट्रिक टन ऑक्सीजन मिले और चेतावनी दी कि इसमें असफल होने पर वह अवमानना की कार्यवाही कर सकती है.
पीठ ने ऑक्सीजन संकट और कोविड-19 से जुड़े अन्य मामलों पर अवकाश के दिन करीब चार घंटे की लंबी सुनवाई की. अदालत ने संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश दिया कि अगर वे दिल्ली को निर्धारित मात्रा में ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित नहीं करते हैं तो सोमवार को होने वाली अगली सुनवाई में उपस्थित रहें.
पीठ ने कहा, ‘हम केंद्र सरकार को निर्देश देते हैं कि वह सुनिश्चित करे कि आज किसी भी हालत में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली को आवंटित 490 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति हो.’
अदालत ने कहा, ‘यह विचार करते हुए कि दिल्ली औद्योगिक राज्य नहीं है और अन्य राज्यों की तरह उसके पास अपने क्रायोजेनिक टैंकर नहीं हैं, जिसका अनुरोध आपदा प्रबंधन कानून के तहत किया जा सकता है, यह केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि वह टैंकरों की भी व्यवस्था करे, ताकि दिल्ली की जरूरत को पूरा किया जा सके और यह आवंटन केवल कागज पर नहीं रहे. केंद्र सरकार यह सुनिश्चित करे कि आपूर्ति के लिए क्रायोजेनिक टैंकर भी उपलब्ध हो.’
अदालत ने रेखांकित किया कि 20 अप्रैल से ही दिल्ली को 480 मीट्रिक टन और उसके बाद 490 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का आवंटन किया गया, लेकिन एक दिन भी इतनी मात्रा में आपूर्ति नहीं की गई.
अदालत ने कहा, ‘ऐसी स्थिति को देखते हुए हम स्पष्ट करते हैं कि हम अनुपालन नहीं होने पर अवमानना की कार्यवाही भी शुरू करने पर विचार कर सकते हैं. अमित महाजन सुनिश्चित करेंगे कि इस आदेश की जानकारी संबंधित अधिकारियों को पहुंचे.’
जब अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल चेतन शर्मा ने पीठ से अनुरोध किया कि फैसले को तीन मई तक या आधे घंटे के लिए टाल दिया जाए, खासतौर पर अवमानना शुरू करने की चेतावनी को तो अदालत ने उनके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया.
पीठ ने कहा , ‘सिर के ऊपर से काफी पानी गुजर चुका है. अब हमें काम से मतलब है. बस बहुत हुआ.’
पीठ ने कहा, ‘आप (केंद्र) ने आवंटित किया, आप इसे पूरा करें. क्या आपका मतलब यह है कि जब दिल्ली में लोग मर रहे हैं तो हम अपनी आंखें बंद कर लें? अब बहुत हुआ. कौन आवंटित ऑक्सीजन से एक ग्राम भी अधिक की मांग कर रहा है? अगर आप आपूर्ति नहीं कर सकते, तो मत करिए. हम सोमवार को आपका जवाब देखेंगे.’
शर्मा द्वारा बार-बार आदेश के अवमानना कार्यवाही वाले हिस्से को टालने के अनुरोध किए जाने पर अदालत ने कहा, ‘यह बहस का नया तरीका है- कहना कि यह मत करो, वह मत करो. हम इसको स्वीकार नहीं करते. हमें पता है कि क्या करना है.’
शर्मा ने कहा कि सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता सोमवार को दिल्ली को आवंटित ऑक्सीजन और उसकी आपूर्ति संबंधी जानकारी अदालत को देंगे.
इस पर अदालत ने कहा कि जिस मामले पर सॉलिसीटर जनरल जानकारी देंगे, वह दिल्ली को ऑक्सीजन का आंवटन बढ़ाने से जुड़ा है.
नाराज जस्टिस सांघी ने कहा, ‘हमने आदेश दे दिया है और आप उस आदेश को लेकर प्रतिबद्ध हैं.’ इसके साथ ही उन्होंने मामले की सुनवाई खत्म कर दी.
