‘हरियाणा सरकार भीड़ को बढ़ते देखती रही, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की’

विपक्ष ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से हिंसा और उसके बाद हुई मौतों की ज़िम्मेदारी लेते हुए इस्तीफे की मांग की है.

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विपक्ष ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से हिंसा और उसके बाद हुई मौतों की ज़िम्मेदारी लेते हुए इस्तीफे की मांग की है.

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शुक्रवार को पंचकूला में डेरा समर्थकों की हिंसा में मीडिया के ओबी वैन समेत तमाम वाहन फूंक दिए गए. (फोटो: पीटीआई)

बलात्कार मामले में दोषी क़रार दिए जाने के बाद डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम के समर्थकों की ओर से भड़की हिंसा पर विपक्ष ने राज्य की मनोहर लाल खट्टर सरकार पर हमला बोला है. शुक्रवार को डेरा समर्थकों की हिंसा में तरकीबन 30 लोगों की मौत होने की सूचना है.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार के अनुसार, विपक्ष ने आरोप लगाया है कि हरियाणा सरकार केवल भीड़ को बढ़ते हुए देखती रही और जब तक स्थितियां हाथ से निकल नहीं गई तक तक कोई कार्रवाई नहीं की.

रिपोर्ट के अनुसार, पिछले एक हफ्ते से डेरा समर्थकों का पंचकूला में जुटना जारी था. पंचकूला में सीबीआई अदालत के शुक्रवार को फैसला सुनाए जाने तक तकरीबन दो लाख डेरा समर्थक चंडीगढ़ के लगे इस शहर में पहुंच चुके थे.

इसके बावजूद हरियाणा सरकार और प्रशासनिक अमले की ओर पंचकूला पहुंच रही भीड़ को रोकने के लिए कोई इंतज़ाम नहीं किए गए थे.

रिपोर्ट के अनुसार, मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने स्वीकार किया है कि चूक हुई जिसकी वजह से डेरा समर्थक हिंसा कर पाए. मुख्यमंत्री ने नुकसान की भरपाई करने का वादा किया है.

हिंसा और मौतों की ज़िम्मेदारी लेते हुए मनोहर लाल खट्टर से विपक्ष ने इस्तीफे की मांग की है. राज्य कांग्रेस प्रमुख अशोक तंवर ने कहा कि सरकार संवेदशनशील स्थिति से निपटने में पूरी तरह से नाकाम रही.

उन्होंने कहा, ‘मुख्यमंत्री को निश्चित रूप से इस्तीफा दे देना चाहिए. सरकार की असफलता की वजह से पंचकूला में स्थितियां नियंत्रण से बाहर हो गईं. सरकार को पंचकूला में इतनी बड़ी संख्या में डेरा समर्थकों के जुटने पर रोक लगानी चाहिए थी.’

रिपोर्ट के अनुसार, हरियाणा में विपक्ष के नेता अभय चौटाला ने कहा, ‘शुक्रवार को भड़की हिंसा ने कानून और व्यवस्था से निपटने के राज्य की भाजपा सरकार की अयोग्यता को उजागर कर दिया है.’

बता दें कि शुक्रवार को डेरा समर्थकों की यह हिंसा उस राज्य में भड़की जहां ऐसे ही मामलों में हिंसा भड़कने का इतिहास रहा है. इससे पहले 2014 में सतलोक आश्रम प्रमुख की गिरफ्तारी पर भी राज्य हिंसा की चपेट में आ गया था. इसके अलावा पिछले साल नौकरी और शिक्षा में आरक्षण की मांग को लेकर जाटों का धरना भी हिंसा में तब्दील हो गया था.

2014 में सतलोक आश्रम के प्रमुख रामपाल को हत्या के एक मामले में गिरफ्तार करने गई पुलिस से रामपाल समर्थक भिड़ गए थे. इस मुठभेड़ में छह लोगों की मौत हो गई थी.

डेरा समर्थकों की हिंसा पर सुनवाई आज

शुक्रवार को बलात्कार मामले में डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को दोषी ठहराए जाने के बाद भड़की हिंसा के मामले में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय शनिवार को सुनवाई करेगी.

इससे पहले उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए शुक्रवार को कहा था कि हिंसा से हुए नुकसान की भरपाई गुरमीत राम रहीम की संपत्ति जब्त कर की जाएगी.

शुक्रवार को भड़की हिंसा के बाद हरियाणा और पंजाब के अलावा हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, गाजियाबाद, उत्तराखंड में स्थितियां तनावपूर्ण हो गई थीं.

गुरमीत राम रहीम के जेल जाने के बात डेरा सच्चा सौदा के मुख्यालय सिरसा में स्थितियां नियंत्रण में हैं. पुलिस का दावा है कि शुक्रवार रात से हिंसा की कोई वारदात की ख़बर नहीं है.

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक पंचकूला में स्थितियां नियंत्रण में हैं. यहां धारा 144 लागू है और पुलिस बल तैनात हैं. हिंसा भड़कने के बाद पंजाब के संगरूर में भी कर्फ्यू लगा दिया गया है. उत्तराखंड के नैनीताल में में धारा 144 लागू कर दी गई है.

दिल्ली में आठ सितंबर तक निषेधाज्ञा

समाचार एजेंसी भाषा से बातचीत में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि हिंसा के मद्देनज़र राजधानी दिल्ली में आठ सितंबर तक निषेधाज्ञा जारी रहेगी।

विशेष पुलिस आयुक्त (कानून व्यवस्था, उत्तरी) एसबीके सिंह ने कहा, ‘एहतियात के तौर पर हमने 11 पुलिस ज़िलों में सीआरपीसी की धारा 144 लगा दी है.’ सीआरपीसी की धारा 144 किसी कार्यकारी मजिस्ट्रेट को इलाके में चार से अधिक व्यक्तियों के एकत्र होने पर पाबंदी लगाने का अधिकार प्रदान करती है.

सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी में 13 पुलिस ज़िले हैं. उत्तरी और मध्य ज़िले इस निषेधाज्ञा के दायरे में नहीं आएंगे क्योंकि वहां से किसी घटना की ख़बर नहीं है.