पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कहा कि यह समय जीवन में कुछ और करने का है. उन्होंने कहा कि इस तरह का पक्षपाती निर्वाचन आयोग नहीं देखा, उसने भाजपा की मदद के लिए तमाम क़दम उठाए. भाजपा को धर्म का इस्तेमाल करने दिया, उसके मुताबिक चुनावी कार्यक्रम बनाए गए और नियमों से खिलवाड़ किया गया.
कोलकाता: पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के रूझानों में तृणमूल कांग्रेस को बड़ी जीत मिलने के संकेतों के बीच चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने रविवार को कहा, ‘मैं अब यह जगह खाली कर रहा हूं.’
किशोर ने दिसंबर में दावा किया था कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भाजपा दहाई के आंकड़े को पार नहीं कर पाएगी और ऐसा हुआ तो वह रणनीति बनाने का काम बंद कर देंगे.
किशोर ने निर्वाचन आयोग पर भी हमला करते हुए उस पर भाजपा के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया.
अब तक विभिन्न दलों के नेताओं के लिए चुनावी रणनीति बनाने का काम करने वाले किशोर ने इंडिया टुडे टीवी चैनल से कहा कि वह अब इस भूमिका से हट रहे हैं. उन्होंने कहा कि वह यह जगह छोड़ रहे हैं और अब किसी पार्टी के रणनीति नहीं बनाएंगे.
किशोर ने तृणमूल कांग्रेस की विधानसभा चुनाव में जीत के लिए चुनावी रणनीति बनाने में मदद की थी. उन्होंने आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग भाजपा के एक विस्तार (संस्था) के रूप में काम कर रहा है.
किशोर ने कहा, ‘इस तरह का पक्षपाती निर्वाचन आयोग कभी नहीं देखा, उसने भाजपा की मदद के लिए तमाम कदम उठाए. भाजपा को धर्म का इस्तेमाल करने दिया, उसके मुताबिक चुनावी कार्यक्रम बनाए गए और नियमों से खिलवाड़ किया गया.’
एनडीटीवी से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘मैं जो कर रहा हूं, उसे करना जारी नहीं रखना चाहता. मैंने काफी काम किया है. यह समय मेरे लिए एक ब्रेक लेने का है और जीवन में कुछ और करने का है. मैं इस जगह को छोड़ना चाहता हूं.’
प्रशांत किशोर ने कहा, ‘इस जीत में मैं कह रहा हूं, मैं छोड़ रहा हूं और मैं इसे अब और नहीं करना चाहता. मेरे पास काफी कुछ है.’
यह पूछने पर कि क्या वह फिर से राजनीति में शामिल होंगे, उन्होंने कहा, ‘मैं एक असफल राजनीतिज्ञ हूं. मुझे वापस जाना है कि और देखना है कि मुझे क्या करना चाहिए.’
एनडीटीवी चैनल से बात करते हुए किशोर अपने रुख पर कायम रहे कि पश्चिम बंगाल में भाजपा जबरदस्त ताकत है.
किशोर ने कहा कि वह भाजपा द्वारा व्यापक प्रचार कर जीतने का दावा करने के बावजूद राज्य में तृणमूल कांग्रेस की जीत के प्रति आश्वस्त थे.
उन्होंने कहा, ‘परिणाम एकतरफा लग सकता है, लेकिन यह कड़ा मुकाबला था. भाजपा जबरदस्त ताकत थी और आगे भी रहेगी.’
किशोर ने पिछले साल दिसंबर में ट्वीट किया था, ‘हकीकत में भाजपा पश्चिम बंगाल में दहाई का आंकड़ा पार करने के लिए संघर्ष करेगी.’
किशोर ने कहा था, ‘अगर भाजपा ने बेहतर प्रदर्शन किया तो मैं यह जगह खाली कर दूंगा.’
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, इस पर कैलाश विजयवर्गीय ने कहा था, ‘बंगाल में भाजपा की वर्तमान में जारी सुनामी और सरकार बना लेने के बाद हम देखेंगे की देश ने एक चुनावी रणनीतिकार खो दिया.’
One of the key battles FOR DEMOCRACY in India will be fought in West Bengal, and the people of Bengal are ready with their MESSAGE and determined to show the RIGHT CARD – #BanglaNijerMeyekeiChay
(Bengal Only Wants its Own Daughter)
PS: On 2nd May, hold me to my last tweet. pic.twitter.com/vruk6jVP0X
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) February 27, 2021
जिस दिन निर्वाचन आयोग ने पश्चिम बंगाल के अलावा तमिलनाडु असम, केरल और पुदुचेरी के चुनाव कार्यक्रम 27 मार्च से शुरू होने की घोषणा की थी, उसके अगले दिन प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर कहा था, ‘भारत में लोकतंत्र के लिए एक महत्वपूर्ण युद्ध पश्चिम बंगाल में लड़ा जाएगा.’
उन्होंने जोर दिया था कि बंगाल सिर्फ अपनी बेटी चाहता है.
प्रशांत किशोर, जिन्हें उनकी टीम के सदस्य पीके कहते हैं, ने ममता बनर्जी के अनुरोध पर टीएमसी के लिए उस समय काम करना शुरू किया, जब 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने राज्य की 42 में से 18 सीटें जीत लीं थी और यह साफ दिखाई दे रहा था कि सत्तारूढ़ पार्टी राज्य पर अपनी पकड़ खो रही है.
किशोर चुनावी रणनीतियों को सफलतापूर्वक तैयार करने का अनुभव रखते हैं, जिसमें 2014 में नरेंद्र मोदी का पहला प्रधानमंत्री अभियान भी शामिल है, जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे.
किशोर ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के 2015 के अभियान को सफलतापूर्वक पूरा किया और इसके बाद पंजाब में कांग्रेस के कैप्टन अमरिंदर सिंह को चुनाव जिताने में मदद की.
इसके बाद उन्होंने साबित किया कि वह चुनावी रणनीति के मास्टर हैं और 2019 में आंध्र प्रदेश की सत्ता में आने के लिए वाईएसआर कांग्रेस के जगन मोहन रेड्डी की मदद की. उन्होंने 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान अरविंद केजरीवाल को भी सलाह दी थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)