सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जेएस खेहर को पत्र लिखने के अलावा उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने की बात कही है.
अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कालिखो पुल की पहली पत्नी दांगविम्साई पुल ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस से उनके पति द्वारा लिखित 60 पन्नों के सुसाइड नोट में दर्ज भ्रष्टाचार के आरोपों पर संज्ञान लेने की गुज़ारिश की है.
साथ ही जांच शुरू करने के लिए एफआईआर रजिस्टर करने का आदेश देने का भी निवेदन किया है. सुप्रीम कोर्ट को लिखे गए पत्र में उन्होंने पुल के सुसाइड नोट में लगाए गए आरोपों की सीबीआई जांच करवाने पर भी ज़ोर दिया है. उन्होंने लिखा है, ‘सुसाइड नोट में लगाए गए आरोपों के आधार पर एफआईआर दर्ज होनी बहुत ज़रूरी है और क्योंकि ये आरोप ऊंचे पदों पर बैठे न्यायाधीशों पर हैं, इसलिए सीबीआई को ही इस मामले की जांच करनी चाहिए.’
पुल ने 9 अगस्त, 2016 को ईटानगर में मुख्यमंत्री आवास में ख़ुदकुशी कर ली थी. उनका शव सबसे पहले दांगविम्साई ने ही देखा था, जहां उन्हें पुल के शव के पास उनके सुसाइड नोट ‘मेरे विचार’ की 10 प्रतियां भी मिलीं थीं.
इन 60 पन्नों के नोट में हर पृष्ठ पर पुल के दस्तख़त हैं, इस पत्र को सबसे पहले द वायर ने इस महीने की शुरुआत में प्रकाशित किया था. इस सुसाइड नोट में पुल ने दिसंबर 2015 और जनवरी 2016 में सरकार बदलने को लेकर राज्य सरकार और संवैधानिक संस्थाओं के बीच छिड़ी कानूनी लड़ाई को लेकर लगाए गए आरोपों के अलावा अरुणाचल प्रदेश के कांग्रेस और भाजपा के कई नेताओं पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं.
चीफ जस्टिस को लिखे दो पन्नों के पत्र में दांगविम्साई लिखती हैं:
‘उनकी (पुल की) डायरी/सुसाइड नोट में अरुणाचल प्रदेश में हुए भ्रष्टाचार के आरोप तो हैं ही, पर इसमें न्यायिक व्यवस्था खासकर सुप्रीम कोर्ट के उन दो वरिष्ठ न्यायाधीशों के ऊपर भी गंभीर आरोप लगे हैं, जिन्होंने प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाया और मेरे पति को मुख्यमंत्री पद से हटाया था.’
‘यह तो सब जानते हैं कि कोई सुसाइड नोट मृत्यु पूर्व बयान जैसा होता है और इसे किसी प्रमाण जैसी गंभीरता से देखना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट यह भी कहता है कि पुलिस अधिकारी के सामने लगाए गए किसी अपराध के आरोप की प्राथमिकी दर्ज होने के बाद जांच होनी चाहिए. इस नोट में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत आने वाले कई अपराधों के आरोप लगाए गए हैं. इसीलिए यह ज़रूरी हो जाता है कि इन आरोपों के आधार पर एफआईआर दर्ज़ हो और क्योंकि उच्चस्तरीय जजों पर भी गंभीर आरोप हैं इसलिए इनकी जांच सीबीआई द्वारा की जाए.’
दांगविम्साई ने इस पत्र के साथ पुल के सुसाइड नोट की एक प्रति भी चीफ जस्टिस को भेजी है. उन्होंने इसके साथ के. वीरास्वामी बनाम भारत सरकार केस में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले का भी ज़िक्र भी किया, जहां सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वरिष्ठ न्यायाधीशों के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत जांच की जा सकती है, पर न्यायाधीशों की स्वतंत्रता की रक्षा और उन्हें किसी शोषण से बचाने के लिए ऐसे किसी मामले की एफआईआर या जांच के लिए मुख्य न्यायाधीश की स्वीकृति आवश्यक होती है.
उन्होंने आगे लिखा है, ‘सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले में यह भी कहा गया है कि अगर आरोप चीफ जस्टिस के ख़िलाफ़ हैं तो उस स्थिति में उनके बाद जो सबसे वरिष्ठ जज मौजूद होंगे, जांच के लिए उनकी स्वीकृति ज़रूरी होगी.’
दांगविम्साई ने चीफ जस्टिस से उन जजों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज़ करवाने की अनुमति देने का निवेदन किया है, जिनके नाम पुल के सुसाइड नोट में दर्ज़ हैं. ज्ञात हो कि किसी भी जांच के लिए प्राथमिकी का दर्ज होना अनिवार्य होता है.
दांगविम्साई ने शुक्रवार को एक प्रेस वार्ता में चीफ जस्टिस को भेजे गए इस पत्र की कॉपी मीडिया से साझा की, जिसमें यह भी लिखा था, ‘मुझे यक़ीन है कि वीरास्वामी मामले के निर्णय को ध्यान में रखते हुए आप इस मामले को उचित जज के सामने रखेंगे.’
शुक्रवार शाम को दांगविम्साई अपने बेटे के साथ बातचीत के लिए द वायर के कार्यालय आई थीं, जहां उन्होंने बताया कि किन परिस्थितियों में उनके पति ने ख़ुदकुशी की.
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उन्होंने यह भी बताया कि वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने का प्रयास कर रही हैं. वे प्रधानमंत्री के सामने मांग रखेंगी कि प्रधानमंत्री यह सुनिश्चित करें कि कालिखो पुल द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों के चलते अरुणाचल प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री पेमा खांडू और उपमुख्यमंत्री चोवना मेन त्यागपत्र दें. दांगविम्साई ने कहा, ‘वे (दोनों नेता) भाजपा से हैं और केंद्र में भी भाजपा सरकार है इसलिए प्रधानमंत्री कोई कोई कदम तो उठाना ही चाहिए.’