अदालत ने बत्रा अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों पर संज्ञान लेते हुए निर्देश जारी किए और साथ ही दिल्ली सरकार के अधिकारियों द्वारा आपात संदेश पर कार्रवाई करने में असमर्थता पर चिंता जताई.
बीते एक मई को दिल्ली के बत्रा अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से 12 मरीजों की मौत हो गई थी.
दिल्ली सरकार का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा कि कुछ आपूर्तिकर्ता या तो आपूर्ति नहीं कर रहे हैं या कम मात्रा में ऑक्सीजन दे रहे हैं.
अदालत ने निर्देश दिया कि वह अगली सुनवाई में इन आपूर्तिकर्ताओं को पेश करे.
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, पीठ ने केंद्र को यह निर्देश भी दिया कि दिल्ली को दिए गए चार ऑक्सीजन टैंकर, जिन्हें राजस्थान में रोक लिया गया है, उन्हें छुड़ाया जाए.
दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा ने पीठ को बताया कि ऑक्सीजन की स्थिति भयावह होती जा रही थी और कई अस्पतालों से एसओएस कॉल लगातार आ रहे थे. उन्होंने बताया कि आईनॉक्स और एयर लिंडी जैसे बड़े ऑक्सीजन आपूर्तिकर्ताओं के पास भी ऑक्सीजन की कमी हो गई है.
बीते 29 अप्रैल को दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र को मांग से ज्यादा ऑक्सीजन क्यों मिल रही है, जबकि राष्ट्रीय राजधानी को कोविड-19 के मरीजों के उपचार के लिए आवश्यक मात्रा में भी ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है?
इससे पहले मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने ऑक्सीजन आपूर्ति से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा था, ‘इस न्यायालय की राय में यह विभिन्न राज्यों को ऑक्सीजन का कोटा आवंटित करने वाली केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि उसके निर्देशों का अनुपालन हो और अंतरराज्यीय आवागमन के मामले में जहां ऑक्सीजन पहुंचना है वहां ऑक्सीजन की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित हो.’
केंद्र ने दिल्ली का दैनिक ऑक्सीजन कोटा बढ़ाकर 590 मीट्रिक टन किया
दिल्ली हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद राष्ट्रीय राजधानी के अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी के बीच केंद्र ने शनिवार को राष्ट्रीय राजधानी का दैनिक ऑक्सीजन कोटा 490 मीट्रिक टन से बढ़ाकर 590 मीट्रिक टन कर दिया.
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के मुताबिक, दिल्ली को ओडिशा के कलिंग नगर से अतिरिक्त 75 मीट्रिक टन और ओडिशा के झारसुगुडा की जेएसडब्ल्यू बीपीएसएल से 25 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति की जाएगी.
मंत्रालय के अनुसार नए आवंटन के साथ ही अब दिल्ली को प्रतिदिन 590 मीट्रिक टन ऑक्सीजन मिलेगी.
हालांकि, राष्ट्रीय राजधानी में कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों के चलते दिल्ली सरकार केंद्र से 976 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन की मांग कर रही है.
ये खबर बहुत ही ज़्यादा पीड़ादायी है। इनकी जान बच सकती थी -समय पर ऑक्सिजन देकर
दिल्ली को उसके कोटे की ऑक्सिजन दी जाए। अपने लोगों की इस तरह होती मौतें अब और नहीं देखी जाती। दिल्ली को 976 टन ऑक्सिजन चाहिए और कल केवल 312 टन ऑक्सिजन दी गयी। इतनी कम ऑक्सिजन में दिल्ली कैसे साँस ले? https://t.co/h7C5bcFtD6
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) May 1, 2021
इससे पहले दिन में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि दिल्ली को प्रतिदिन 976 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन की आवश्यकता है.
इस बीच दिल्ली सरकार ने सभी जिलाधिकारियों से मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाली इकाइयों की 24 घंटे निगरानी करने के निर्देश दिए हैं, ताकि जरूरतमंद मरीजों और अस्पतालों को इस जीवनरक्षक गैस की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)