5जी नेटवर्क परीक्षण को लेकर अफ़वाह फैला रहे लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई के आदेश

पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया के ज़रिये यह अफ़वाह फ़ैलाई जा रही है कि उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में 5जी सेवा के परीक्षण से रेडिएशन हो रहा है, जिसकी वजह से कोरोना संक्रमण के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं और लोगों की मौत हो रही है. उत्तर प्रदेश पुलिस ने ऐसी अफ़वाहों पर लगाम लगाने के लिए छोटी से छोटी सूचना पर तत्काल प्रभावी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है.

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(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया के ज़रिये यह अफ़वाह फ़ैलाई जा रही है कि उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में 5जी सेवा के परीक्षण से रेडिएशन हो रहा है, जिसकी वजह से कोरोना संक्रमण के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं और लोगों की मौत हो रही है. उत्तर प्रदेश पुलिस ने ऐसी अफ़वाहों पर लगाम लगाने के लिए छोटी से छोटी सूचना पर तत्काल प्रभावी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)
(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश पुलिस ने मोबाइल की 5जी सेवा के परीक्षण को कोविड-19 के मौजूदा प्रसार से जोड़कर ‘अफवाह’ फैला रहे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं.

अपर पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने शनिवार को राज्य के सभी पुलिस आयुक्तों, पुलिस उपमहानिरीक्षकों तथा जिला पुलिस प्रमुखों को लिखे गए पत्र में कहा है कि पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया के जरिये यह अफवाह फैलाई जा रही है कि राज्य के कुछ हिस्सों में 5जी सेवा के परीक्षण से रेडिएशन हो रहा है, जिसकी वजह से कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और लोगों की मौत हो रही है.

उन्होंने पत्र में कहा कि सोशल मीडिया पर प्रसारित एक पोस्ट में इटली में कोविड-19 से मरे व्यक्तियों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में रेडिएशन से मृत्यु होने की बात भी फैलाई जा रही है.

इसके अलावा वाराणसी के एक युवक की बिहार के किसी व्यक्ति से बातचीत का ऑडियो भी वायरल हो रहा है, जिसमें 5जी टावर की टेस्टिंग के कारण कोरोना वायरस संक्रमण बढ़ने से व्यक्तियों के मरने की बात कही जा रही है.

उन्होंने कहा कि फतेहपुर, सिद्धार्थ नगर, गोरखपुर तथा सुल्तानपुर के कुछ गांवों में कथित रूप से ग्रामीणों द्वारा 5जी टावर को बंद कराने और उखाड़ फेंकने की धमकी दिए जाने संबंधी पोस्ट भी प्रसारित हो रही हैं.

अपर पुलिस महानिदेशक ने इन अफवाहों पर लगाम लगाने के निर्देश देते हुए कहा कि खुफिया तंत्र को सक्रिय रखा जाए और छोटी से छोटी सूचना पर तत्काल प्रभावी कार्रवाई की जाए. साथ ही कहा कि ‘अफवाहों’ का हर स्तर पर तत्काल खंडन किया जाए और महत्वपूर्ण सूचना से सभी संबंधित लोगों को फौरन वाकिफ कराते हुए जरूरी कानूनी कार्रवाई की जाए.

गौरतलब है कि इन दिनों सोशल मीडिया पर कोविड-19 के बढ़ते मामलों को 5जी सेवा की टेस्टिंग से जोड़कर कई जानकारियां साझा की जा रही हैं. इनमें दावा किया जा रहा है कि प्रदेश में कोविड-19 के मामलों में अचानक हुई बेतहाशा वृद्धि के लिए 5जी सेवा का जारी परीक्षण मुख्य रूप से जिम्मेदार है.

इससे पहले कुछ सोशल मीडिया पोस्ट में ये दावा भी किया गया था कि 5जी टावरों से निकलने वाले रेडिएशन से उपयोगकर्ताओं को सांस लेने में तकलीफ हो रही है.

पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) ने इन अफवाहों पर भरोसा नहीं करने को कहा है. दूरसंचार उद्योग की ओर से भी इन अफवाहों को झूठा और बेबुनियाद बताया गया है.

मिंट से बातचीत में भारतीय दूरसंचार उद्योग की प्रतिनिधि संस्था सीओएआई (सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल डॉ. एसपी कोचर ने कहा है, ‘हम स्पष्ट करना चाहेंगे कि ये अफवाहें बिल्कुल झूठी हैं. हम लोगों से ऐसी आधारहीन गलत सूचनाओं पर भरोसा नहीं करने का आग्रह करते हैं. दुनिया के कई देशों ने पहले ही 5जी नेटवर्क को शुरू कर दिया है और लोग इन सेवाओं का सुरक्षित रूप से उपयोग कर रहे हैं.’

उन्होंने आगे कहा, ‘यहां तक कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी स्पष्ट किया है कि 5जी तकनीक और कोविड-19 के बीच कोई संबंध नहीं है. हमने दूरसंचार विभाग के साथ अपनी चिंताओं को साझा किया है और उन्हें स्थिति से अवगत कराया है. मैं साथी नागरिकों से इन नकली संदेशों से सावधान रहने की अपील करता हूं. हम साथ मिलकर गलत सूचना के इस खतरे से लड़ सकते हैं.’

सीओएआई ने यह भी स्पष्ट किया है कि अब तक भारत में 5जी टावर नहीं लगा है, इसलिए इस तरह के दावे पूरी तरह से गलत हैं.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, इससे पहले डब्ल्यूएचओ ने पुष्टि की थी कि वायरस रेडियो तरंगों/मोबाइल नेटवर्क के जरिये यात्रा नहीं कर सकते हैं. इसलिए कोविड-19 की वजह से होने वाली मौतों या मामलों में उछाल के पीछे 5जी कारण नहीं हो सकता है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)